कमीशनखोर नेता के रूप में जाने जा रहे अनुराग, पार्टी की हो रही छवि खराब

शिवपुरी-आने वाले विधानसभा चुनावों में जो प्रत्याशी अपने आप को स्वयं सर्वेसर्वा बताकर चुनावी मैदान में झोंकने की बात कर रहे है वह स्वयं पहले अपनी छवि तो सुधार लें तब कहीं जाकर जनता के बीच वोट मांगने की कोशिश करें।
यह इसलिए कि उड़ती-उड़ती खबरों से पता चल रहा है कि अपने पूज्य पिताजी स्व.सुशील बहादुर अष्ठाना के नाम का सहारा लेकर इन दिनों नगर पालिका अध्यक्ष पति अनुराग अष्ठाना चुनाव मैदान में आने को आतुर है यह तो कहां तक सच है इसका सच तो जनता ही बताएगी फिलहाल तो चर्चा यह है कि स्वयं नपाध्यक्ष के नाम का सहारा लेकर अनुराग अपनी रोटियां सेककर पिताजी के नाम के सहारे आगे बढऩे की सोची समझी रणनीति बना रहे है जबकि उनकी छवि भाजपा में ही इतनी खराब है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता तक उनसे दूरी बनाए हुए है। ऐसे में कैसे विधायकी का सपना अनुराग देख सकते है यह तो उनके स्वविवेक पर निर्भर करता है।

अब तो चुनाव नजदीक है और इन दिनों चहुंओर जब तक प्रत्याशी फायनल नहीं हो जाते तब तक नगर में हर जगह भाजपा से अनुराग के नाम की चर्चा सुनाई दे रही है आखिर हो भी क्यों जनताकी सेवा के नाम पर दंभ भरने वाले अनुराग अपनी पत्नि श्रीमती रिशिका अष्ठाना को आगे बढ़ाकर और अपने स्व.पिताजी का नाम लेकर आगे की राजनीति करना चाहते है। लेकिन नगर पालिका के भ्रष्टाचार और जनता के बीच कमीशनखोर नेता के रूप में जो पहचान अनुराग बनाई है उससे आभास होता है कि इनका राजनीतिक सफर ठीक नहीं है अब भले ही वो अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनें तो सौ बार बनें, लेकिन सच्चाई यही है कि आने वाले चुनावों में अनुराग को यदि टिकिट की लाईन में भी शामिल किया जाता है तो इसका खुला विरोध भी देखने को मिल जाएगा।

विधानसभा चुनावों के सन्निकट अनुराग को यदि किसी का समर्थन प्राप्त है तो स्वयं अपने परिवार और स्व.पिताजी का उसके बाद यदि कोई और इसमें शामिल है तो वह नगर पालिका के ठेकेदार इसके बाद यदि पूरी शिवपुरी की जनता की बात करें तो जनता जनार्दन में अनुराग के प्रति खासी नाराजगी देखने को मिलती है। बताया गया है कि अनुराग की यह छवि उसके आसपास के लोगों ने ही बनाई है और यही वे लोग है जो अनुराग को आगे बढ़ाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते है। देखा जाए तो जनता के बीच अनुराग को सामने लाना भाजपा का नाश करने के समान है ऐसे में जनहित के हितों की पार्टी को परवाह करनी है तो कोई नए चेहरे को सामने लाना होगा।

हालांकि विधिवत प्रत्याशी की लाईन में यूं तो कई नाम सामने है लेकिन कोई भी यह स्वीकार नहीं कर रहा है कि इस बार वही विधानसभा में प्रत्याशी होगा और फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी माथापच्ची कर शिवपुरी से भावी प्रत्याशी की तलाश में है। लेकिन अनुराग के प्रति जनता के गुस्से और पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी साफ देखने को मिलती है ऐसे में यदि यहां भाजपा को भविष्य संवारना है तो अनुराग को छोड़ किसी और पर अपना पांसा फेंकना पड़ेगा।