हाईकोर्ट की किसे परवाह: जलावर्धन योजना का काम ठप्प

शिवपुरी। भले ही जनहित याचिका का निराकरण करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने सिंध पेयजल परियोजना के काम पर नेशनल पार्क प्रबंधन द्वारा लगाई गई रोक को हटाकर पुन: काम शुरू करने का आदेश दिया है, लेकिन इसके बाद भी दोशियान कंपनी न्यायालय के आदेश को धता बताते हुए काम शुरू करने को तैयार नहीं है।

कलेक्टर आरके जैन ने भी बैठक में कंपनी को 20 मई से काम शुरू करने का आदेश दिया था और कंपनी के प्रबंधक मकवाना इस पर सहमत ाी हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी जलावर्धन योजना का काम शुरू नहीं हो सका है। सूत्र बताते हैं कि यदि बरसात से पूर्व डूब क्षेत्र में पाइप लेमीनेशन का कार्य पूरा नहीं हुआ तो इस योजना की पूर्णता के लिए फिर कम से कम 8-10 माह इंतजार करना होगा। योजना के तहत पानी की टंकी से लेकर पाइप लाइन डालने का काफी कार्य किया जाना है। लेकिन काम शुरू होने के कोई आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे।

दोशियान कंपनी के दफ्तर पर आज भी ताला लगा हुआ है और कंपनी के प्रबंधक हीरेन मकवाना एक तरह से लापता बने हुए हैं। इसका कारण यह है कि कंपनी को 1 करोड़ से अधिक ठेकेदारों का भुगतान करना है और ठेकेदार भुगतान हेतु दबाव बना रहे हैं। जिसके कारण प्रबंधक भूमिगत बने हुए हैं। उनके नजदीकी सूत्रों का कहना है कि यदि वह शिवपुरी आए तो उनके साथ अभद्रता और मारपीट भी हो सकती है। इस कारण वह शिवपुरी नहीं आ रहे हैं। कंपनी द्वारा सिंध परियोजना का अभी तक का जो कार्य हुआ है उसकी गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में हैं।

शहर में योजना के तहत लगभग 10 पानी की टंकियां विभिन्न क्षेत्रों में बन चुकी हैं और लगभग एक साल पहले इनकी गुणवत्ता परखने के लिए टंकियों में पानी भरा गया था, लेकिन आज सभी टंकियां सूखी पड़ी हैं। एक ठेकेदार ने बताया कि यदि पानी की टंकियों में पानी नहीं है तो टंकियां नष्ट होना शुरू हो जाती हैं। उन्हें मजबूत बनाए रखने के लिए उनमें पानी भरा रखना अत्यंत आवश्यक है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल बड़ौदी में पानी की टंकी तैयार हो रही है, लेकिन कंपनी का तकनीकी स्टॉफ नहीं है और उस काम को देखने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में टंकी किस गुणवत्ता से बनेगी यह आसानी से समझ में आता है।

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी दोशियान कंपनी ने काम शुरू नहीं किया। इससे यह आशंका भी नजर आती है कि काम रोकने के लिए दोशियान कंपनी और नेशनल पार्क प्रबंधन एक मत हैं। नेशनल पार्क की रोक में दोशियान कंपनी की भूमिका की जांच भी आवश्यक है। विदित हो कि लगभग एक साल पहले नेशनल पार्क प्रबंधन ने नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई और पाइप लाइन डालने के कार्य पर शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए रोक लगा दी थी।

इसके विरोध में अभिभाषक पीयूष शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर वन संरक्षक के आदेश को निरस्त करने की मांग की थी और माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए वन संरक्षक के आदेश को निरस्त कर जलावर्धन योजना के काम को शुरू करने के लिए हरी झण्डी दे दी थी। इसके बाद कलेक्टर ने संबंधितों की बैठक आहुत कर कंपनी के प्रबंधक को 20 मई तक काम शुरू करने का निर्देश दिया था।

ठेकेदार बसूली के लिए कंपनी पर बना रहे हैं दबाव
दोशियान कंपनी जलावर्धन योजना का कार्य ठेकेदारों के दबाव के कारण शुरू नहीं कर पा रही है। सूत्र बताते हैं कि दोशियान कंपनी को ठेकेदार पदम सिंह के 10 से 12 लाख, सेंगर सेंड सप्लायर को लगभग 5 लाख रूपये, पवैया ब्रदर्स को 5 लाख रूपये दिए जाने हैं। जबकि पाइप लाइन डालने के कार्य हेतु केपी कंस्ट्रेक्शन को 20 लाख रूपये, खुशी कंस्ट्रेक्शन को 5 से 7 लाख रूपये तथा कांधिल कंसट्रेक्शन को दोशियान कंपनी से 40 से 50 लाख रूपये लेना है। जिसके भुगतान में कंपनी लगातार टालमटोल कर रही है।

सिंध जलावर्धन योजना का कार्य शुरू नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
जिला निगरानी समिति के संयोजक खलील खान ने प्रेस को जारी बयान में अल्टीमेटम दिया है कि यदि जल्द ही सिंध परियोजना का कार्य शुरू नहीं हुआ और बरसात से पूर्व डूब क्षेत्र में पाइप लेमीनेशन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो जिला निगरानी समिति के नेतृत्व में शिवपुरी में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। श्री खान ने कहा कि सिंध जलावर्धन योजना शिवपुरी की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के पूर्ण होने पर शिवपुरीवासियों को जल संकट से हमेशा के लिए निजात मिलेगी, लेकिन ठेकेदार और राजनीति की अडंगेबाजी के कारण यह योजना पूर्ण नहीं हो पा रही और इससे शिवपुरी के नागरिकों की पानी की परेशानी लगातार बनी हुई है।