बैराढ़ हत्याकांड: हत्यारोपी पुलिसवालों को बचाने में जुटा विभाग

शिवपुरी। जिले के बैराड़ में 15 अप्रैल को पुलिस हिरासत में विजय जाटव की मौत के बाद पुलिस अधीक्षक ने तीन पुलिसकर्मियों एएसआई महेन्द्र पाल सिंह चंदेल, प्रधान आरक्षक रामकुमार झा एवं आरक्षक महेश शर्मा को निलंबित अवश्य कर दिया है, लेकिन अभी किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

इस मामले में कोटवार सोहन सिंह परिहार उर्फ कारे ने जो रिपोर्ट लिखाई उसके आधार पर बैराड़ पुलिस ने ढिल्लन शर्मा, राजू बाथम, जीतू रावत, जगदीश रावत, सुनील रावत और संतोष कुशवाह के विरूद्ध हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। जबकि मृतक के परिजनों का साफ आरोप है कि विजय जाटव की मौत पुलिसकर्मियों द्वारा की गई पिटाई से हुई है और कोटवार ने अपने दुश्मनों को फंसाने के लिए आरोपियों के विरूद्ध झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है, लेकिन इसका पुलिस फायदा उठा रही है और आरोपीगण दहशत में हैं।

 इस मामले में जहां एसपी के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह जांच कर रहे हैं वहीं मृतक के हरिजन होने के कारण इसकी जांच अजाक पुलिस द्वारा भी की जा रही है। अजाक पुलिस ने एसपी को सौंपी जांच रिपोर्ट में चार आरोपियों को क्लीन चिट दी है जबकि दो के विषय में अभी जांच बांकी है। इसके बावजूद भी कथित रूप से फंसाए गए आरोपीगण दहशत में हैं।

बैराड़ कस्बे में हनुमान मंदिर पर लगे मेले में चल रहीं कुश्तियों के दौरान मृतक का कुछ लोगों से विवाद हुआ। बताया जाता है कि मृतक विजय जाटव शराब पीए हुए था और उसी दौरान उसका एएसआई चंदेल से विवाद हुआ। जिसका परिणाम यह हुआ कि सार्वजनिक रूप से उसकी पुलिस ने पिटाई की और थाने ले जाकर उस पर थर्ड डिग्री का प्रयोग किया गया। जब उसकी हालत खराब हो गई और वह मरणासन्न हो गया तो पुलिसकर्मी उसे बैराड़ अस्पताल के बाहर पटककर चले गए। मृतक के परिजन पुलिस के भय से उसे लेकर घर आ गए तथा उसकी हालत जब बिगड़ी तो विजय को जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया।

जहां उसने दम तोड़ दिया। लेकिन पुलिस ने आनन-फानन में कोटवार की रिपोर्ट पर 6 अन्य आरोपियों पर मामला दर्ज कर लिया। बताया जाता है कि कोटवार की आरोपीगणों से रंजिश थी। इस कारण उसने आरोपियों को फंसाया था, लेकिन पुलिस ने इसे अपने पक्ष में लिया। बाद में जब मृतक के परिजनों ने चक्का जाम किया तब पुलिस अधीक्षक ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और मामले की जांच की घोषणा कर दी। इस मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह कर रहे हैं, लेकिन आरोपियों के परिजन निश्चिंत नहीं हैं। उन्हें लग रहा है कि जांच में पुलिसकर्मियों को सहयोग मिल सकता है।