शिवपुरी। जिला सत्र न्यायाधीश एएस तोमर ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए छत्तीसगढ़ के रायपुर सचिवालय में पदस्थ सयुक्त सचिव लाखन सिंह केन, रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर आरएन शर्मा तथा एडवोकेट मनीष वर्मा को धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी करार देते हुए तीनो को 2-2 वर्ष का कारावास तथा 10-10 हजार रूपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है।
इस मामले में उमाकांत व योगेन्द्र सिंह नाम के दो आरोपी घटना के बाद से फरार है जबकि 5 अन्य आरोपियों को न्यायालय ने दोष मुक्त कर दिया है। मामले की पैरवी शासकीय अतिरिक्त लोक अभियोजक वीरेन्द्र कुमार शर्मा ने की।
अभियोजन के मुताबिक 30 मार्च 1996 को करैरा में आईटीवीपी के लिए ग्राम कलोथरा की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उस समय किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि में घालमेल करने व किसानों की बजाए खुद मुआवजा राशि हड़पने पर शिवपुरी में पदस्थ एसडीएम लाखन सिंह केन, डिप्टी कलेक्टर आरएन शर्मा, एडवोकेट मनीष वर्मा, उमाकांत, योगेन्द्र सिंह सहित 10 लोगो पर धारा 420, 409 आईपीसी के तहत मुकादमा दर्ज कर चालान न्यायालय में लोकायुक्त पुलिस द्वारा पेश किया गया। मामले में सुनवाई के
दौरान एसडीएम श्री केन को आईएएस अवार्ड दिया गया और उनको छत्तीसगड कैडर भेज दिया गया। वे वर्तमान में सचिवालय में संयुक्त सचिव है। मामले में सुनवाई के दौरान आज मंगलवार को जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एएस तोमर ने साक्ष्य व सबूतो को ध्यान में रखते हुए आईएएस श्री केन, रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर आरएन शर्मा व एडवोकेट मनीष वर्मा को दोषी करार देते हुए 2-2 वर्ष का कारावास तथा 10-10 हजार का जुर्माना जमा करने की सजा सुनाई है। हालांकि सजा 3 वर्ष से कम थी इसलिए तुरंत तीनों आरोपियों की जमानत ले ली गई है। मामले में आरोपी अब उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
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