बेटे के फर्ज का निर्वाह किया बेटियों ने, पिता को दी मुखाग्नि

शिवपुरी।  सामान्य तौर पर परंपरा है कि पिता की चिता को उसका पुत्र मुखाग्नि देता है और हर माता-पिता की यही इच्छा रहती है कि उनका पुत्र ही उनका अंतिम संस्कार करे, लेकिन विधि का विधान कौन टाल सकता है। सीबी बूट हाउस के संचालक विमलजीत सिंह की मृत्यु हुई तो समस्या थी कि उनका अंतिम संस्कार कौन करे? क्योंकि उनके कोई पुत्र नहीं था और दो पुत्रियां अवश्य थीं।

ऐसे क्षण में रोती बिलखती दोनों पुत्रियां सामने आईं और उन्होंने समाज के समक्ष कहा कि हम क्या पुत्रों से कम हैं। हम देंगे अपने पिता को मुखाग्नि और पुत्र होने के फर्ज का करेंगे निर्वहन। इसके बाद उनकी दोनों पुत्रियों ने स्वयं मुखाग्नि देकर इस दायित्व का निर्वाह कर एक सराहनीय और अनुकरणीय पहल की है। जिसकी सर्वत्र सराहना की जा रही है।

गुरूद्वारा समिति के सचिव रविन्द्र वर्मा और अनुपेंद्र सिंह माटा ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि विमलजीत सिंह बहुत ही अच्छे विचारों वाले और सहृदय व्यक्तित्व के थे और वह कोर्ट रोड पर सीबी बूट हाउस की दुकान का संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। कल हृदयाघात के कारण अचानक उनका निधन हो गया।

मृतक के यहॉ कोई पुत्र नहीं था। एक भाई अवश्य था, लेकिन उनके यहां भी पुत्रियां थीं। समस्या थी कि विमलजीत सिंह को मुखाग्नि कौन दे? इसी विषय में जब सोचा जा रहा था तो विमलजीत सिंह की दोनों पुत्रियां  रूपदीप कौर उम्र 20 वर्ष और लवलीन कौर पहुंची और उन्होंने कहा कि हम निभाएंगे अपने पिता के प्रति अपने उत्तरदायित्व को। हम देंगे उन्हें मुखाग्रि। हम क्यों नहीं जा सकते श्मशान घाट? वह काम क्यों नहीं कर सकते जो हमारा भाई यदि होता तो करता।

थोड़ी बहुत झिझक के बाद समाज के लोगों ने इस पहल को स्वीकार किया और मन ही मन दोनों पुत्रियों के सराहनीय कदम की प्रशंसा भी की। अंत में निष्कर्ष निकाला कि विमलजीत सिंह का अंतिम संस्कार उनकी दोनों पुत्रियां रूपदीप कौर उम्र 20 वर्ष और लवलीन कौर उम्र 18 वर्ष करंगेी और रात्रि के समय उनकी शव यात्रा निकाली गई और श्मशान भूमि पर पूरे रीतिरिवाज के साथ रूपदीप और लवलीन ने पिता का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के समय दोनों पुत्रियां बिलख-बिलख कर रो रही थीं।