कवियों की ओजस्वी वाणी से गूंज उठा तात्याटोपे समाधि स्थल

शिवपुरी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी वीर तात्याटोपे के द्विशताब्दी समारोह की संध्या सागर से पधारे हरगोविन्द विश्व और उनके साथियों के द्वारा किये गए आल्हा गायन और राष्ट्रीय स्तर के कवियों के काव्यपाठ के द्वारा देशभक्ति की भावनाओं में डूब गई।

प्रारंभ में तात्याटोपे समाधि स्थल पर हरगोविन्द विश्व और उनके साथियों ने अमर शहीद तात्याटोपे की संपूर्ण जीवनगाथा को अपने समधुर कंठ और लोक वाद्य यंत्रों की मधुर स्वर लहरियों के साथ बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध वीर गायन गाथा शैली आल्हा में प्रस्तुती कर उपस्थित दर्शकों को रोमांचित कर दिया। आल्हा गायन के मध्य प्रसंगानुसार विभिन्न लोक गीतों की प्रस्तुतियों ने आल्हा गायन में चार-चांद लगा दिए।

इसके बाद राष्ट्रीय कवि स मेलन का शुभारंभ हुआ। नई दिल्ली से पधारी सुश्री शालिनी सरगम के रस भरे गीतों ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शिवपुरी के वरिष्ठ कवि अरूण अपेक्षित ने तात्याटोपे और शहीदों की पुण्य भूमि को समर्पित दो गीतों का गायन करके अपनी अनुठी छाप छोड़ी। उदयपुर से पधारे सिद्धार्थ देवल ने अपनी ओजस्वी वाणी में वर्तमान परिपेक्ष्य में राष्ट्रीयता की भावनाओं को नए स्वर प्रदान किए। मथुरा से उपस्थित मनवीर मधुर ने भी वर्तमान व्यवस्था और राजनैतिक परिदृश्य पर तीखे कटाक्ष किए।

संचालन कर रहे मुबंई से पधारे अशोक सुंदरानी और कानपुर से पधारे श्री सुरेश अवस्थि की व्यंग्य तथा हास्य से परिपूरित रचनाओं ने दर्शकों को आधीरात के बाद तक बांधे रखा। कार्यक्रम के प्रांरभ में पोहरी विधायक प्रहलाद भारती, एसडीएम शिवपुरी डी.के.जैन, नगर पालिका शिवपुरी के स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा, जेलर विजय मौर्य ने सभी कवियों और कलाकारों को पुष्पहार पहनाकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम की भूमिका व उपसंहार के संचालन के साथ आभार का दायित्व गिरीश मिश्रा के द्वारा निभाया गया।