सनसनीखेज खबर के लिए परिवार की प्रतिष्ठा का गैंगरेप

राजू ग्वाल/शिवपुरी। एक अखबार की प्रतिबद्धता सरकार के प्रति नहीं होती परंतु समाज के लिए हमेशा होती है। उसकी कोई आचार संहिता नहीं होती परंतु नैतिक आचरण नियम होते हैं और दैनिक भास्कर ने आज इन्हीं नियमों को तोड़ते हुए महज सनसनीखेज खबर छापने की गरज से एक परिवार की प्रतिष्ठा का सामूहिक बलात्कार करवा डाला।

शिवपुरी में वितरित हुए दैनिक भास्कर ने '21 को होनी थी शादी, छह को दुल्हन गायब हो गई' शीर्षक के साथ एक खबर को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया है। इतनी प्रमुखता के साथ मानो इस जानकारी को शिवपुरी की जनता की जानकारी में लाना बहुत जरूरी हो। शीर्षक पढ़ने पर लगता है कि दुल्हन का अपहरण हुआ होगा या फिर शायद किसी अज्ञात शक्ति ने उसे गायब कर दिया परंतु जब खबर के अंतर जाएं तो समझ आ रहा है कि यह तो महज सनसनीपैदा करने के लिए एक परिवार की प्रतिष्ठा के साथ किया गया गैंगरेप है।

खबर शिवपुरी के एक निर्धन  हैंडपंप मैकेनिक रमेश से जुड़ी है। उन्होंने अपनी बेटी का विवाह एक सुयोग्य वर के साथ तय किया था। विवाह की तारीख थी 21 जनवरी लेकिन 8 जनवरी को ही उनकी बेटी ने प्रेम विवाह कर लिया।

सवाल यह उठता है कि समाज में सामान्यत: जिन सूचनाओं को प्रसारित होने से रोका जाता है उसे दैनिक भास्कर ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित क्यों किया। एक अखबार का धर्म है कि वो लोगों के बीच उन सूचनाओं को लेकर पहुंचे जो उनके लिए या तो उपयोगी हों या फिर उनकी समस्याओं को दूर करने में सहायक हों।

समझ नहीं आ रह कि यह खबर आम जनता के लिए किस प्रकार से उपयोगी हो सकती है या फिर यह ऐसी कौन सी समस्या है जिसे इतनी जोर से चिल्लाचिल्लाकर प्रशासन को बताने की जरूरत पड़ गई।

युवती अपने पिता के निर्णय से सहमत नहीं थी, उसने प्रेम विवाह कर लिया। निश्चित रूप से युवती ने अपने पिता के प्रति सामाजिक अपराध किया है। इस प्रकरण में पिता पीड़ित है परंतु दैनिक भास्कर ने तो पीड़ित पिता की पीड़ा कई गुना बढ़ा दी। वो जिस प्रतिष्ठा को बचाने के लिए जतन कर रहा था, उसी का बलात्कार कर डाला।

प्रश्न यह है कि दैनिक भास्कर द्वारा छापी गई इस खबर का टारगेट क्या है। क्यों उसने इस प्रकरण को हवा दी जबकि ऐसे तमाम उदाहरण समाज में भरे पड़े हैं और आए दिन घटित हो रहे हैं। इस सामाजिक विसंगति पर तमाम बुद्धिजीवी चिंतित भी हैं और निराकरण के प्रयास भी हो रहे हैं फिर एक अकेले  हैंडपंप मैकेनिक रमेश को टारगेट करने का क्या औचित्य।

कोई छोटा मोटा समाचार माध्यम हो तो उसे बेवकूफ या अज्ञानी मानकर नजरअंदाज किया जा सकता है परंतु दैनिक भास्कर जैसा लीडर यदि ऐसे प्रकरणों को सनसनीखेज बनाकर पेश करने लगे तो इसे इग्नोर कैसे किया जा सकता है।

इस समाचार के प्रकाशन के बाद अब केवल प्रेमविवाह करने वाली युवती अपने पिता के प्रति अपराधी नहीं रही बल्कि उससे कहीं ज्यादा गंभीर अपराध दैनिक भास्कर ने कर डाला है। संवेदनशील विषयों पर पत्रकारिता की नीतियों का खुला उल्लंघन है यह। शिवपुरी के विद्वान नागरिकों एवं पत्रका​रों को चाहिए कि वो इसकी निंदा करें, इतनी मुखर निंदा कि पुन: कोई दूसरा समाचार माध्यम सनसनी पैदा करने के लिए किसी के कष्टमयी व्यक्तिगत जीवन को बर्बाद कर देने का चेष्टा तक ना कर पाए।

कोई नियम नहीं है ऐसी खबरों को रोकने के लिए। इस प्रकरण में कोई कानून दैनिक भास्कर को दंडित नहीं कर पाएगा परंतु कहीं कोई है जो इसी प्रकार के अपराधों का निर्धारित समय पर निर्धारित दण्ड मुहैया कराता है। एक गरीब की हाय और परिजनों की पीड़ा भरी बददआएं क्या करेंगी यह भविष्य ही सुनिश्चित करेगा।

फिलहाल तो यह निंदा, भत्र्सना और बहिष्कार के योग्य है और हर हाल में किया जाना चाहिए।

यदि दैनिक भास्कर प्रबंधन एवं उसके योग्य पत्रकारों को लगता है कि उठाए गए प्रश्न गलत हैं तो वो कमेंट बॉक्स में इस खबर का खंडन एवं अपना पक्ष प्रेषित कर सकते हैं। समाज के ऐसे बुद्धिजीवियों के भी विचार आमंत्रित हैं जो दैनिक भास्कर की चाटुकारिता नहीं करते और समाज के संवेदनशील विषयों पर मुखर होकर बोलने की हिम्मत रखते हैं। 

इस विषय पर बहस के लिए हम सभी पक्षों को आमंत्रित करते हैं एवं वचन देते हैं कि सभी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हर हाल में पालन किया जाएगा फिर चाहे वो विषय के पक्ष में हो या विपक्ष में। कम से कम यह तो पता चलना ही चाहिए कि शिवपुरी के प्रमुख गणमान्य इस विषय पर क्या विचार रखते हैं।