चोरों की हो गई होली, स्वर्ण छत्र, सिंहसन, अभूषण सहित जैनप्रतिमा चोरी

शिवपुरी। इधर शिवपुरी पुलिस बैक टू बैक डाकुओं को वारदात से पहले ही अरेस्ट कर रही है तो उधर चोर बैक टू बैक चोरियों में जुटे हुए हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब शिवपुरी में चोरी की वारदात ना होती है। इधर बाजार होली आफर्स पेश कर रहा है तो चोरों ने भी हाली की धमाकेदार चोरी कर डाली। सेसई के प्रख्यात शांतिनाथ नौगजा दिगम्बर जैन अतिशत क्षेत्र से ना केवल भगवान शांतिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा उड़ा ले गए बल्कि उनका स्वर्ण छत्र, चांदी का सिंहासन व शेष सामान भी समेट ले गए।

घटना से पहले चोरों ने मंदिर के पुजारी और माली के कमरों के बाहर ताले लगा दिए थे इससे यह प्रतीत होता है कि चोर मंदिर की पहले ही रैकी कर चुके थे और उन्हें मंदिर की हर चीज का पता था साथ ही उन्हें यह भी जानकारी थी कि मंदिर के पुजारी किस कमरे में सोते हैं और माली किस कमरे में। इसके बाद ही चोरी की घटना को अंजाम दिया। उक्त चोर मंदिर में दो छुरे भी छोड़ गए हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह पूरी तैयारी के साथ चोरी करने के लिए आए हुए थे।

मंदिर के पुजारी प्रेमचंद जैन पुत्र रज्जूलाल जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि शाम को पूजा के बाद उनके द्वारा मंदिर के दरबाजे बंद किए गए थे और वह मंदिर के बाहर स्थित दूसरी मंजिल पर अपने कमरे में जाकर सो गए थे। वहीं मंदिर का माली काशीराम पुत्र तुलसीदास कुशवाह नीचे वाले कमरे में रहता है, लेकिन कल वह उस कमरे में नहीं सोया और वह मंदिर के दूसरी ओर बने कमरे में जाकर सो गया।

रात्रि के समय जब चोर चोरी करने के लिए आए तो उन्होंने पहले उनके कमरे के बाहर दरबाजे की कुंदी लगाकर उसमें ताला लगा दिया और बाद में नीचे स्थित माली काशीराम के कमरे में भी बाहर से ताला जड़ दिया। इसके बाद मंदिर के पीछे स्थित दरबाजे में धक्का दिया जिससे उसका डण्डाला (कुंदी) मुड गया और दरवाजा खुल गया।

बाद में चोरों ने अंदर प्रवेश कर वहां लगी शटर के दोनों ताले तोड़ दिए और गर्भगृह तक पहुंचे। जहां गर्भगृह पर कांच का दरबाजा लगा हुआ था और वह लॉक था। चोरों ने किसी हथियार की सहायता से उसका लॉक टेडा कर दिया और गर्भगृह में प्रवेश कर वहां रखी अष्ट धातु से निर्मित मूर्ति जिसका वजन करीब 12 किग्रा. था वह उठा ली। वहीं चांदी का एक छत्र जो 3 किग्रा. का था उसे भी निकाल लिया। इसके बाद चोरों ने वहां रखे छोटे-छोटे 10 छत्र भी चोरी कर लिए और 5 पीतल के सिंहासन, 1 चांदी का लौटा, 2े कलश चांदी, 5 यंत्र, 1 चमर चांदी चोरी कर लीं।

रात्रि में जब प्रेमचंद शौच के लिए उठे और उन्होंने दरवाजा खोलने का प्रयास किया तो दरवाजा नहीं खुला। बाद में उन्होंने जोर-जोर से आवाजें लगानी शुरू कर दीं। आवाजें सुनकर माली काशीराम जाग गया और वह प्रेमचंद के कमरे तक पहुंचा जहां ताला लगा हुआ था। उसने ताला निकालकर प्रेमचंद को बाहर निकाला और जब मंदिर में जाकर देखा तो वहां सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था।

जिससे वह भांप गए कि मंदिर में चोरी हुई है और उन्होंने मोबाईल से सूचना देनी शुरू कर दी। चोरी की खबर लगते ही समाज के लोग मंदिर पर एकत्रित होने लगे और पुलिस को भी सूचना दे दी गई।

कलेक्टर और एसपी पहुंचे घटनास्थल पर सूचना पाते ही कलेक्टर आरके जैन घटनास्थल पर पहुंचे और मौका मुआयना किया। बाद में एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार और एडीशन एसपी आलोक सिंह व कोलारस एसडीओपी बीके छारी, शिवपुरी एसडीओपी एसकेएस सिंह सिकरवार भी मौके पर पहुंच गए। इसके बाद फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट और स्नोफर डॉग को भी घटनास्थल पर लाया गया, लेकिन चोरों का कोई सुराग नहीं लग सका।

मंदिर में चल रहा था पुताई का कार्य

मंदिर प्रांगण में हाल ही में नए कमरे बनाए गए थे और पिछले 3-4 दिनों से वहां रंगाई-पुताई का कार्य चल रहा था। पुलिस को संदेह है कि पुताई करने वाले इस घटना में शामिल हो सकते हैं। इसलिए पुलिस उन पुताई करने वालों से भी पूछताछ करने का मन बना रही है।

दानपात्र से नहीं लगाया हाथ

मंदिर के पुजारी प्रेमचंद जैन का कहना है कि चोर मंदिर की पहले ही रैकी कर चुके होंगे,क्योंकि उन्हें यह जानकारी थी कि वह किस कमरे में सोते हैं और माली किस कमरे में। साथ ही उनहें यह भी जानकारी रही होगी कि रात्रि के समय मंदिर पर कितने लोग रूकते हैं। चोरों ने यह भी जानकारी जुटा ली होगी कि दानपात्र का पैसा प्रतिदिन निकाल लिया जाता है। इसीलिए चोरों ने मंदिर में रखे चांदी के छत्रों और मूर्ति पर ही हाथ साफ किया। जबकि दानपात्र से चोरों ने हाथ तक नहीं लगाया।

स्थानीय बदमाशों का हाथ होने की आशंका: एसपी सिकरवार पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जानकारी दी कि इस चोरी में स्थानीय बदमाशों का हाथ होने की आशंका है। जिन्होंने अष्टधातु की मूर्ति को सोने की समझकर चोरी की है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर अलग-अलग तरह के जूतों के निशान हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चोर सं या में 2 से 3 हो सकते हैं। साथ ही चोरों को मंदिर की हर व्यवस्था की जानकारी  थी और उन्होंने बड़े ही चालाकीपूर्ण तरीके से घटना को अंजाम दिया है।

सुरक्षित रही 16 वीं शताब्दी की भगवान शांतिनाथ की पाषाण प्रतिमा सेसई जैन मंदिर में भगवान शांतिनाथ की 16वीं शताब्दी की पाषाण प्रतिमा भी विराजमान है। यह बहु ाूल्य मूर्ति है और पुरातत्व की दृष्टि से इस मूर्ति का बहुत महत्व है, लेकिन चोरों ने इस भारी भरकम मूर्ति को हाथ भी नहीं लगाया। इससे पुलिस को आशंका है कि बारदात में किसी मूर्ति तस्कर गिरोह का हाथ होने की संभावना कम है।