हाईकोर्ट पहुंचा शिवपुरी का पेयजल मामला

शिवपुरी। पेयजल संकट से जूझ रही शिवपुरी को जब राजनीति और सरकारों से राहत नहीं मिली तो अंतत: यह मामला हाईकोर्ट की दहलीज पर जा खड़ा हुआ। माननीय न्यायालय से मांग की गई है कि कम से कम वो तो जीवनदायनी पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के लिए सरकार को आदेशित करे ताकि समस्या दूर हो सके।

इस योजना की पूर्णता मे एड. पीयूष शर्मा का विश्वास शासन-प्रशासन में नही रहा है यह योजना अपने निर्धारिेत करे। समय से ही पांच साल लेट है। अगर इसी क्रम में इसका काम चलता रहा तो यह योजना शायद कुंभ के मेले के समय जितना समय से भी ज्यादा समय ले सकती है। इस कारण ही पीयुष शर्मा ने योजना की पूर्णता और इसमें लगे गतिअवरोधो को हटाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है।      

एड. पीयूष वर्ता में कहा कि आखिर इस योजना में  क्यों देरी हो रही है यह देरी जानबूझकर नपा और संबंधित निर्माण कंपनी की लेटलतीफी का परिणाम है जो स्वयं चाहते है कि निर्माण कार्य में देरी हो तो निर्माण की राशि बढ़ा दी जाए, जबकि कारण के रूप में वन विभाग की आपत्ति का हवाला दिया जा रहा है

जबकि नपा ने पूर्व में ही वन विभाग के नफा नुकसान को देखते हुए 1 करोड़ 12 लाख से अधिक राषि जमा कर दी है बाबजूद इसके कंजर वेटर अधिकारी ने नामालूम कारणों से आपत्ति लगाई जो कि न्याय संगत नहीं है इसलिए जनहित के मुददे को लेकर अब उच्च न्यायालय की शरण ली है ताकि योजना में लेटलतीफी के कारणों को जानकार इस मामले में न्यायालय शीघ्र कार्यवाही करें। उक्त बात कही एड.पीयूष शर्मा ने जो स्थानीय होटल जायका में पत्रकारों के बीच जलावर्धन योजना की लेटलतीफ होने के कारणों एवं उसके निदान के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस मामले में एड.पीयूष का मानना है कि जनहित के मुददों को लेट होना कहीं ना कहीं शासकीय मशीनरी की गलती होती है और यही कारण है कि आज यह योजना महज सपने की तरह दिखावा ही बनती जा रही है।

प्रेसवार्ता में एड.पीयूष शर्मा ने बताया कि  आम जनता के लिए आज जलावर्धन योजना जिसकी लागत 59.64 करोड़ है जिसमें 80 प्रतिषत राषि केन्द्र सरकार की, 10 प्रतिषत राज्य सरकार और 10 प्रतिषत नगर पालिका षिवपुरी की भागीदारी से व्यय होना है। यह योजना वर्ष 2009 में स्वीकृती के बाद भी आज 5 वर्षों के भारी अंतराल के बाबजूद वर्ष 2014 तक पूर्ण नहीं हो सकी, आखिरकार इस महती योजना को भी शासकीय कर्ता-धर्ता, नगरीय निकाय और निर्माणाधीन कंपनी ने अपनी मिलीभगत कर निर्माण कार्य में देरी और कई कारण बताकर आज तक इस योजना के कार्य को पूर्ण तो नहीं किया बल्कि इसके निर्माण की राशि बढ़ाने वाला कार्य जरूर कर दिया जो कि न्यायोचित नहीं है यही कारण है कि अब आम आदमी की लड़ाई आम आदमी ही लड़ेगा इसलिए माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष इस योजना के लेटलतीफी व कारणों एवं निदान संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियों सहित पिटीशन लगाई है और हम आष्वस्त है कि उच्च न्यायालय इस मामले में शीघ्र न्याय प्रदान कर योजना को पूर्ण कराने में अग्रसर होगा।

आम आदमी को हो रही श्रम,जीवन व आजीविका की हानि

एड.पीयूष शर्मा का मानना है कि षिवपुरी कस्बे के आम आदमी को पेयजल मुहैया कराने की जि मेदारी शासन-प्रशासनकी है जिसके क्रियान्वयन में यह पूर्णत: असफल साबित हुए है। आज शहर का आम आदमी पानी खरीद कर पीने में लगातार बढ़ती महंगाई के चलते असमर्थ हो गया है उसके जीवन के 4-5 घंटे प्रतिदिन पानी की जुगत लगाने में व्यय हो जाते है जो कि उसकी आजीविका कमाने में उपयोगी होते है। अनुमान के अनुसार 1800 घंटे से ज्यादा समय शहर का आम आदमी पानी की जुगत लगाने में-सायकल, ठेलों-रिक्षा आदि से परिवहन करने में खर्च करता है जो कि उसकी औसत जीवन 70 वर्ष में से 14 वर्ष का समय होता है इस कारण आम आदमी की प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति के श्रम,जीवन एवं आजीविका की हानि हो रही है।