पिछोर में केपी को टक्कर दे सकता है युवा नेता

शिवपुरी- अंचल में पिछोर विधानसभा सर्वाधिक रूप से कांग्रेस के लिए सुरिक्षत सीट मानी जाती है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि पिछोर क्षेत्र में अधिकांशत: लोधी बाहुल्य मतदाताओं की भीड़ सर्वाधिक है और अब जमाना बदलता नजर आ रहा है और मतदाताओं की सोच में भी बदलाव दिखेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है।
ऐसे में पिछोर क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के.पी. सिंह के मुकाबले में यहां भाजपा से नए युवा नेता भाजयुमो जिलाध्यक्ष मनीष अग्रवाल व पूर्व जिलाध्यक्ष भाजयुमो विजय भारद्वाज भी एक सशक्त दावेदार के रूप में नजर आ रहे है कारण साफ है कि पिछोर क्षेत्र में लोधी बाहुल्य ही नहीं बल्कि वैश्य एवं ब्राह्मण का समाज का समर्थन भी प्राप्त है और ग्राम-ग्राम में जनंसपर्क व लोगों से मिलनसार व्यवहार के रूप में वह जाने जाते है साथ ही उनके परिवार की तीन पीढिय़ां पूरे क्षेत्र में सेवा कर रहे है जिससे यहां केपी की टक्कर साफ तौर से युवा नेतृत्व से भी देखी जा सकती है।

ऐसा नहीं है कि यहां अन्य उम्मीदवार नहीं है बल्कि यहां तो भाजपा से मजबूती के रूप में श्रीमती नवप्रभा पड़रिया, भैया साहब लोधी, जगराम यादव और अब तो नगर पंचायत अध्यक्ष विकास पाठक भी शामिल है क्योंकि इन्हें जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान सीएम ने आर्शीवाद दिया था अब ऐसे में भाजपा की तीन पीढिय़ों से सेवा कर रहे मनीष अग्रवाल और भाजपा के इन नेताओं के मुकाबलों की बात की जाए तो संकेत मिलते है कि कांग्रेस के रूप में केपी सिंह तीन बार से पिछोर का नेतृत्व कर रहे है लेकिन इस बार भाजपा से यदि संघ की सेवा में महती भूमिका और भाजपा की नीति और रीति से जनता के बीच पहुंचने वाले मनीष अग्रवाल को भी आगे किया जाए तो संभव है कि मतदाताओं की दिशा बदल जाए क्योंकि यहां नवप्रभा, भैयासाहब और जगराम ऐसी छाप नहीं छोड़ पाए कि वह केपी का मुकाबला तो करें लेकिन यहां से कोई चमत्कार करे इसकी संभावना कम भी नजर आती है।

ऐसे में अब दबी जुबान से स्थानीय लोगों की मांग भी है एक तो मनीष अग्रवाल भाजयुमो जिलाध्यक्ष और भौंती के निवासी है और लोधी बाहुल्य के साथ-साथ उनका वैश्य समाज व अन्य समाजों में भी अच्छी खासी भागीदारी है। वहीं बताया जाता है कि पूर्व जिलाध्यक्ष भाजयुमो विजय भारद्वाज भी कतार में है और अगर युवाओं को मौका दिया गया है तो यहां कोई बड़ा उलट फेर भी हो सकता है। अब यह तो आने वाला समय ही बता सकेगा हालांकि अभी भाजपा ने पिछोर से अपने पत्ते नहीं खोले है लेकिन शीघ्र ही यहां से उम्मीदवारों की घोषणा से साफ हो जाएगा कि केपी का मुकाबला यहां भाजपा का है भी या नहीं...।