रियल इस्टेट में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं इन्वेस्टर्स

शिवपुरी। ग्वालियर के पूरन सिंह नरवरिया की याचिका का निराकरण करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध कॉलोनियों में भूखण्ड पंजीयन पर लगी रोक हटा दी। इस निर्णय के बाद आशा बंधी थी कि अब जमीन कारोबार में तेजी आएगी और जमीन की खरीद फरोख्त फिर से शुरू हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। निवेशक अभी भी इस कारोबार में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं।

निवेशकों का रियल इस्टेट के कारोबार से मोह भंग हो गया है और उनका रूझान शेयर तथा बुलियन मार्केट की ओर हो गया है। इस कारोबार में गिरावट आने से जमीन विक्रेताओं में जहां निराशा है वहीं पंजीयन आय में भी गिरावट दर्ज हुई है। सूत्रों के अनुसार विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पंजीयन आय में 40 प्रतिशत तक की कमी आई है। 

पूरन सिंह नरवरिया की याचिका पर उच्च न्यायालय ने निर्णय देते हुए अवैध कॉलोनियों में भूखण्ड पंजीयन पर रोक लगा दी थी। यह निर्णय भी दिया गया था कि बिना डायवर्टेड प्लॉटों का पंजीयन नहीं किया जाएगा। इससे जमीन कारोबार में चल रही तेजी पर अचानक ब्रेक लग गया था। शिवपुरी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसी स्थिति बनी थी। इसके पूर्व दो-तीन सालों में जमीन की कीमतों में आसमानी उछाल आया था और इस कारोबार में संलग्र व्यापारियों के बारे न्यारे हो गए थे। 

शिवपुरी में 500 रूपये प्रति वर्ग फुट से लेकर 10 हजार रूपये प्रति वर्ग फिट तक जमीन के दाम पहुंच गए थे। बहुत से लोगों ने तो भारी ब्याज पर पैसा लगाकर अवैध प्लॉटों की खरीद कर ली। लेकिन उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद उनके मंसूबों पर पानी फिर गया था। इस निर्णय के बाद कई सौदे खटाई में पड़ गए थे और कई के बयाने डूब गए थे। बहुत से व्यापारी पटियों पर आ गए थे। वहीं पंजीयन आय में एकदम से गिरावट आ गई थी। इस निर्णय के विरूद्ध जहां जनहित याचिका दायर हुई। वहीं प्रदेश सरकार भी फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गई। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में अवैध कॉलोनियों में पंजीयन पर लगी रोक को हटा दिया। इस निर्णय के बाद आशा बंधी थी कि जमीन कारोबार में फिर रौनक आएगी और एक बार फिर से जमीनों और प्लॉटों के भाव आसमान पर पहुंचेंगे।

लेकिन इस दौरान निवेशकों ने दूसरे सेक्टर में अपनी पूंजी का निवेश कर दिया और जो छोटे-छोटे निवेशक इस कारोबार से जुड़े थे वह हि मत नहीं जुटा पा रहे हैं। रियल इस्टेट सेक्टर में आई निराशा से जमीनों के भाव में काफी गिरावट देखी जा रही है। लेकिन कम भाव पर भी बेशक जमीन खरीदने में अनिच्छा दिखा रहे हैं। फिलहाल वे ही प्लॉटों की खरीद कर रहे हैं। जिन्हें अपनी निजी आवश्यकता हेतु भवन बनवाना है।