अपने घर में प्राणप्रतिष्ठा क्यों नहीं कर लेते श्रीहरि के इन कथित अवतारों की

उपदेश अवस्थी/भोपाल। हम यहां धार्मिक भावनाओं का उपहास नहीं उड़ा रहे, बल्कि शहर की एक बड़ी समस्या को प्रभुप्रदत्त बताने वालों की कुचेष्ठा पर सीधा प्रहार कर रहे हैं। मामला शिवपुरी में संकट बन चुके आवारा सुअरों का है। इन्दौर में आवारा कुत्ते और शिवपुरी में आवारा सुअर आम जनजीवन के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं।

बताने की जरूरत नहीं कि ये दोनों ही पशु यदि आवारा नहीं होते तो बहुत उपयोगी होते हैं परंतु यदि आवारा और संख्या में अधिक हो जाएं तो मानव समाज के लिए खतरा बन जाते हैं। शिवपुरीवासी पहले से ही कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। पर्यावरण के नाम पर खदानों के बंद कर दिए जाने के बाद से शिवपुरी में रोजगार का संकट, फिर प्रतिभाओं के पलायन का संकट, जलसंकट और अब सुअर संकट, ऐसा लग रहा है मानो यह शहर अब सांस लेने लायक भी नहीं रह जाएगा।

शिवपुरी का सुअर संकट इतना बड़ा है कि शिवपुरी की नगरपालिका इस पर काबू पाने का सपना तक नहीं देख पाई, जिला प्रशासन की कार्रवाईयां भी धरी की धरी रह गईं। छोटे मोटे नेताओं की बात क्या करें, खुद सिंधिया भी शिवपुरी से सुअरों खदेड़ने में नाकाम रहे। हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़े तब कहीं जाकर एक राहतभरा आदेश जारी हुआ। उसका भी पालन नहीं हुआ। फिर हाईकोर्ट में अवमानना का मुकदमा लगाया गया और तब जाकर आवारा सुअरों के शूटआउट के आदेश जारी हुए।

अब जब शूटआउट का समय आ गया है तो ना जाने कौन कौन से संवेदनशील समाज सामने आ रहे हैं। वो लोग जो इन आवारा सुअरों से लाभान्वित हो रहे हैं, उनका विरोध तो समझ आता है परंतु आश्चर्यजनक तो यह है कि कुछ दूसरे पशुप्रेमी भी अचानक से प्रकट हो गए हैं। पिछले दिनों शिवपुरी कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में कुछ लोगों ने आवारा सुअरों के शूटआउट का विरोध करते हुए उन्हें श्रीहरि विष्णु भगवान का अवतार बताया है।

मैं यहां कुछ संशोधन करना चाहूंगा। यह सही है कि भगवान श्रीहरि विष्णु का वराह अवतार हुआ है परंतु वो आवारा नहीं था। मनुष्यों को हानि पहुंचाने के लिए नहीं था। यूं तो सिंह भी दुर्गामाता की सवारी है परंतु यदि कोई जंगली शेर आदमखोर हो जाता है तो उसका वध करना पाप नहीं होता। मानव कल्याण के लिए किया गया कोई भी उपक्रम कभी भी ना तो पाप हो सकता है और ना ही गैरकानूनी।

पशु प्रेमी होना और आवारा पशुओं के प्रेमी हो जाने में काफी फर्क है। आवारा सुअरों के शूटआउट का विरोध करने वाले शायद यह अंतर समझ नहीं पा रहे हैं। शिवपुरी कलेक्टर को चाहिए कि वो भलीभांति इसका फर्क उन्हें समझा दें। ज्ञापन में जितने भी लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं उन्हें उनके प्रिय श्रीहरि के जीवित वराह अवतार सड़क से पकड़कर भेंट करें और उनके घर में ही उनकी प्राणप्रतिष्ठा करवा दें।

कितना बेहतर होगा कि शिवपुरी के तमाम क​​थित पशुप्रेमी इन आवारा सुअरों को गोद ले लें और उनका अपने घरों में पालन पोषण करेंं। फिर तो सारी समस्या ही समाप्त हो जाएगी। ना सड़कों पर आवारा सुअर बचेंगे और ना ही किसी को गोली मारनी पड़ेगी।