चुनावी चक्कर: शिवपुरी के दोनो पंडि़तजी के दोनो हाथो में लड्डु

ललित मुदगल/शिवपुरी। चुनाव का समय है। एक प्रत्याशी का हारना और एक का जीतना तय है। लेकिन इस चुनाव के मौसम दोनो पंडितजीओ के दोनो हाथो में लडडु है। कोई हारे कोई जीते इनका फायदे का मैनेजमैंट जय है। एक पडि़तजी कमल दल के साथ है। तो दूसरे पंडि़त जी कांग्रेस के अभी पास है।

इस चुनाव के मौसम में हार जीत केे आलावा कौन किसके साथ घात कर रहा है ,और कौन किस किसके साथ है इसकी भी चर्चा जौरो पर है। अब करते है भाजपा के पंडि़त जी की, ये अभी अपने दस साल के राजनैतिक वनवास से लौटै है। ये महल के विरोध के कारण भी जाने पहचाने जाते है। ये एक वार विधानसभा पहुंचे तो इन्होने अपना पूरा कुनबा भी कैसे करोड़पति बनाया इसकी चर्चा भी गाहे बगाहै होती रहती है। कहा जाता है राजनैति की पिच ऐसे वाउंसर डाले पक्ष के बल्लेबाज झेल नही पाते और इनकी हर वाउसंर कुछ ना कुछ लेकर ही लौटती थी।

अभी चुनाव मेें पवैया के साथ हर मंच पर पंडि़त जी पाये जा रहै है भाजपा के प्रत्याशी यहां सामंवाद का गाना गा रही है। पंडि़त जी भी इस गाने को वर्षो से गा रहै है। इस कारण ही पंडित जी को इस चुनाव मेेंं भारी भरकम प्रभार मिला है, इस कारण ही पंडि़त जी पवैया को चुनाव जीताने के लिए जी जान से लगे है। अपने राम का तो यह भी कहना है कि पंडि़त जी अपने फायदे के लिए किसी भी  करवट बैठ सकते है, इस कारण भाजपा ने पंडि़त जी को सपना दिखाया है। कि चुनाव जीते तो लाल लडड़ु पक्का और फारफोमेंस ठीक तो जिले का कैप्टन पक्का इस कारण ही पंडित जी के दोनो हाथो में लडड़ु लेकर घूम रहै है।

अब कांग्रेस के पंडि़त जी की बात करे ये भी राजनिति के टर्नबर्टर है ये कभी भी किसी भी दल से टर्न ले सकते है और ऐसा कई बार हुआ भी है। लगभग सभी राजनैतिक दलो की परिक्रमा कर चुके है और अभी हाल में ये कांग्रेस के पास है। स्व माधवराव सिंधिया की उंगुली पकड़कर राजनिति का क,ख,ग सीखने वाले पंडि़त जी ने सिंधिया विरोध का कॉपीराइट भी करा लिया था एक बार तो भाजपा ने इन पर दाव खेलते हुए सीधे-सीधे भिंड़त भी करवा दी थी। पंडि़त जी का मन ज्यादा दिनो तक भाजपा में नही लगा तो पंडि़त जी दूसरे दल मे टर्न ले गये।

अभी हाल ही में पंडित जी ज्योतिरादित्य के खास है पंडि़त जी भी अपने मूल दल में ही अपने मूल भगवान के चरणो को थामें हुए है पंडि़त जी जीजान से सिंधिया को विजयी बनाने के लिए लगे है। परन्तु टर्न लेना वे अभी भी नही भूले है पंडि़तजी का आधा कुनवा तो महाराज के यहां शरणम् है लेकिन आधा कुनवा ग्वालियर के भाजपा प्रत्याशी को विजयी श्री का वरण करवाने की जुगाड़ में है।

अभी हाल में ही सुभाषपुरा में तोमर साहब को स्वागत पंडि़त जी ने अपने कुनवे से करवा दिया, इतना ही नही पंडि़त जी इस चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र में कदम भी नही रखा है। अपने राम को जो यह कहना है कि पंडि़त जी ये टर्न इस कारण करवाया है। प्रदेश मेें सत्ता तो भाजपा की है। अगर ग्वालियर से भाजपा जीत जाती है तो आगे के बिजनैस गणित चल सकते है

इसी कारण वह अपने प्रभाव वाले विधान सभा क्षेत्र मेें भी नही जा रहै अगर जाएंगे तो पंजे को ही वोट मांगने पंडेगें और चुनावो में नरेन्द्र सिंह तोमर से हुआ गुप्त समझौते में दरार आ सकती है इस पंडि़त जी के जाने की तो छोडो उधर पैर करकर भी नही सौ रहै है। इस गणित से पंडि़त जी के दोनो हाथो में लडडु इधर सिंधिया की सेवा में मेंवा तो मिलनी है अगर नरेन्द्र सिंह तोमर चुनाव जीत जाते है तो सत्ता की पावर मेेें धंधा तो मंदा नही होगा।