अंचल के लिए रेल बजट से नहीं मिला कोई खास लाभ

शिवपुरी। मोदी सरकार का पहला रेल बजट अंचल सहित प्रदेश के लिए निराशाजनक रहा। मध्य प्रदेश के पांच-पांच मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष होने के बाद भी प्रदेश को कोई उल्लेखनीय सौगात नहीं मिली है। अंचल का दामन भी उपलब्धियों की दृष्टि से सूना रहा है।
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के खाते में भी कोई उपलब्धि दर्ज नहीं हुई है। इंदौर-ज मूतबी साप्ताहिक ट्रेन की घोषणा तो अवश्य हुई है, लेकिन वह बाया-भोपाल होकर है जिसका लाभ गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के नागरिकों को नहीं मिलेगा। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर मध्यप्रदेश की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं। इस दृष्टिकोण से उ मीद थी कि सत्ता में आने के बाद रेल बजट में प्रदेश के लिए अच्छी घोषणाएं होंगी। यह उ मीद इसलिए भी थी कि अंचल से ग्वालियर के सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में प्रतिनिधित्व मिला है। ग्वालियर चंबल संभाग की चार लोकसभा सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है। गुना संसदीय क्षेत्र से भले ही कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया विजयी रहे हों, लेकिन गुना शिवपुरी शहरी क्षेत्र की जनता ने भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया के पक्ष में मतदान किया है। 

श्री मोदी चुनाव प्रचार के दौरान जब शिवपुरी आए थे तो वह कह गए थे कि यह संसदीय क्षेत्र श्रृद्धेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया का है और मैं इसके विकास का हर संभव प्रयास करूंगा। इतनी अनुकूलताओं के बावजूद भी लंबे समय के पश्चात पहली बार रेल बजट में अंचल की उपेक्षा हुई है। शिवपुरी में रेलवे स्टेशन पर दोपहर में कोई गाड़ी नहीं गुजरती है। गुना ग्वालियर रूट पर दोपहर में पैसेंजर ट्रेन की यहां के नागरिकों की मांग है। दिल्ली टे्रन की नियमित मांग भी काफी समय से की जा रही है और विश्वास था कि मोदी सरकार यहां की इन आवश्यक मांगों को रेल बजट में अवश्य पूरा करेंगी।

श्योपुर ग्वालियर लाइन नैरोगंज को ब्रोडगेज में बदलने की भी आवश्यकता है और भाजपा ने भरोसा भी दिलाया था। वहीं श्योपुर झांसी नई रेल लाइन के सर्वे की मांग भी उठ रही थी, लेकिन बजट में अंचल के लिए कोई तोहफा नहीं दिया गया। शिवपुरी में सीमित रेल सुविधाएं हैं। इसके बाद भी जितनी सुविधाएं हैं वह टाइमिंग के कारण उपयुक्त साबित नहीं हो रही हैं। ग्वालियर से कोटा पैसेंजर टे्रन का लाभ स्थानीय नागरिक इसलिए नहीं उठा पा रहे,क्योंकि इसके आने जाने का कोई नियमित समय नहीं है। ग्वालियर-भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस भी टाईमिंग ठीक न होने तथा समय पर न पहुंचने के कारण उपयोगी साबित नहीं हो रही है। टे्रनों के फेरे बढऩे की आशाएं भी इस रेल बजट से की जा रही थीं, लेकिन फेरे भी नहीं बढ़ाए गए। कुल मिलाकर रेल बजट अंचल और प्रदेश के लिए घोर निराशाजनक रहा।