राज्य सरकार ने निजी विद्यालयों की निरंकुशता व मनमानी पर अंकुश लगाया

शिवपुरी। अभी तक अधिकांशत: सभी निजी विद्यालयों की मनमानी के कारण अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए वही कोर्स, डे्रस, टाई सहित आदि सामग्री खरीदना पड़ती था लेकिन अब इन सभी शिक्षण सामग्री किसी एक विशेष दुकान से खरीदने की बाध्यता को लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश क्रं./विद्या/ई/10/2014/735 भोपाल, दिनांक 16.5.2014 के उस आदेश ने खारिज कर दिया।
जिसमें कहा गया है कि किसी भी निजी विद्यालयों द्वारा शैक्षणिक सामग्री क्रय-विक्रय बाध्यता की एकाधिकार पद्वति पर अंकुश लगाने संबंधी आदेश पारित किया। ऐसे में अब अभिभावकजन  निजी विद्यालयों की किसी भी प्रकार की मनमानी का दंश नहीं झेल सकेंगें उन्हें शिक्षण विभाग द्वारा मुक्ति दिलाई गई है।

इस संबंध में शिवपुरी नगर में पालक शिक्षक संघ व पब्लिक पार्लियामेन्ट, यूनियन फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट के द्वारा भी मोर्चा खोला गया था जिसमें निजी विद्यालयों की मनमानी का विरोध किया गया था। ऐसे में कई दिनों तक चले इस अभियान को अब पहली सफलता मिली है। इसके बाद भी अभी और लड़ाई लडऩा बाकी है। इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यूनियन फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट के एड.पीयूष शर्मा ने कहा कि  लोक शिक्षण संचालनालय के इस आदेश का हम स्वागत करते है कि निजी विद्यालयों की शिक्षण सामग्री क्रय-विक्रय अभिभावक स्वविवेक से ले सकें, लेकिन इस निर्णय के बाद अभी भी अभिभावकों की जेबों पर डाका डाला जा रहा है। जिसमें निजी विद्यालय संचालकों द्वारा ली जा रही मनमानी फीस कहां तक वाजिब है, प्रतिवर्ष 25 से 30 प्रतिशत फीस वृद्धि बढ़ाना भी अभिभावकों भारी पड़ेगा, इसके साथ ही इन विद्यालयों में अन्य सुविधाऐं भी नगण्य के बराबर है।

ऐसे में यूनियन फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट मांग करती है कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा एक नियमन समिति बनाई जानी चाहिए जिसमें प्रतिवर्ष फीस वृद्धि किए जाने व अन्य शैक्षणिक सुविधाओं में निजी विद्यालयों मं अध्यापन कराने वाले शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, बच्चों को मिलने वाली शैक्षणिक सुविधाऐं आदि पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। इसलिए नियमन समिति बनाई जाए तो इन सभी पर रोक भी लगाई जा सकेगी और निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश भी लग सकेगा। फिलहाल जो आदेश पारित हुआ है उसमें भी निजी विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. कोर्स की शिक्षण सामग्री शामिल नहीं की गई है यह लड़ाई भी अभी शेष है जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय को ध्यान देने की आवश्यकता है।

यह है आदेश में
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जो आदेश पारित किया गया है उसमें प्रदेश के सभी निजी स्कूल संचालकों द्वारा छात्रों/पालकों को उनके द्वारा निर्धारित दुकान से ही यूनीफार्म, जूते, टाई, किताबें एवं कॉपियां खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है इस संबंध में टीप क्रं./730 भोपाल, दिनांक 5.3.2014 के माध्यम से माननीय राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा द्वारा आवश्यक कार्यवाही कर अभिभावकों को शोषण से मुक्त कराए जाने के आदेश दिए गए है।

यह दिया तर्क
इस पर तर्क दिया गया कि शैक्षिक सामग्री के अधिकार पूर्ण क्रय हेतु बाध्य करने से गरीब वर्ग के पालकों को अपने पाल्य के लिए आवश्यक शैक्षिक सामग्री मुहैया कराना आर्थिक दृष्टि से कठिन हो जाता है। व्यापक लोकहित के मद्देनजर अभिभावकों की कठिनाईयों, उन्हें आर्थिक शोषण  तथा लूट से बचाने तथा लोक प्रशान्ति बनाए रखने हेतु निजी विद्यालयों की एकाधिकार पद्वति(मोनोपाली) पर प्रतिबंध(अंकुश) लगाया जाना तथा नियंत्रण किया जाना नितान्त आवश्यक है यह विषय आम जनता के महत्व का है तथा इसमें व्यापक लोकहित समाहित है। उक्त पृवत्ति पर नियंत्रण हेतु दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के तहत अधिकार जिला कलेक्टर/जिला दण्डाधिकारी को प्राप्त है। इस संबंध में कलेक्टर  इन्दौर व धार द्वारा जारी आदेश की प्रति संलग्न है इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगने हेतु आपके जिले के भीतर आदेश जारी किया जा सकता है।