तीन माह बिछड़ा बालक मॉं-बाप से मिला

शिवपुरी। आखिरकार चाईल्ड लाईन और बाल रक्षा समिति की मेहनत रंग लाई। तीन माह से बछड़े बालक हमलाल का अपने माता-पिता से मिलन हो गया। उस समय दृश्य बड़ा भावुक हो गया था। जब हमलाल अपने पिता शैतान सिंह गुर्जर और चाचा से मिलकर खुशी के मारे उनसे लिपट गया और फूट-फूटकर रो पड़ा। पिता की आंखे भी भर आईं। बाद में हमलाल अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने गांव मेघामानपुरा चला गया।

उक्त बालक हमलाल शिवपुरी में बायपास पर स्थित गुलमोहर होटल के संचालक गौरव शर्मा को भटकता हुआ मिला। उन्होंने दया कर उसे अपने यहां रख लिया, लेकिन साथ ही चाईल्ड लाईन और बाल रक्षा समिति को उसके बारे में सूचना दे दी। बाल रक्षा समिति के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने चाईल्ड लाईन को निर्देश दिया कि उक्त बालक को कोटा के पास स्थित गांव मेघामनपुरा ले जाया जाए। 

चाईल्ड लाईन ने इसके लिए पहले कोटा की चाईल्ड लाईन से संपर्क किया और उनसे बालक द्वारा बताए गए गांव की जानकारी देने के लिए कहा। जानकारी सत्य निकली तो चाइल्ड लाईन के कर्मचारी मेघामानपुरा पहुंचे। जहां उन्होंने सरपंच से संपर्क स्थापित किया तो पता चला कि बालक हमलाल गांव के शैतान सिंह गुर्जर का पुत्र है।

हमलाल की मां का नाम हैतानी है। जिसका मुंहबोला भाई हमलाल को यह कहकर तीन माह पूर्व ले गया था कि वह उससे भेड़ें चरवाएगा। इसके एवज में उसे खाना, कपड़े, आश्रय आदि देगा। शैतान सिंह गरीब व्यक्ति है इसलिए वह सहमत हो गया। दो माह बाद जब उसे अपने पुत्र की याद आई तो उसने भेड़ पालक से संपर्क स्थापित कर अपने पुत्र से बात कराने को कहा, लेकिन भेड़ पालक लगातार शैतान सिंह को टालता रहा। असल में हुआ यह था कि हमलाल के भेड़ चराने के दौरान एक भेड़ गुम हो गई थी। जिस पर भेड़पालक ने उसे भेड़ ढूंढ़कर लाने को कहा।

भेड़ की तलाश में हमलाल भटक गया और भटकते-भटकते वह शिवपुरी आ गया। कोटा चाईल्ड लाइन के कर्मचारियोंं ने शैतान सिंह से कहा कि उनका पुत्र सुरक्षित शिवपुरी में है और उसे पुत्र के लिए शिवपुरी जाना पड़ेगा। इस पर शैतान सिंह, उसका भाई, सरपंच पुत्र और एक अन्य व्यक्ति शिवपुरी आए। जहां उन्होंने अपनी पहचान बताई और बच्चे को चाईल्ड लाइन ने उनके सुपुर्द कर दिया।