जीवन को दिशा और दशा प्रदान करती है मूकमाटी: मुनि निर्वेग सागर

शिवपुरी। जीवन को दिशा और दशा प्रदान करने का कार्य मूकमाटी महाकाव्य करता है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज द्वारा रचित इस महाकाव्य को पढना और उसे समझना आसान नहीं है फिर भी ज्ञानीजन प्रयास करते है कि वह आचार्य श्री द्वारा रचित इस महाकाव्य की एक-एक पंक्ति में छिपे गूढ आध्यात्मिक रहस्य को पढे और फिर उसे समझकर अपने अंतस में उतारें तभी मूकमाटी ग्रन्थ पढना सार्थक होगा। यह विचार महावीर जिनालय पर चातुर्मास कर रहे मुनि निर्वेग सागर महाराज ने धर्मसभा के दौरान व्यक्त किये।

मूकमाटी के प्रथम खण्ड में माटी और प्रकृति मॉ का बेहद सटीक और प्रभावी चित्रण आचार्य विद्यासागर महाराज ने किया है और माटी जब खुद को पद-दलिता समझती है और फिर जीवन में मचे कोलाहल से बचने के लिये वह मॉ प्रकृति से निवेदन करती है तो उस अवस्था में प्रकृति माता द्वारा माटी को माधुर्यमयी नेक सलाह दी जाती है और इस प्रकरण को किस ढंग से आचार्य महाराज ने आध्यात्म से जोडकर भव्यजनों को मुक्ति की राह दिखाई है। वह इस ग्रन्थ का सार है। ज्ञातव्य है कि गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को महावीर जिनालय पर ठीक 8:30 बजे से 10:00 बजे मूकमाटी ग्रन्थ पर व्या यान माला मुनि निर्वेग सागर महाराज द्वारा शिवपुरी में पहली बार प्रारंभ की गयी है जिसका लाभ समाज की तीनों बाल, युवा, वृद्ध पीढी ले रही है।