कांग्रेस-भाजपा में भड़क सकता है असंतोष का दावानल

शिवपुरी। मप्र विधानसभा चुनावों की दुंदुंभी तो बज चुकी है लेकिन अभी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अपने प्रत्याशीयों की घोषणा करने में देर कर रही है और यही कारण है कि इन दोनों ही प्रमुख दलों के कार्यकर्ताओं व संभावित प्रत्याशियों के बीच कहीं असंतोष का दावानल ना फूट पड़े।
वर्तमान परिस्थिति तो यही संकेत करती है क्योंकि टिकिट पाने वाले प्रत्याशी और संभावित प्रत्याशी दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी जताने में पीछे नहीं है ऐसे में कई नए और पुराने चेहरों को कार्यकर्ताओं से मनमुटाव भी हो सकता है और यही वजह इन दोनों दलों की परेशानी को बढ़ाएगी। हालांकि बसपा इन सबसे आगे है और उसने अपने प्रत्याशी भी समय से पूर्व ही घोषित कर दिए बस केवल शिवपुरी और पिछोर विधानसभा से ही बसपा के प्रत्याशी घोषित नहीं हुए जबकि इस क्षेत्र में शिवपुरी से राजकुमार शाक्य का नाम सामने है तो वहीं पिछोर से संभव है कि कौशलकिशोर फिर से दावेदारी जताए।

इन दिनों जिले की विधानसभा सीटों पर जिस तरह से टिकट प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों के बीच गला काट प्रतिस्पर्धा चल रही है। उससे इस बात की आशंका काफी प्रबल नजर आ रही है कि उम्मीदवार घोषित होने के बाद कांग्रेस और भाजपा में असंतोष और विद्रोह का दावानल भड़क सकता है। यह स्थिति दोनों ही दलों में देखने को मिल रही है। खास तौर पर पोहरी, कोलारस और करैरा में स्थिति अधिक भयावह है। टिकट मिलने की महत्वाकांक्षा इस हद तक है कि विरोधी उम्मीदवार को टिकट मिलने की स्थिति में दावेदार पार्टी से बगावत करने की हद तक भी पहुंच सकते हैं ऐसी आशंका साफ नजर आ रही है। पोहरी में तो कांग्रेस और भाजपाईयों ने पार्टी आला कमान को अल्टीमेटम तक दे दिया है।

कांग्रेस में बगावत का संकट पोहरी और कोलारस विधानसभा क्षेत्रों में साफ दिख रहा है। पोहरी में तो हरिवल्लभ विरोधी कांग्रेसी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। जैसे-जैसे हरिवल्लभ को टिकट मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं वैसे-वैसे उनके विरोधी आक्रामक तेवर अख्तियार करने लगे हैं। विद्रोह की कमान पोहरी के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष ने संभाल रखी है और कम से कम आधा दर्जन दावेदार उनके साथ कदमताल करते हुए दिख रहे हैं। यहां तक कि राहुल गांधी की सभा के लिए पोहरी के कांग्रेसियों ने जो तैयारियां की हैं। उनमें भी पोहरी में पार्टी की गुटबाजी स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रही है। सूत्र बताते हैं कि हरिवल्लभ को टिकट मिलने की स्थिति में बड़ी संख्या में कांग्रेसी भाजपा से हाथ मिला सकते हैं। इस आशंका के मद्देनजर पिछले दिनों श्री सिंधिया ने पोहरी के कांग्रेसियों को बुलाकर उन्हें कसा था तथा हिदायत दी थी कि जिसे भी मैं टिकट दूं उसके लिए काम करना पड़ेगा अन्यथा मेरे दरबाजे हमेशा के लिए बंद रहेंगे, लेकिन इस समझाईश का कोई असर पड़ा हो यह नजर नहीं आता।

कोलारस में भी कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी रामसिंह यादव के खिलाफ सिंधिया समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया था और श्री सिंधिया के समक्ष वे फरियाद लेकर पहुंचे थे कि रामसिंह के अलावा किसी को भी टिकट दिया जाए, लेकिन संभावना रामसिंह यादव के टिकट की बन रही हैं। ऐसे में पार्टी में विद्रोह और बगावत की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। पिछले चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं के भितरघात के कारण ही रामसिंह यादव पराजित हो गए थे। करैरा में भी टिकट की प्रबल दावेदार शकुंतला खटीक के खिलाफ अन्य दावेदारों योगेश करारे, मिश्रीलाल करारे, जसवंत जाटव, केएल राय, दिनेश परिहार आदि ने मोर्चा खोल दिया था और पार्टी से मांग की थी कि उनके स्थान पर किसी को भी टिकट दिया जाए। सूत्र बताते हैं कि श्रीमती खटीक को टिकट मिलने पर अन्य दावेदारों में से कतिपय भाजपा के पक्ष में प्रचार करेंगे। शिवपुरी में भी पार्टी में जबरदस्त गुटबाजी आंतरिक स्तर पर चल रही है और जिसे भी टिकट मिले उसे भितरघात का सामना करना पड़ेगा। अनुशासित कही जाने वाली भाजपा में भी स्थिति अधिक सुखद नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने सबसे पहले पोहरी से टिकट तय कर विधायक प्रहलाद भारती को उम्मीदवार बनाने का मन बनाया, लेकिन पोहरी विधानसभा क्षेत्र से मण्डल अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान  के नेतृत्व में विवेक पालीवाल, रामबाबू मंगल, बृजेन्द्र सिंह तोमर आदि उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ कल प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और संगठन महामंत्री अरविंद मेनन से मिले। हालांकि पार्टी ने उन्हें अधिक तवज्जो नहीं दी और यह कहकर उन्हें टरका दिया कि प्रत्याशी चयन का अधिकार पार्टी का है। सूत्र बताते हैं कि प्रहलाद भारती को टिकट मिलने की स्थिति में उनके विरोधी बगावत करने की स्थिति में साफ नजर आ रहे हैं। मण्डल अध्यक्ष का आरोप है कि विधायक कार्यकर्ताओं को साथ लेकर नहीं चलते और कार्यकर्ताओं में उनका विरोध है। कोलारस में विधायक देवेन्द्र जैन के खिलाफ भी मोर्चा खोला गया है और यहां पर भी टिकट का फैसला होने पर पार्टी में असंतोष गहरा सकने की आशंकाएं प्रबल हैं। करैरा भाजपा में भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है।

बदल सकते हैं चेहरे

कांग्रेस और भाजपा में उम्मीदवारों की सूची घोषित होने के बाद इस बात की प्रबल संभावना नजर आ रही है कि कई चेहरे इधर से उधर हो सकते हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि बहुत से नेताओं ने अभी से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। पिछले चुनाव में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी।