शिवपुरी। जिला पंचायत अंतर्गत होने वाले निर्माण कार्यों में बीआरजीएफ योजना की राशि को किस तरह से जिला पंचायत के दो परियोजना अधिकारी मटियामेट कर रहे है इसे मय प्रमाण के साथ बीते एक माह पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतीश फौजी ने सदन में उठाया और कई ऐसे कार्य बताए जहां मनरेगा योजना को धता बताकर मशीनों का उपयोग कर निर्माण कार्य किए गए। इसके साथ ही नियमों की अव्हेलना करने वाले इन दोनों ही परियोजना अधिकारियों अब भी जिला पंचायत में ही पदस्थ है जिससे इनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है।
बीते एक माह पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतीश फौजी ने साधारण सभा के स मेलन में मुखर विरोध दर्ज कराते हुए जिला पंचायत के दो परियोजना अधिकारी सुरेन्द्रशरण अध्वर्यु और वी के शर्मा के विरूद्ध हुंकार भरी थी। यहां सदन में इनके भ्रष्टाचार और निर्माण कार्यों में घालमेल को लेकर कई शिकायतें की गई, इतना सब होने के बाद भी यह दोनों अधिकारी बदस्तूर अपने-अपने कार्यस्थल पर डटे हुए है। यहां होने वाले भ्रष्टाचार को यह और अधिक बढ़ावा दे रहे है ऐसे भी आरोप लगाए जा रहे है।
मनरेगा के परियोजना अधिकारी पर लगाए आरोप जिपं सदस्य सतीश फौजी ने आरोप लगाया था कि जिला पंचायत में मनरेगा के परियोजना अधिकारी सुरेन्द्रशण अध्वर्यु और वी के शर्मा द्वारा मिलकर वर्ष 2010-11 के बजट को मटियामेट करने में लगे हुए है। इनके द्वारा मनरेगा योजना के तहत मजदूरों से काम कराया जाना था लेकिन काम मशीनों के द्वारा कराया गया जिससे मनरेगा के लाभान्वित हितग्राही शासन की योजना से वंचित रहे और अधिकारियों ने अपना काम निकाल लिया।
प्रमोशन के बाद भी नहीं गए मूल विभाग में वापिस बताया गया है कि इन दोनों अधिकारियों का प्रमोशन भी हो चुका है जबकि प्रमोशन के बाद तो अधिकारी और प्रफुल्लित होकर आगे बढऩे की कोशिश करता है मगर मनरेगा और जिला पंचायत की योजनाओं में हो रही खुली लूटखसोट में इन दोनों अधिकारियों की इतनी अधिक मिलीभगत है कि यह प्रमोशन पाकर भी अपने मूल विभाग में जाना नहीं चाहते। कारण साफ है कि यहां करोड़ों का बजट बंटाढार करने का मौका इन्हें मिलेगा।
नियम विरूद्ध डटे अपने सेवाकाल में
शासन की मंशानुरूप कोई भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी नियमानुसार एक ही जिले में तीन वर्ष से अधिक नहीं रह सकता लेकिन शिवपुरी जिला पंचापयत में पदस्थ दोनों परियोजना अधिकारी सुरेन्द्र शरण और वी के शर्मा आज भी अपने कार्यकाल समाप्ति के 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्यरत है। ऐसे में यहां शासन के नियमों की अव्हेलना हो रही है। इस मामले में भी कार्यवाही की जाना चाहिए लेकिन जिपं सीईओ के संरक्षण के चलते यह अधिकारी आज भी अपने
पद पर बदस्तूर डटे हुए है।
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