पिछोर जनपद घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपेंगे कलेक्टर

नौशाद खान/पिछोर। जनपद पंचायत पिछोर में वित्तीय अनियमित्ताओं एवं भ्रष्टाचार की जांच शिवपुरी कलेक्टर करेगें। यह निर्देश मध्यप्रदेश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश केके लाहोटी एवं ग्वालियर बेंच के प्रशासनिक न्यायाधीश एसके गंगेले की युगलपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिए।

न्यायालय में जीवनलाल जाटव जनपद सदस्य की ओर से जनहित याचिका में कहा गया था कि जनपद पंचायत पिछोर में गंभीर वित्तीय अनियमित्ताएं बरती गईं हैं एवं कुटरचना का माननीय न्यायालय में दस्तावेज प्रस्तुत कर निर्णय भी पारित करया गया है। अधिवक्ता अमित वंसल ने पक्ष रखा कि मामला गंभीर है। कूट रचित रिकार्ड में हेरफेर साबित हुई हैं, जांच रिपोर्ट में सहायक लेखाधिकारी को दोषी माना गया है। इस मामले में व्यापक जांच एवं कार्यवाही की जरूरत है। एक के खिलाफ कार्यवाही करने से अनियमित्ता को छिपाया जा रहा है। मामले की ईओडब्लू से जांच होना चाहिए। जिस पर माननीय न्यायालय ने सुनवाई करते हुए शिवपुरी कलेक्टर  को जांच कर कार्रवाई करने एवं ईओडब्लू को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।

ये है पूरा मामला-
जनपद पंचायत पिछोर में पदस्थ सहायक लेखाधिकारी अनूप शर्मा केे विरूद्घ गंभीर वित्तीय अनियमित्ताओं एवं पद के दुरूपयोग किए जाने की विभिन्न शिकायतें पूर्व से लंबित थी एवं पूर्व में जिला स्तर से त्रिस्तरीय कमेटी के जांच के उपरांत गंभीर वित्त्तीय अनियमित्ता सिद्घ हो गईं, जिस पर सीईओ जिला पंचायत द्वारा श्री शर्मा पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे। परन्तु सीईओ को इनके विरूद्घ कोई कार्यवाही नहीं की गई एवं वित्तीय अनियमित्ताओं को संरक्षण दिया गया।

सहायक लेखा अधिकारी द्वारा मूलभूत राशि एवं तेहरवां वित्त आयोग के पंचायत खातों पर रोक लगाकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी की हैसियत से हस्ताक्षर कर राशि का अहारण कराया जाकर पद का दुरूपयोग किया गया।

मध्यान्ह भोजन योजना में सहा.लेखाधिकारी ने बिना अनुमोदान के 100 से अधिक स्व-सहायता समूह को अपने हस्ताक्षर से आदेश जारी किए। जनशिकायत निवारण विभाग में दर्ज पीजी 158977 एवं 150791 की जांच में अनुविभागीय अधिकारी पिछोर ने जांच कर अनूप शर्मा द्वारा पद का दुरूपयोग किया जाना पाया था।

पेंशन योजनाओं में ग्राम पंचायतों से मृत व्यक्तियों की राशि वापिस नगद रूप में जमा कर स्वयं के द्वारा परिभक्षण किया गया है।

सूखा राहत योजना गंभीर वित्तीय अनियमित्ताएं होने से रिकार्ड गायब कर जांच अधिकारियों को गुमराह किया गया। 
उच्चतम न्यायालय ग्वालियर में कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए।
इंदिरा आवास योजना में अपात्र हितग्राहियों को कुटीरें प्रदाय की गर्इंं। मतस्य तालाबों की नीलामी उपरांत अनुबंध एवं आदेशों पर सीईओ की हैसियत से हस्ताक्षर किए गए एवं नीलामी राशि कैशबुक में जमा न कर राशि का परीभक्षण किया गया।
मनरेगा योजना मेें स्वयं की एनजीओ स्पर्श ग्रामीण विकास समिति एवं पाण्डे टे्रडिंग कम्पनी को क्रमश: 15 लाख एवं 6 लाख रूपयों का वेयरर चैंको के माध्यम से भुगतान किया गया।
संविदा शाला शिक्षकों के नियुक्ति आदेशों, संविलियन आदेशों एवं सर्विसबुकों पर सीईओ की हैसियत से हस्ताक्षर किए गए। वर्ष 1990 से जनपद पंचायत-पिछोर में पदस्थ रहकर जमकर जनपद निधि का दुरूपयोग किया गया।
इंदिरा आवास योजना में अपात्र हितग्राहियों के प्रस्तावों पर सीईओ की हैसियत से हस्ताक्षर कर अपात्र हितग्राहियों केा लाभ प्रदान कराया गया।
लगभग 10 माह बिना किसी सूचना के गायब रहने एवं कार्यालय द्वारा जारी नोटिसों का जबाब न देने पर 09 मई 2013 को अनूप शर्मा का निलंबन कर जांच संस्थित की गई, परन्तु सीईओ एसके श्रीवास्तव द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमित्ताओं को नजरंदाज कर इनका निलंबंन समाप्त कर वित्तीय अधिकार सौपें गए।
लगभग 10 माहों से बिना किसी पूर्वानुमति के कार्यालय से गायब सहायक लेखाधिकारी अनूप शर्मा को एसडीएम पिछोर की जांच रिपोर्ट के विपरीत जाकर एक मुश्त भुगतान किए जाने पर वर्तमान सीईओ बीएस कनासिया भी दोषियों की सूची में सम्मलित हो चुके हैं।
उक्त गंभीर वित्तीय अनियमित्ताओं की शिकायत मुख्यमंत्री, आयुक्त पंचायत ग्रामीण विकास, आयुक्त ग्वालियर संभाग, कलेक्टर शिवपुरी, जिला पंचायत शिवपुरी को बार-बार  सौपी गई परन्तु उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
कार्यवाही न होने पर जीवनलाल जाटव ने माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ में जनहित याचिका प्रस्तुत कर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की। जीवनलाल की जनहित याचिका को संज्ञान में लेते हुए मध्यप्रदेश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश केके लाहोटी एवं ग्वालियर बेंच के प्रशासनिक न्यायाधीश एसके गंगेले की युगलपीठ ने प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध हनेने पर कलेक्टर शिवपुरी को निर्देश दिए है कि उक्त शिकायत की शीघ्र जांच कर जांच रिपोर्ट ईओडब्लू एवं संबंधित विभागों को सौपे।

किन-किन पर होगी कार्यवाही
तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ जिन्होने बार-बार प्रमाणित शिकायतें प्राप्त होने के बाद कार्यवाही नहीं कर संरक्षण दिया गया। जिला परियोजना अधिकारी इंद्राआवास इनके द्वारा बिना सीईओ के हस्ताक्षर के आवास योजना के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान कराई गई। तात्कालीन सीईओ डीएम शास्त्री इनके द्वारा सामान्य सभा की बिना बैठक के सहायक लेखाधिकारी का निलंबन समाप्त किया गया।  करैरा सीईओ एसके श्रीवास्तव इनके द्वारा सहनयक लेखाधिकारी की गंभीर वित्तत्तीय अनियमित्ताओं को नजरंदाज कर सीईओ जिला पंचायत के निर्देशों की अनदेखी कर सहायक लेखाधिकारी का निलंबन समाप्त कर दिया गया एवं वित्तीय अधिकार सौपे गए। वर्तमान सीईओ बीएस कनासिया इनके द्वारा दस माहों से गायब कर्मचारी को एसडीएम की रिपोर्ट के विपरीत दस माहों को वेतन भुगतान कर दिया गया। एवं जनपद अध्यक्ष रामदास वघैल इनके द्वारा सहालेखाधिकारी को माननीय न्यायालय में कूटरचित अभिलेख प्रस्तुत करने में सहभागिता निभाई गई। स्पर्श ग्रामीण विकास समिति एवं पाण्डे ट्रेंडिग कंपनी के भुगतान में अनियमित्ता करने में मनरेगा प्रबंधक एवं अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज्ञानेन्द्र सिंह कुुशवाहा भी सम्मलित हो गए हैं।

कौन-कौन होंगे प्रभावित-
200 से अधिक संविदा शिक्षक जिनकेे नियुक्ति आदेश, संविलियन आदेश एवं सर्विसबुकों पर सीईओ की हैसियत से लेखाधिकारी द्वारा हताक्षर किए गए हैं। 100 एमडीएम समूह संचालक जिन्हें आदेश जारी किए गए हैं। बिना बीपीएलधारी इंदिरा आवास कुटीर प्राप्त करने वाले हितग्राही। मतस्य तालाव लीज धारी।