25 सितम्बर तक तहसीलदारों को करना होगा पत्थर खदानों का सीमांकन

शिवपुरी। कलेक्टर राजीवचंद दुबे ने जिले के समस्त तहसीलदारों को आदेशित किया है कि वह 25 सित बर तक अपने-अपने क्षेत्र की पत्थर खदानों का सीमांकन करें और 26 सित बर को अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को पेश करें।

कलेक्टर ने यह भी आदेश दिया है कि सीमांकन होने तक सभी पत्थर खदानों में उत्खनन कार्य बंद रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन करने पर लीजधारियों तथा अन्यों के खिलाफ भादवि की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने समय कम होने के कारण धारा 144 (2) के तहत एक पक्षीय आदेश जारी किया है।

विदित हो कि पदभार ग्रहण करने के बाद कलेक्टर आरसी दुबे ने जब जिले के  अवैधानिक रेत फड़ों पर छापा डलवाया तो विदित हुआ कि बिना रॉयल्टी के रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जिले की सभी रेत खदानें बंद हैं। इसके बाद भी हजारों टन रेत जिलेभर में उपलब्ध है। इसी तारत य में जिला प्रशासन को अवैध फर्सी पत्थर उत्खनन किए जाने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं तथा मीडिया ने भी इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया था।

खनिज विभाग की सांठगांठ से खदान माफिया द्वारा खुले आम पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा था। लीजधारियों द्वारा चिन्हित खदान क्षेत्र से अवैध उत्खनन किया जा रहा था। वहीं लीज की आड़ में अन्य व्यक्तियों द्वारा भी अवैध उत्खनन किया जा रहा था। लीजधारी एक-दूसरे के स्वीकृत लीज क्षेत्र में भी बेजां कब्जा कर उत्खनन कर कर रहे थे। इससे लोक शांति विक्षुब्ध होने की आशंका थी। इसी को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर ने तय किया कि फर्सी पत्थर खदानों का सीमांकन कराया जाए।

क्योंकि सीमांकन न होने के कारण अवैध उत्खनन आसान होता है। जिला प्रशासन का यह भी मानना रहा कि अवैध उत्खनन के कारण पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है तथा सुप्रीम कोर्ट एवं ग्रीन ट्रिब्यूनल के समय-समय पर जारी निर्देशों का भी उल्लंघन हो रहा है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर दुबे ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 (1) के अधीन आदेश जारी कर फर्सी पत्थर खदानों का सीमांकन करने का निर्देश दिया। सीमांकन होने तक उत्खनन कार्य पर रोक रखी गई है। लीजधारियों को यह भी हिदायत दी गई कि लीज क्षेत्र के आस-पास लीज की आड़ में वह अवैध उत्खनन नहीं करने देंगे। इस आदेश से खनन माफिया में हड़कंप व्याप्त हो गया है।

कंस्ट्रक्शन के रो-मेटेरियल की कीमतों में भारी वृद्वि
प्रशासनिक निर्णय से जिले में एक तरह से अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त हो गया है। हालांकि प्रशासनिक स ती से उजागर हो गया कि खदान माफिया किस तरह अवैध कामों को संचालित कर रहा है। लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि रेत फड़ों पर छापे तथा फर्सी पत्थर खदानों के उत्खनन पर एक माह तक रोक लगी रहने के कारण रेत का डंपर 10 हजार रूपये से बढ़कर 16 हजार तक पहुंच गया है वहीं जो खंडा पहले दो ढाई रूपये प्रति नग मिलता था अब चार रूपये में भी सुलभ नहीं हैं।

इस कारण निर्माण संबंधी कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं। ठेकेदार परेशान हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में रेत और खंडों की कीमतों में भारी वृद्धि के बीच कैसे वह नुकसान की भरपाई कर पाएंगे। रेत और खंडे न मिलने से मकान बनाने वाले भी परेशान हो रहे हैं। वहीं इस व्यवसाय से जुड़े कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।