क्या बिरथरे भी करेंगे ​बीजेपी को अलविदा

शिवपुरी। दिल्ली में उमा भारती की सूची पर विचार ना होने के बाद से ही जनशक्ति के कद्दावर नेताओं ने बीजेपी से रिजाइन करना शुरू कर दिया है। अब तक तीन दमदार नेता कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं। सवाल यह उठता है कि क्या शिवपुरी में उमा के सबसे बड़े फालोअर नरेन्द्र बिरथरे भी कांग्रेस ज्वाइन कर लेंगे।

गुरुवार का दिन उमा भारती समर्थकों के लिए सबसे हलचल भरा रहा। वो उम्मीद लगाए बैठे थे कि उमा भारती द्वारा दी गई 15 प्रत्याशियों की सूची में मोलभाव करके कम से कम 10 तो फाइनल हो ही जाएंगे परंतु मध्यप्रदेश की तिकड़ी ने पूरी की पूरी लिस्ट ही डस्टबिन में डाल दी। केन्द्रीय समिति को भेजी गई लिस्ट में उमा की पर्चियों को नत्थी तक नहीं किया गया।

जब यह स्पष्ट हो गया कि उमा भारती के समर्थकों का अब मध्यप्रदेश में टिकिट मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है तो भाजपा के इन मुजाहिरों ने कांग्रेस का रुख कर लिया। कांग्रेस भी सारे दरवाजे खोलकर उमा भारती के दमदार नेताओं का स्वागत कर रही है।

अब तक उमा भारती समर्थक विधायक देवेन्द्र पटेल सहित पिछले चुनाव में मात्र 1000 से कम वोटों से पराजित होने वाले दिनेश अहिरवार व गोपाल राजपूत ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने देवेन्द्र पटेल को टिकिट का वादा भी कर दिया है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या नरेन्द्र बिरथरे भी बीजेपी को रिजाइन कर जाएंगे। बताना जरूरी नहीं कि नरेन्द्र बिरथरे, उमा भारती के बड़े समर्थकों में से एक हैं और अब तक उन्होंने उमा भारती का साथ नहीं छोड़ा है। इसी के चलते वो पिछले कई सालों से राजनीति के कचराघर में पड़े हुए हैं। उन्हें विधानसभा चुनावों से बड़ी उम्मीद थी कि वो पोहरी से उम्मीदवार बनाए जाएंगे, उमा भारती ने उनका नाम आगे भी बढ़ाया परंतु अब उनकी कोई कसर शेष नहीं रह गई है। तय हो गया है कि बिरथरे को पोहरी से टिकिट नहीं मिलेगा।

इधर सुनने में आया है कि कांग्रेस ने हरिबल्लभ शुक्ला का नाम फाइनल कर दिया है परंतु अभी तक डिक्लियर नहीं किया है, शायद वो भाजपा का नाम घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में बिरथरे क्या करेंगे, यह अभी तक क्लीयर नहीं है। बीजेपी में तो उनका फिलहाल कोई फ्यूचर दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन यदि वो कांग्रेस में भी जाते हैं तो सवाल यह है कि क्या शुक्ला को काटकर बिरथरे को लाया जा सकेगा। सिंधिया फैक्टर के चलते यह संभावना कतई नहीं है। ऐसी स्थिति में बिरथरे क्या कदम उठाएंगे। कम से कम जनशक्ति से जुड़े प्रदेश भर के लीडर्स तो इसी के इंतजार में हैं।