शिक्षा विभाग शिवपुरी में इंस्पायर अवार्ड योजना घोटाला

शिवपुरी। बच्चो को सोच को क्रियटिव व कुछ नया करने और नन्हे मुन्हे वैज्ञानिकों की नई फसल तैयार करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने इंस्पायर अवार्ड योजना शुरू की है इस योजना में प्रति बच्चा सरकार 5 हजार रू राशि दे रही है ताकि बच्चा अपने माँडल तैयार कर सके परन्तु शिक्षा विभाग के नुमांइदो इस रााशि मेे भ्रष्टाचार के नए फार्मुले की मैनुफेचरिंग कर डाली।

वर्ष 2010 और 2011 में इंस्पायर अवार्ड योजना के तहत मॉडल बनाने के लिए पैसा लेकर प्रतियोगिता में नहीं आने वाले 50 बच्चों ने 5-5 हजार रुपए के मान से योजना के तहत ढाई लाख रुपए से अधिक की राशि ली, लेकिन जब वर्ष 2010 और 2011 में इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी लगी तो यह बच्चे अपने मॉडल लेकर नहीं आए। इन छात्रों में पिछोर, खनियांधाना, खोड़, कोलारस के कई छात्र शामिल हैं। इन छात्रों ने संबंधित शाला के शिक्षकों के साथ मिलकर राशि निकाल ली।

कुछ साल पहले हुए इस घपले में नियमानुसार ऐसे शिक्षक और छात्रों से राशि वसूली की कार्रवाई होनी थी, लेकिन इन पर कार्रवाई करने की बजाय राशि आवंटन का रिकॉर्ड ही विभागीय कार्यालय से गायब कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि विभाग में इस भ्रष्टाचार की नई मैनुफेचरिंग में बच्चो का कोई दोष नही है शिक्षको और अधिकारियों ने इस राशि का हड़पा है बच्चो को कोई जानकारी इन पैसो की नही है इस कारण ही रिकार्ड गायब कर दिया गया है।

इस बार उत्कृ़ष्टविद्यालय में जिला स्तरीय इंस्पायर विज्ञान प्रदर्शनी मंगलवार 19 अगस्त से 21 अगस्त तक आयोजित की जा रही है। इस दौरान पुरानी कहानी अधिकारियों द्वारा फिर से दोहराने की तैयारी है। इस प्रदर्शनी के लिए 147 छात्रों का पंजीयन कर उन्हें 5-5 हजार रुपए के मान से 7 लाख 35 हजार रुपए की राशि मुहैया कराई गई है। छात्रों को खातों में यह राशि दी गई है। इसके अलावा छात्रों को ठहराने और भोजन पर तीन लाख रुपए का बजट भी मुहैया कराया गया है।

कई स्कूलों के छात्र तो राशि लेकर बाजार से सस्ते मॉडल खरीदकर लाने की फिराक में हैं। योजना के तहत मॉडल बाजार का नही बल्कि स्वयं बच्चे द्वारा बनाने का प्रावधान है परन्तु कई बच्चे बाजार से खरिदे मॉडल ही इस प्रर्दशनी मे रख रहे देतके है इसकी तहकीकात शिवपुरी सामचार डाऊट कॉम के द्वारा की गई तो ज्ञात हुआ कि बच्चो से शिक्षक पूरे पैसे ले रहै है और बाजार से सस्ते मॉडल खरीद रहै है इससे सराकर को तो चूना लगा ही रहा है और यह आवर्ड योजना भी अपने मूल उदेश्य से भटक रही है। अगर किसी छाक्ष का मॉडल बाजार से खरीदा गया पाया जाता है तो  मार्गदर्शी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई कर शेष राशि वसूली की कार्रवाई हो। इससे फर्जीवाड़े को रोका जा सकता है।