मोदी से लेकर शिवराज और पवैया सिंधिया की घेराबंदी में जुटे

शिवपुरी। पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने गुना लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया की जबर्दस्त घेराबंदी का तानाबाना बुना है। इस खेल में एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।

यहां तक कि नरेन्द्र मोदी भी पवैया और शिवराज सिंह चौहान के सुर में सुर सिंधिया के विरोध में मिला रहे हैं। भाजपा की आक्रामकता का जवाब सिंधिया अपनी सधीसधाई पारी से दे रहे हैं। 2007 के उपचुनाव में जहां श्री सिंधिया का आक्रामक रूप देखने को मिला था। वहीं इस बार वह हमले के तेवर देखते हुए कभी रक्षात्मक तो कभी आक्रामक ढंग से जवाब दे रहे हैं।

गुना लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने के लिए भाजपा ने पूरी तैयारी के साथ कदम बढ़ाया है। भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया जहां सामंतवाद को मुद्दा बनाकर श्री सिंधिया की घेराबंदी में व्यस्त हैं। वहीं मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उन्हें झूठा साबित करने पर तुले हुए हैं। शिवपुरी आए नरेन्द्र मोदी ने श्री सिंधिया को जहां अहंकारी कहकर श्री पवैया के आरोप पर मोहर लगाई है। वहीं फर्जी मेडीकल कॉलेज की बात कर उन्होंने मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री का समर्थन किया है।

सिंधिया पर क्षेत्र के मतदाताओं से धोखाधड़ी करने तक के आरोप लगाए गए हैं। लेकिन श्री सिंधिया अपने पर ब परों की बौछार से बेफिक्र हैं। कोशिश पूरी की जा रही है कि वह बौखलाकर ऐसा कुछ बयान दें जिससे वह फंस जाएं, लेकिन राजनीति के चतुर खिलाड़ी सिंधिया जाल में फंसने के लिए तैयार नहीं हैं। जब श्री सिंधिया पर आरोप लगाया जाता है कि वह महाराज और श्रीमंत कहलवाकर सामंतवादी होने का सबूत दे रहे हैं। उन्होंने अपने आस-पास नकली आभा मण्डल विकसित कर लिया है तो इस बाउंसर को अटैक करने की बजाय श्री सिंधिया रक्षात्मक अंदाज से खेलकर अपना बचाव करते हुए दिखते हैं। उनके बैनर, पोस्टरों और होर्डिग्ंस पर अब श्रीमंत और महाराज जैसे शब्दों का विलोपन हो गया है।

जब यह कहा जाता है कि वह किसी से हाथ नहीं मिलाते। सिर्फ हाथ हिलाते हैं तो इसके बारे में भी सिंधिया का रक्षात्मक जवाब है कि इस आरोप का मैं क्या जवाब दूं। इसका जवाब तो क्षेत्र की जनता देगी कि मैं सामंतवादी हूं या जनता के दुख-सुख का साथी। श्री मोदी द्वारा उन्हें अहंकारी कहे जाने पर भी श्री सिंधिया विचलित होते हुए नहीं दिखते। वह कहते हैं कि यदि गुजरात को 4 पुरस्कार मिले तो मुझे दुख नहीं,खुशी हुई। यह कहना कि मैंने गुजरात को पुरस्कार मिलने के बाद स मान समारोह में जाना रद्द किया सरासर गलत है। श्री सिंधिया कहते हैं कि ऐसे कार्यक्रम की शुरूआत मैंने ही की थी।

यह बात अवश्य सत्य है कि मैं व्यस्तता के कारण उस कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाया। मेडीकल कॉलेज के मामले में तो सिंधिया की घेराबंदी करने के पु ता प्रयास किए गए। स्थानीय नेताओं से लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा, मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र मोदी ने उन पर आरोप लगाया कि मेडीकल कॉलेज की स्वीकृति की बात गलत है। शिवपुरी के लिए कोई मेडीकल कॉलेज स्वीकृत नहीं हुआ। न तो कॉलेज के लिए जमीन है और न ही फण्ड का आबंटन। सिर्फ सिंधिया अपनी हार के डर से मेडीकल कॉलेज की स्वीकृति को झूठा प्रचारित कर रहे हैं।

लेकिन इस मुद्दे पर श्री सिंधिया ने प्रबलता से अपना पक्ष स्पष्ट किया और साबित किया कि शिवपुरी के लिए उनके प्रयासों से मेडीकल कॉलेज स्वीकृत हुआ है। ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के लिए सिंधिया केन्द्र सरकार से एक पैसा भी नहीं दिलवा पाए। यह कहकर भी मु यमंत्री और नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त रूप से सिंधिया की घेराबंदी की, लेकिन यहां भी कागजी प्रमाण सिंधिया के पक्ष में थे। जो उन्होंने प्रस्तुत कर वस्तु स्थिति स्पष्ट कर दी। कुल मिलाकर अभी तक तो सिंधिया ने साबित किया है कि यदि उनकी घेराबंदी की जाती है तो उस चक्रव्यूह से निकलना भी उन्हें बखूबी आता है। अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसकर राजनीति के हासिए पर उन्हें ढकेलने की विरोधियों की पहल सफल हो। इसके लिए उन्हें कुछ अधिक मेहनत निश्चित रूप से करनी होगी।