माता पिता की सेवा किये बिना भगवान की पूजा करना सार्थक नहीं: मुनि कुंथुसागर

शिवपुरी। संत के पास अगर दो पैसे भी हैं, तो उसकी इज्जत दो कौड़ी की नहीं है, और गृहस्थ के पास अगर दो कौड़ी नहीं है तो उसकी इज्जत दो कौड़ी की नहीं। सच्चा संत वही है, जो अपने पास कुछ नहीं रखता और अपना भी जो कुछ होता है, वह समाज पर लुटा दिया करता है।
संत बादल की भांती हुआ करते है। हमेषा दूसरों पर परोपकार करने के लिये बरष जाया करते हैं। संत से कुछ लोगों का कल्याण होता है, परन्तु भगवान से तो प्राणी भाग का कल्याण होता है। ऐसे भगवान की आराधना करने जब भी मौका मिले पूरे भक्ति भाव से उनकी आराधना में जुट जाना चाहिये। परन्तु भगवान की आराधना करते समय इतना ख्याल भी रखना की तुम तीन लोक के भगवान को पूजने जा रहे हो और घर में बैठे अपने भगवान यानि अपने माता पिता को नहीं पूजते तो तुम्हारी भगवान की भक्ति करना निर्रथक है। उक्त मंगल प्रवचन परम पूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम षिष्य मुनि श्री कुंथु सागर जी महाराज ने श्री त्रैलोक्य महामंडल विधान में जैन धर्मालंबियों को दिये।

महाराज श्री ने आगे कहा कि इंसान के कर्मों का पता उस वक्त लगता है जव वो इस दुनिया से विदा लेता है। अगर तुम्हारे जाने से दुनिया रोती है समझ लेना तुम्हारा इस दुनिया में आना सार्थक हो गया। अगर तुम अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहते हो तो इस शरीर से जितना हो सके परोपकार करना, दूसरे की सहायता करना। जरूरी नही कि परोपकार करने के लिये तुम्हारा धनी होना आवष्यक हो, परोपकार वाणी से भी किया जा सकता है।  अरे किसी असहाय से तुम दो बोल मीठे बोल लेना, किसी के प्रति सहानुभूति का भाव रख लेना, तुम्हारा परोपकार हो जायेगा।

महाराज श्री ने आज के युवाओं को षिक्षा देते हुये कहा कि परोपकार की शुरूवात अपने माता पिता से करना, उन्हें दो बोल प्यार को बोलना। परंतु आज तुम इतने निष्कृष्ट हो गये हो कि अपनी पसंद वाली पत्नी के लिये पुण्य वाली माँ को छोड़ दिया। बेटा तुम जब छोटे थे, माँ की शैया गीली करते थे, और आज तुम बड़े हो कर उनकी आँखे गीली करने लगे हो। तुम्हें गीले की आदत जो पड़ गई है। अरे तुम्हारे माता पिता ने तुम्हें इस दुनिया में जीने लायक बनाया और तुम उन्हें वे सहारा छोड़ रहे हो ? याद रखना तुमने यदि अपने माता पिता को यदि परमेष्वर नहीं माना तो कितनी भी पूजा, भक्ति, दान कर लेना तुम्हारे जीवन में कभी समृद्धि आने बाली नहीं है। इसलिये भगवान की आराधना करते समय इतना ख्याल कर लेना कि तुम तीन लोक के भगवान को पूजने जा रहे हो तो घर में बैठे अपने भगवान यानि अपने माता पिता से दो बोल प्यार के बोल लेना तुम्हारा पूजा करना सार्थक हो जायेगा।

उल्लेखनिय है, कि षिवपुरी में प्रथम वार त्रैलाक्य महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है,। जहांॅ प्रतिदिन जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक, शांतीधारा पूजन के साथ प्रात: 8:30 पर मुनि श्री के मंगल प्रवचन होंते हैं। सांय 6 बजे आचार्य भक्ति, सांयकाल 7 बजे महाआरती होगी। उसके बाद शास्त्रसभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगें। श्री चंद्रप्रभु जिनालय ट्रस्ट, पुलक जन चेतना मंच एवं बर्षायोग समिति षिवपुरी ने सभी साधर्मी बंधुओं से उक्त सभी कार्यक्रमों में सपरिवार ष्षामिल होकर धर्मलाभ लेने की अपील की है।