शिवपुरी-गत दिवस जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश में जिस प्रकार से निजी व शासकीय बोरिंग मशीन के द्वारा खनन पर रोक लगा दी गई तो इस आदेश का असर सर्वाधिक रूप से किसानों पर देखने को मिल रहा है क्योंकि एक ओर तो प्रकृति की आपदा से किसान परेशान है तो वहीं दूसरी ओर अब जिला प्रशासन के इस सख्त आदेश से किसानों के होश उड़ गए है। ऐसे में किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि निजी बोरिंग को इस मामले से दूर रखा जाए और प्रतिबंध से अलग किया जाए ताकि किसान समयानुसार अपने खेतो में बोरिंग कराकर खेती कर सके।
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इस बार बेमौसम की बारिश या यूं कहें कि प्राकृतिक आपदा के रूप में जो हजारों बीघा फसल नष्ट हुई है उसका सर्वाधिक असर खरीफ की फसलों पर पड़ा है जिसमें सोयाबीन, उड़द व अन्य फसलें शामिल है। इसके बाद अब आगामी समय में रबि की फसलें आना बाकी है ऐसे में किसानों को अपने उजड़े चमन को फिर से बसाने के लिए पानी की आवश्यकता पड़ेगी और इसके लिए बोरिंग कराकर खनन की आवश्यकता है।
लेकिन किसानों की सुनवाई तो जिला प्रशासन से ने भी नहीं की और विधानसभा निर्वाचन को लेकर आदेश जारी कर दिए कि अब से 11 दिसम्बर तक निजी बोरिंग व शासकीय बोरिंग पर प्रतिबंध लगाया जाता है यहां कलेक्टर का यह उददेश्य था कि कोई प्रत्याशी किसी क्षेत्र में बोरिंग मशीन कराकर मतदाताओं को प्रलोभित ना कर ले, ऐसे में अब यह आदेश किसानों के लिए परेशानी का सबब है। इसलिए किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जारी आदेश में संशोधन कर इसे निजी बोरिंग को दूर किया जावे, ताकि किसान जहां बारिश के कहर से अपनी बर्बाद फसल को पुन: जीवित करने के लिए नई फसल करें और इसके लिए आवश्यकतानुसार बोरिंग कराकर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर सके।
अब इस मामले में जिला प्रशासन को आगे की कार्यवाही करना है यह मांग करने वालों में अतर सिंह रावत रातिकिरार, बृजेश कुशवाह, बण्टी रावत दर्राेनी, श्यामबीर तोमर ग्राम रातौर, विमल शर्मा ग्राम विलय, देवेन्द्र सिंह रावत सिंहनिवास आदि सहित दर्जनों ग्रामों के किसान शामिल है जिन्होंने जिला प्रशासन से इस ओर शीघ्र आदेश संशोधित कर निजी बोरिंग को प्रतिबंध से अलग करने की मांग रखी है।
इनका कहना है-
निजी बोरिंग के लिए यदि आवश्यकता है तो इसके लिए किसान अपनी समस्या से अवगत कराऐं और यदि ऐसा है तो हम विचार करेंगें।
आर.के.जैन
कलेक्टर, शिवपुरी
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