शिवपुरी। पिछोर के अपर सत्र न्यायाधीश वी एस पाटीदार ने एक कलियुगी बाप द्वारा अपनी ही सात वर्ष की बेटी का बालात्कार करने के मामले की, सुनवाई करते हुए आरोपी बाप को आजीवन कारावास की सजा सुनार्ई है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 15 जुलाई 2013 को फरियादी प्रेमाबाई आदिवासी ने अपनी सात वर्ष की पुत्री के साथ अपने ही पिता द्ववारा बालात्कार की रिपोर्ट पिछोर थाने में दर्ज कराई थी। जिसमें फरियादी के अनुसार 14 जुलाई की शाम वह अपने घर खाना बना रही थी तभी उसका पति भगुन्ता उर्फ परमा पुत्र भस्सू आदिवासी उम्र 50 वर्ष आया और लड़की के बारे मे पूछने लगा इस पर से पत्नि ने कहा कि वह खेत पर जानवर भागने गई है। यह पूछकर पिता खेत की ओर चला गया। कुछ देर बाद उसकी पुत्री खेत की ओर से रोती हुई आई और अपनी मॉ से कहा कि उसका पिता ने उसका खेत पर जबरन बालात्कार कर दिया।
महिला ने इस घटना की रिपोर्ट पिछोर थाने में दी इस पर से पुलिस ने इस कलियुगी बाप के खिलाफ बालात्कार के अतिरिक्त लैगिंग अपराधो से बालकों का सरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसी बीच पुलिस की विवेचना मेें यह बात आई कि आरोपी भगन्ता इससे पूर्व भी बालात्कार के आरोप में सात वर्ष का कारावास और 500 रूपये का अर्थदण्ड़ की सजा भुगत चुका है।
मामले के सुनवाई करते हुए न्यायालय में पेश किए गवाहों ओर सबूंतो के आधार पर न्यायाधीश ने आरोपी भगन्ता उर्फ परमा को अपनी ही बेटी का बालात्कार करने के आरोप में आजीवन कारावास और 500 रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
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