प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ लामबंद हो रहे शहरवासी, कड़ी कार्रवाई की मांग

शिवपुरी। इन दिनों प्रायवेट विद्यालयों की मनमानी के चलते पालक संघ, पब्लिक पार्लियामेंट और नागरिक मोर्चा संघ लामबंद्ध हो गया कि इन विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश लगे औ शासन क नियम-निर्देशों का पालन हो।

साथ ही विद्यालयों में एनसीआरटी कोर्स की पुस्तकों के द्वारा बच्चों का अध्यापन कार्य हो ताकि इससे ना केवल बच्चों के बस्तों का बोझ घटेगा वरन् एनसीईआरटी पुस्तकों के मामध्य से बच्चों का उज्जवल भविष्य भी बनेगा। यदि इस मामले में जिला प्रशासन शीघ्र कार्यवाही नहीं करता है तो उपरोक्त संघ उग्र आन्दोलन को बाध्य होगा। 

प्रायवेट विद्यालयों की मनमानी के विरोध में सौंपे गए ज्ञापन में शिकायत दर्ज कराते हुए पालक संघ, पब्लिक पाॢलयामेंट और नागरिक मोर्चा संघ के बैनर तले एड.पीयूष शर्मा, सतेन्द्र श्रीवास्तव, सोनू कुशवाह, आदित्य जैन, शरद शर्मा, सोहिब खान, मनोज जैन, प्रमोद कुमार, विनोद, आदि ने जिला प्रशासन से मांग की है कि आपके निर्देश पर डी.पी.सी. शिरोमणि दुबे एवं उनके जांच दल ने अनेक प्रायवेट विद्यालयों का निरीक्षण किया था उन सभी स्कूलों में शासन के आदेशों को खुली चुनौती देते हुए मनमान फीस वसूली जा रही है। यहां प्रवेश के नाम पर 5-9 हजार रूपये वसूले जा रहे है. 

किसी भी विद्यालय में एन.सी.आर.टी. की पुस्तकें नहीं चलाई जा रही है बल्कि अभिभावकों को लूटने के लिए निजी प्रकाशकों की पुस्तकें मनमानी रेट प्रिंट कर पालकों को थमाई गई है इस कारण 300 से 500 रूपये की यह पुस्तकें 2-3 हजार रूपये में खरीदनी पड़ रही है इससे बच्चों के बस्ते को बोझ भी काफी बढ़ गया है साथ हीकई जगह एक ही मान्यता पर दो-दो विद्यालय भी संचालित किए जा रहे है तो कहीं ठेके पर ही स्कूल दे दिए गए है जिससे हजारों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। इन बच्चों के भविष्य को देखते हुए जिला प्रशास इस मामले में शीघ्र कार्यवाही करें यदि ऐसा नहीं होता है कि यह संगठन आगामी समय में उग्र आन्दोलन करने को बाध्य होगा। इसके लिए जिला प्रशासन को 7 दिवस का समय भी दिया गया है।

ये रखी हैं मांगे
प्रमुख मागों में सर्वप्रथम 25 प्रतिशत फीस कम कराई जाए, कक्षा 01 से 08 तक के बच्चों के लिए एन.सी.आर.टी./माध्यमिक शिक्षा मण्डल बोर्ड की पुस्तकें चलाई जाए, अभी जो निजी प्रकाशकों की पुस्तकें अभिभावकों को जबरदस्ती थमाई गई है उन्हें वापिस कराया जाये, ताकि बच्चों के बस्ते का बोझ कम हो सके, एडमीशन के नाम पर ली गई फीस वापिस कराई जाए एवं यदि निजी विद्यालय संचालक उक्त मांगें नहीं मानते है तो उन पर एफ.आई.आर. दर्ज कराकर विद्यालय की मान्यता समाप्त की जाए।