पिछोर: पूरे 10 साल में एक भी पहलवान पैदा नहीं कर पाई भाजपा

शिवपुरी। यूं तो शिवराज सिंह सरकार की कई योजनाएं लोकप्रिय हैं। पूरे मध्यप्रदेश में उन्होंने अपने कई फालोअर्स और भाजपा ने कई नेता पैदा कर दिए। भाजपा को मजबूत किया गया परंतु लगातार 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा उस पिछोर में एक भी पहलवान पैदा नहीं कर पाई जहां से 2003 में उमा भारती के भाई तक चुनाव हार चुके हैं।

भारतीय जनता पार्टी को जिले के पिछोर विधानसभा सीट इस समय भारी सिरदर्द साबित हो रही है यही वजह है कि गत दिवस घोषित हुई 147 सीटों की सूची में पिछोर सीट का नाम शामिल नहीं रहा क्योंकि पिछोर क्षेत्र में करीब 20 वर्षों से यहां के.पी. सिंह कक्काजू अपनी दबदबा बनाए हुए है।

अब इसे उनका मिलनसार व्यवहार कहें या जनता का केपी की ओर झुकाव यह दोनों ही बातें हो सकती है ऐसे में यहां भाजपा को विजयश्री दिलाना और उसके लिए सटीक उम्मीदवार लाना टेढ़ी खीर साबित होता नजर आ रहा है। बाबजूद इसके भाजपा पूर्ण तैयारी के साथ पिछोर में दमदार प्रत्याशी उतारेगी ऐसी संभावना जताई जा रही है। 

अभी तक तो केवल नरेन्द्र बिरथरे का नाम ही चर्चा में सामने आया है चूंकि नरेन्द्र बाहरी है इसलिए जनता जनार्दन स्वीकार करें या ना करें ऐसी भी बात हो सकती है जबकि स्थानीयता के तौर पर यहां भाजयुमो अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, श्रीमती नवप्रभा पड़रिया, भैया साहब लोधी व अन्य नेतागण शामिल है। अब देखना होगा कि भाजपा यहां से किसे उम्मीदवार बनाती है।

विधासनभा पिछोर की सीट पर जहॉ कांग्रेस के दिग्गज केपीसिंह अपना कब्जा किये है वहीं भाजपा उन्हें 20 वर्षो से लगातार प्रयासरत है कि उनकी कुर्सी कब हमारे कब्जे में आये, इन दिनों जहॉ भाजपा विधानसभा चुनाव में पिछोर की सीट के लिए अपने प्रत्याशी का चुनाव करने करने में गणित लगा रही है तो केपीसिंह चैन की नींद लेते हुऐ मतदाताओं से संपर्क करने में जुटे है। 

कांग्रेस के अभेद दुर्ग को भेदने के लिए भाजपा किसे उतारेगी यह पार्टी के लिए चुनौती है। विधानसभा क्षेत्र 26 पिछोर से कांग्रेस पार्टी ने केपीसिंह का नाम प्रस्तावित किया गया है तो अनुमानत: इस बार भाजपा पार्टी युवा दिलों की धड़कन बने विकास पाठक को या पूर्व राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्त के पुत्र रमेश गुप्ता को अथवा लोधी बाहुल्य मतदाताओं को ध्यान में रखते हुऐ नवप्रभा पड़ैरिया या भैया साहब लोधी को।

ज्ञातव्य हो कि लोधी वाहुल्य इस सीट से 2003 में भाजपा से पूर्व मुख्य मंत्री उमा भारती के भाई स्वामी प्रसाद लोधी, 2008 में जन शक्ति पार्टी से भैयासाहब लोधी तो भाजपा से जगरामसिंह यादव को हार का सामना करना पड़ा था, इस बार फिर उन्हीं आंकड़ों के हिसाब से नव प्रभा पड़ैरिया को उम्मीदवार के रूप मे चुनती है तो परिणाम पूर्वानुसार हो सकते है अब भाजपा पार्टी के पास विकल्प के रूप में विकास पाठक एवं रमेश गुप्ता ही रह जाते है जिसमें विकास पाठक चार वर्षो से नगर परिषद पिछोर अध्यक्ष के पद पर रहते हुऐ युवाओं के दिल की धड़कन के रूप में तो रमेश गुप्ता स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ नेता के पुत्र के रूप में।

भाजपा पार्टी को इस विसम परस्थिति को देखते हुए उम्मीदवार का चुनाव चुनौती बन गया है। मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें तो लगभग लोधी समुदाय के 25 हजार से अधिक मतदाता, यादव समुदाय के 15 हजार मतदाता, ब्राम्हण समुदाय के 13 हजार और गहोई समुदाय के लगभग 12 हजार मतदाता है। ऐसे में पिछोर में कई वर्षों से कांग्रेस का दंभ भरने वाले के.पी.सिंह को कराने के लिए भाजपा रणनीति बना रही है और यही कारण है कि अभी तक पार्टी ने केवल 147 प्रत्याशीयों की ही घोषणा की है जिसमें पिछोर से उम्मीदवार तय नहीं किया गया संभव है कि किसी जनाधार व जाति बाहुल्य समझकर ही यहां से भाजपा प्रत्याशी उतारेगी।