तरसा-तरसा कर बरस रहे बदरा, सूरज निकलते ही बढ़ता गर्मी का प्रकोप

शिवपुरी। इस बार इंद्र देवता नागरिकों को तरसा रहे हैं। एक महीने के अंतराल के बाद पानी तो बरसा और उस मौके का फायदा उठाकर किसानों ने बौनी भी कर ली, लेकिन इसके बाद फिर बर्षा को विराम लग गया है। गर्मी का प्रकोप फिर बढऩे लगा है और लोगों के बंद पड़ेे कूलर और एसी फिर शुरू हो गए हैं।
चांदपाठे में भी अभी पर्याप्त पानी नहीं आया है। सूखे की आशंका अभी भी बनी हुई है, क्योंकि विगत वर्ष की तुलना में अभी तक एक तिहाई से भी कम बर्षा हुई है। विगत वर्ष अभी तक जहां 500 एमएम बरसात हो चुकी थी। वहीं इस बार बरसात मात्र 150 एमएम ही हुई है।

शिवपुरी में आमतौर पर मानसून 20 और 25 जून के बीच आ जाता है। विगत वर्ष तो एक जुलाई तक औसत की 50 प्रतिशत बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस बार जून माह में बिल्कुल पानी नहीं बरसा और जुलाई माह की शुरूआत में भी पानी के दर्शन नहीं हुए। जुलाई के प्रथम सप्ताह में हल्की बरसात हुई। जिसका फायदा उठाकर किसानों ने बौनी कर दी थी, लेकिन बाद में बरसात न होने और तेज गर्मी पडऩे के कारण किसानों का हजारों रूपये का बीज नष्ट हो गया। 15 जुलाई के बाद बरसात होने पर किसानों ने फिर बौनी की।

उन्हें लगा कि मानसून सामान्य होगा और उनकी फसल अच्छी हो जाएगी। पिछले तीन-चार दिन से आसमान में बादल तो छा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कभी भी पानी गिर सकता है, लेकिन इंद्र देवता बरसने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक-दो दिन से तेज गर्मी का प्रकोप शुरू हो गया है। सूर्य भगवान भी प्रचण्ड किरणों से कहर बरपा रहे हैं। किसानों को ऐसे समय बरसात की आवश्यकता है, लेकिन पानी बरसने का नाम ही नहीं ले रहा। पर्यटक स्थलों पर भी रौनक नहीं हैं। भदैया कुण्ड और चांदपाठे में भी पर्याप्त पानी नहीं आया।