हाईकोर्ट ने खारिज की सीएमओ की याचिका, स्टे लेकर वापस आना चाहते थे

शिवपुरी। शहर से सूअर नहीं भगा पाना और भ्रष्टाचार संबंधी मामले में लोकायुक्त की कार्यवाही का सामना कर चुके सीएमओ पी.के.द्विवेदी का स्थानांतरण होना अब तय है क्योंकि अपने तबादला आदेश के तुरंत बाद सीएमओ स्टे ले आए थे लेकिन अब उनकी  स्टे की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बताया जाता है कि याचिका का खारिज होना सीएमओ द्वारा अपनी गलतियों के छुपाने के कारण है क्योंकि जब वह स्टे लेकर आए थे तब उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त कार्यवाही का जिक्र नहीं किया था अब संभवत: इसी आधार पर सीएमओ की याचिका खारिज की गई है। गत दिवस उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल ने मु य नगरपालिका अधिकारी पीके द्विवेदी की अपने स्थानांतरण के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है। 

इसके साथ ही हाईकोर्ट का स्टे भी प्रभावशून्य हो गया है और अब सीएमओ द्विवेदी को मु य नगरपालिका अधिकारी शिवपुरी के पद से विदा लेनी होगी। नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना ने बताया कि उन्हें उच्च न्यायालय में नगरपालिका के अभिभाषक श्री सूर्यवंशी ने सीएमओ के स्टे को खारिज होने की बात बताई है, लेकिन अभी निर्णय की प्रति नहीं आई है। प्रति प्राप्त होने के बाद वह विधि सलाहकारों से चर्चा कर उचित निर्णय लेंगी। सूत्र बताते हैं कि श्री द्विवेदी का स्टे इस आधार पर खारिज किया गया है कि उन्होंने लोकायुक्त में अपने विरूद्ध प्रचलित प्रकरण की जानकारी हाईकोर्ट को नहीं दी।

अपनी कार्यप्रणाली का प्रभाव छोडऩे में नाकाम रहे सीएमओ

यहां बताना होगा कि मु य नगरपालिका अधिकारी पीके द्विवेदी अपनी कार्य प्रणाली से न तो प्रशासन, न राजनेता और न ही जनता को संतुष्ट कर पाए थे जिसके चलते वह अपना प्रभाव बनाने में नाकाम साबित हुए। उनके सीएमओ पद पर रहते हुए शहर में सूअरों का आतंक बढ़ गया था और नगरपालिका की स्वच्छंद कार्यप्रणाली से जनजीवन त्रस्त हो गया। शिवपुरी विधायक और प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने उन्हें शहर को सूअरों के आतंक से मुक्ति दिलाने का जि मा सौंपा था, लेकिन श्री द्विवेदी ने इस दिशा में कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किए। उनकी कार्यप्रणाली से जिले की प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले और यशोधरा राजे सिंधिया खासी नाराज थीं। दोनों मंत्रियों ने बैठक में उनकी कार्यप्रणाली को लेकर उन्हें लताड़ लगाई थी।

भ्रष्टाचार मामले में हुए थे गिरफ्तार

सीएमओ द्विवेदी को लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के मामले में रिश्वत लेने के आरोप में गिर तार भी किया था। इसी कारण शासन ने उनका स्थानांतरण रायसेन में परियोजना अधिकारी के पद पर मार्च माह के दूसरे सप्ताह में कर दिया था। श्री द्विवेदी को पदमुक्त कर उनके स्थान पर चार्ज स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा को दे दिया गया था, लेकिन इस स्थानांतरण के खिलाफ श्री द्विवेदी उच्च न्यायालय में जा पहुंचे। उन्होंने तर्क पेश किया कि जब पीओ डूडा के पद पर नगरपालिका के किसी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है तो उसकी स्वीकृति आवश्यक है।

पीओ डूडा नियुक्ति पर लाए थे स्टे ऑर्डर

सीएमओ द्विवेदी का तर्क था कि उन्हें पीओ डूडा के पद पर नियुक्त करने के पूर्व उनसे स्वीकृति नहीं ली गई। इसी आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने श्री द्विवेदी के पक्ष में स्टे ऑर्डर जारी कर दिया और नगरपालिका तथा प्रशासन को नोटिस जारी कर उनसे उनका पक्ष पूछा। इस आधार पर श्री द्विवेदी ने फिर से अपना पदभार संभाल लिया। इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल ने पक्ष-विपक्ष की बहस सुनने के बाद श्री द्विवेदी के पक्ष में जारी स्टे ऑर्डर को खारिज कर दिया और इसके साथ ही श्री द्विवेदी की शिवपुरी से विदाई तय हो गई। सूत्र बताते हैं कि यदि फैसले की प्रति नगरपालिका को आज प्राप्त हो गई तो सीएमओ द्विवेदी को शीघ्र ही रिलीव्ह कर दिया जाएगा।