अल्ट्रासाउण्ड संचालकों को जारी किए नोटिस

शिवपुरी। कलेक्टर राजीव दुबे ने शहर के 2 अल्ट्रासाउण्ड सेंटर की आकस्मिक जांच में पाई कमियों के आधार पर संलाचको को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीकी(लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है। संचालकों को तीन दिवस में जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है।

कलेक्टर श्री दुबे द्वारा डॉ. दिलीप जैन संचालक अरिहंत पैथोलॉजी एवं अल्ट्रासाउण्ड सेंटर को जारी नोटिस में कहा गया है कि आपको अल्ट्रासाउण्ड सेंटर संचालन की अनुमति इस आशय के साथ की गयी थी कि पीएनडीटी एक्ट के समस्त नियमों का भलीभांति पालन करेंगे लेकिन 19 अगस्त को जिला प्रशासन की टीम (संयुक्त कलेक्टर श्रीमती नीतू माथुर, डॉ.एल.एस.उचारिया, मु य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) के द्वारा पैथोलॉजी एवं अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के औचक निरीक्षण में नि न कमियां मिली- संस्था में पोर्टेविल अल्ट्रासाउण्ड मशीन पायी गयी जबकि आपके पंजीयन में इसका कोई उल्लेख नहीं है ऐसी स्थिति में पोर्टविल मशीन को स्थानांतरित भी किया जा सकता है। आपके पास निजी अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के अनुभव प्रमाण पत्र हैं, पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत प्रचार-प्रसार की सामग्री सेंटर पर उपलब्ध नहीं है। अल्ट्रासोनोग्राफी करवाने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए संधारित रजिस्टर में अल्ट्रासोनोग्राफी पश्चात परिणाम अंकित करने वाला कॉलन रिक्त मिला। साथ ही अल्ट्रासोनोग्राफी सेंटर के संचालन के रजिस्ट्रेशन जो कि 5 अगस्त 2014 को जारी किया गया। फार्म बी बिंन्दु क्रमांक 2 के सी-1 में अल्ट्रासाउण्ड इन्व्हेसिव के रूप में पंजीकृत है। जिसके लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद नही थे एवं आपके द्वारा फार्म एफ का संधारण किया जा रहा है जो कि नॉन इन्व्हेसिव की श्रेणी में आता है।

इसी प्रकार डॉ. भगवत बंसल संचालक कल्पना एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउण्ड आर्य समाज रोड शिवपुरी को जारी नोटिस में कहा गया है कि 19 अगस्त को जिला प्रशासन द्वारा  अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के औचक निरीक्षण में निम्न कमियां मिली- पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन 11 अक्टूबर 2012 पाया गया एवं रिनुबल 11 अक्टूबर 2010 थी। पुरानी रिनुबल में एक्सपायरी 18 जुलाई 2011 थी इसके पश्चात रिनुबल रजिस्ट्रेशन 10 अगस्त 2011 को जारी किया गया। अत: एक्सपायरी एवं रिनुबल में 22 दिन का अंतर पाया गया। निरीक्षण के दौरान क्लीनिक द्वारा संधारित कैश बुक अस्थायी रूप से सादा रजिस्टर में संधारित पायी गयी जिसमें स्थायी पेन के स्थान पर शीस पेंसिल द्वारा प्रतिदिन की आय राशि की एन्ट्री अंकित की गयी जो नियमानुसार नहीं की गई। अत: उक्त कारणों के चलते संचालकों द्वारा गर्भधारण-पूर्व और प्रसब-पूर्व निदान तकनीकी (लिंग-चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 धाराओं का उल्लंघन किया है। आप अपना स्पष्टीकरण तीन दिवस में प्रस्तुत करें।