लेकिन सीएमओ का रिेंग मास्टर कौन है

शिवपुरी। नगरपालिका का रिश्वतखोर सीएमओ को पकड़ा गया। एक बाबू भी धर लिया गया लेकिन क्या इतने भर से नगरपालिका की परंपरा बन गई रिश्वतखोरी बंद हो जाएगी। सीएमओ तो वो शेर था जो शिकार किया करता था परंतु सवाल तो यह है कि इस शेर का रिंग मास्टर कौन है और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है।

एनओसी एक सामान्य प्रक्रिया होती है, कुछ सालों पहले तक प्रमोशन पाने वाले कर्मचारी प्रमोशन की खुशी बांटने के लिए मिठाई का डब्बा साथ ले जाया करते थे और अफसर शुभकामनाओं सहित एनओसी जारी कर दिया करते थे। यह व्यवहारिकता थी, लेकिन आज हालात बदल गए हैं। अफसर मिठाई का डब्बा तो मांगते हैं लेकिन मिठाई भरकर नहीं नोट भरकर। सवाल यह उठता है कि मोटी तनख्वाह पाने वाले अफसरों को इतने छोटे छोटे कामों में रिश्वतखेरी करने की जरूरत ही क्या है।

हमारे सूत्र बताते हैं कि यह सबकुछ उनकी मर्जी से नहीं होता। नगरपालिका में हर काम की रेटलिस्ट तैयार है। इससे ज्यादा वसूलने वाले अफसर प्रिय होते हैं परंतु इससे कम पर कोई समझौता नहीं होता। कुछ भाजपाई सूत्रों का कहना है कि हालत यहां तक बदतर हो गए हैं कि भाजपाईयों के काम भी बिना सुविधा शुल्क के नहीं होते। फर्क बस इतना है कि उन्हें आम आदमी से थोडा कम अदा करना पड़ता है।

नगरपालिका में चल रही इस आकंठ रिश्वतखोरी के पीछे रिंगमास्टर कौन है यह सभी जानते हैं और यह भी सभी जानते हैं कि एक सीएमओ के शहीद हो जाने से रिश्वतखोरी पर फतह नहीं पाई जा सकती। रिंगमास्टर के खिलाफ कार्रवाई होना जरूरी है और वो कम से कम लोकायुक्त तो नहीं कर सकता। इसके लिए तो श्रीमंत को ही कुछ करना होगा।

देखना रोचक होगा कि क्या श्रीमंत इस मामले को गंभीरता से लेंगी।