फूलछाप कांग्रेसी व पंजा छाप भाजपाई बिगाड़ेंगे गणित

शिवपुरी विधानसभा चुनाव बहुत ही रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। यहां पहली बार महल के प्रत्याशी के सामने बराबर का मुकाबला देखने में आ रहा है। वहीं दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस व भाजपा का गणित फूल छाप कांग्रेसी व पंजा छाप भाजपाई बिगाड़ सकते है।
बताया जाता है कि कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता जहां एक ओर कमल खिला रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता पंजा दिखाने में लगे हुए है। यहां व्यापारी वर्ग के कुछ लोग जो भाजपा में आस्था रखते है। लोगों से खुलेआम पंजे पर मोहर लगाने की कह रहे हैं साथ ही दो व्यापारियों की जोड़ी पटक-लो-पटक लो कहते हुए भी साफ सुनाई दे रही है। वहीं दूसरी ओर कई कांग्रेस कार्यकर्ता खुले तौर पर कमल खिलाने में लगे हुए है। अब देखना यह होगा कि किसका गणित कौन कहां पर बिगाड़ेगा।
आदर्श नगर वाले किसका करेंगें काम....
विभिन्न पार्टियों की परिक्रमा कर लौटे आदर्शनगर वाले पंडितजी कांग्रेस में तो लौट आए लेकिन अब देखने लायक बात यह होगी कि चुनाव में यह किसका काम तमाम करते है। हमेशा से ही चुनावों में अहम रोल अदा करने वाले महल के वफादार माने जाने वाले पंडितजी पर शिवपुरी विधानसभा चुनाव का गणित बहुत हद तक निर्भर करेगा। सूत्र बताते हैं कि टिकिट की आकांक्षा लेकर कांग्रेस में आए पंडितजी छ: माह बाद उप चुनाव में कांग्रेस से टिकिट की आस लगाए है यदि यह बात सत्य साबित हुई तो वह कतई यह नहीं चाहेंगें कि  कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी की जीत हो। वहीं दूसरी ओर यदि वह महल से अपनी नाराजगी का बदला चाहेंगें तो ईमानदारी से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी के समर्थन में काम करेंगें। जिससे महल से उनका पुराना हिसाब भी चुकता हो जाएगा। इस चुनाव के परिणाम में पंडितजी अहम रोल अदा कर सकते है। देखना यह होगा कि यह किसका काम तमाम करते है।
पान की गुमटी पर काना फूसी...
माहौल चुनावी है तो शहर की तमाम पान की गुमठियों पर चुनावी चर्चा होना भी स्वाभाविक है। ऐसे में एक पान की गुमठी पर चुनावी काना फूसी करते जो हमने सुना तो आपको भी सुनाते है कि वोट किसे दे, एक तरफ वोट मांगने वाले देानों हाथ जोड़कर, पैर छूकर वोट के लिए निवेदन कर रहे हैं तो दूसरी ओर हाथ जोडऩा तो दूर उल्टे पैर ही...।

स्थानीयता के साथ विकास का मुद्दा भी रहेगा हावी
शिवपुरी-शिवपुरी विधानसभा सीट पर मुकाबला पहली बार भाजपा व कांग्रेस में बराबर का दिखाई दे रहा है। महल के वर्चस्व वाली इस सीट पर भाजपा की ओर से यशोधरा राजे सिंधिया प्रत्याशी है तो साथ ही दूसरी ओर सांसद सिंधिया के सिपाहसलार वीरेन्द्र रघुवंशी कांग्रेस की ओर से सामना कर रहे है। हालांकि यहां महल का प्रत्याशी चाहे किसी भी पार्टी से चुनाव मैदान में हो, अभी तक के इतिहास में उसे विजय प्राप्त हुई है। लेकिन पहली बार मुकाबला बराबर का दिखाई दे रहा है अब तक के सभी चुनावों में महल के प्रत्याशी के सामने कोई डमी प्रत्याशी ही रहता था जहां हार जीत का फैसला भी लंबा होता रहा है। बराबर के चुनावी घमासान में इस बार जनता में स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा काफी जोर पकड़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जागरूक जनता अब विकास के मुद्दे पर भी गंभीरता से बात कर रही है।
भाजपा की सरकार में इस विधानसभा सीट पर भाजपा के ही विधायक पिछले पांच वर्ष से थे जिन्हें भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया ने ही टिकिट देकर विजयश्री दिलाई थी। लेकिन अब वही विधायक भाजपा प्रत्याशी के लिए कई जगहों पर मुसीबत का सबब बने हुए है। वहीं दूसरी ओर नगर पालिका अध्यक्ष भी भाजपा की ही रिशिका अनुराग अष्ठाना बनी। जिन्हें भी यशोधरा राजे सिंधिया ने ही टिकिट देकर विजयश्री दिलाई। अब यही नगर पालिका अध्यक्ष के कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत जनता यशोधरा राजे सिंधिया से चुनावी जनसंपर्क के दौरान कर रही है। यहां भाजपा प्रत्याशी को ग्रामीण क्षेत्रों में विधायक के कारण व शहरी क्षेत्र में नगर पालिका अध्यक्ष के कारण जनता की खरी-खरी सुननी पड़ रही है।
पहली बार यह देखा जा रहा है कि जनता खुले शब्दों में अपनी बात को चुनावी जनसंपर्क करने आ रहे प्रत्याशियों के सामने रख रही है। भाजपा प्रत्याशी की मुसीबत यह है कि यह सत्य है कि प्रदेश में सरकार भाजपा की है विधायक भी भाजपा के ही हैं और नगर पालिका अध्यक्ष भी भाजपा की ही हैं, अब ऐेसे में यदि कोई समस्या का समाधान नहीं हुआ तो जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है। वहीं दूसरी ओर बात कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी की करें तो जनता उन्हें भी समस्याओं से अवगत करा रही है लेकिन यहां कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी जनता से यह कह रहे हैं कि अभी तक मैं किसी पद पर नहीं था सरकार भाजपा की थी विधायक भी भाजपा के थे और नगर पालिका अध्यक्ष भी भाजपा की, ऐसे में मैं क्या कर सकता हॅंू।
इस विधानसभा चुनाव में जहां आमने-सामने की टक्कर देखी जा रही है वहीं जनता वोटिंग यही सोचकर करेगी कि विकास की बात कौन करेगा और कौन विकास कराएगा? साथ ही जनता इस बात पर भी गोर फरमाना चाहेगी कि विधयक स्थानीय हो अथवा...।