क्या शिवपुरी कभी सिस्टमेटिक सिटी बन पाएगी

शिवपुरी। शिवपुरी शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींच लेने के कारण शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का वह सपना अधूरा है।

स्थिति यह है कि सड़कों पर अराजकता का माहौल निर्मित है। जहां हाथ ठेला चालक और वाहन चालकों द्वारा सड़कों को घेर लिया जाता है। जिससे शहर के मुख्य बाजारों में जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है और यह स्थिति तब और भी भयानक हो जाती है जब कोई बारात या कोई जलसा-जलूस शहर से गुजरता है। उस समय शहर की जो दुर्दशा देखने को मिलती है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर को सजाने और संवारने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है। वह अपने कर्तव्यों का कैसे निर्वहन करते हैं।

हालात यह है कि माधव चौक चौराहे से लेकर अस्पताल चौराहे तक शहर का सबसे व्यस्ततम मार्ग है, लेकिन इस मार्ग की दुर्दशा देखकर लोगों का दम निकल जाता है। जहां सुबह से शाम तक बेतरतीब खड़े वाहन, ठेले वाले, ऑटो चालक पूरी सड़क को जाम कर देते हैं। रही सही कसर दुकानदारों द्वारा निकाल दी जाती है और उसके बाद जब जाम की स्थिति बनती है तो घंटों उस सड़क पर जाम लग जाता है। ऐसी ही स्थिति माधव चौक से छत्री रोड़ की है। जहां चौड़ी सड़कों को इतना सकरा कर दिया है कि दिनभर वहां जाम के हालात निर्मित रहते हैं, लेकिन  ट्रेफिक व्यवस्था को सुधारने वाली पुलिस इन हालातों से अनभिज्ञ है। वहीं पूरे शहर को स्वच्छ रखने की जि मेदारी और सड़कों पर पसरी अराजकता को साफ करने के लिए नगरपालिका जि मेदार है। लेकिन दोनों ही विभाग अपनी जि मेदारियों से दूर होते दिख रहे हैं। यह तो शहर की जाम की समस्या है।

सिग्नल तो लगे लेकिन जानकारी के अभाव में नहीं हो रहा क्रियान्वयन
अगर और भी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए तो कई समस्याएं सामने आती हैं। ट्रेफिक विभाग द्वारा टे्रफिक सुधार के लिए गुरूद्वारा चौराहे पर सिग्रलों की व्यवस्था की गई, लेकिन जानकारी के अभाव में सिग्रलों का क्रियान्वयन ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। वहीं ट्रेफिक पुलिस यातायात व्यवस्था को छोड़ चालान करने में मशगूल है। जबकि पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने प्रतिदिन शाम के समय पुलिसकर्मियों को शहर में घूमकर ट्रेफिक व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया और उनके निर्देशों के बाद पुलिसकर्मी सड़कों पर उतरे तो व्यवस्था बनी, लेकिन यह निर्देश ज्यादा समय तक नहीं चला और कुछ दिनों तक तो पुलिस सड़कों पर दिखी, लेकिन अब पुलिस वहां से नदारत है। ऐसी स्थिति में जिन जि मेदारों के हवाले यह शहर है। वह जि मेदार लोग ही अपनी जि मेदारी नहीं निभा रहे तो कौन शहर को इन अराजकताओं से बचाएगा?

खराब सड़कें, सूअर, गंदगी और पानी की समस्या से जूझता शहर

यही हाल नगरपालिका का है। जहां शहर को सुंदर और साफ रखने के लिए कई करोड़ रूपये खर्च कर दिए गए, लेकिन शहर का वास्तविक रूप अगर देखा जाए तो वह एक डस्टविन की तरह है। जहां सिर्फ गंदगी, सूअर, सड़के विहीन शहर नजर आता है। नगरपालिका द्वारा सड़कों का जाल बिछाने का दावा तो किया गया, लेकिन हकीकत देखी जाए तो सड़कों की जगह गड्ढ़े अधिक दिखाई देते हैं और बरसातों में शहर की जो स्थिति दिखाई देती है तब जमीनी हकीकत का सामना होता है। शहर में पानी की समस्या को खत्म करने के लिए मड़ीखेड़ा परियोजना का काम शुरू किया गया है, लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद आज भी यह काम अधूरा है।