राजू (ग्वाल)यादव/शिवपुरी। दिल में जज्बा, जुनून और बुलंद हौंसलों के साथ देशभक्ति जनसेवा का दंभ भरने वाले नव युवा आज बेरोजगारी के अभाव में सर्वाधिक रूप से पुलिस व अन्य भर्तियों की प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर देश का नाम रोशन करना चाहते है।
कुछ हद तक यह सोच सही भी है क्योंकि देश सेवा सबसे बड़ी सेवा होती है लेकिन जब इन्हीं देशवासियों की सेवा के लिए आगे बढऩे वाले ये युवा अपने आपको असहज महसूस पाते है तब पता चलता है कि देश की सेवा से पहले अपनी(पेट)की सेवा जरूरी है यह इसलिए क्योंकि आज एक मासूम इसी सेवा को पाने के लिए अकस्मात घटना में अपनों को छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गया। अपर्याप्त सुरक्षा, असंवेदनशील रवैया और अमानवीय घटना ने आज देश सेवा के रूप में होने वाली भर्ती को जमकर ना केवल कोसा है बल्कि कईओं ने इससे दूरी तक बना ली है।
हम बात कर रहे है इन दिनों हो रही शिवपुरी में भर्ती रैली की जिसमें शहर ही नहीं बल्कि अन्य दीगर क्षेत्रों से हजारों की संख्या में नवयुवक पुलिस की भर्ती देने शिवपुरी आ रहे है। ऐसे में भर्ती देने आए एक युवक आज ट्रेन में चढ़ते वक्त अपना संतुलन खो बैठा और ट्रेन की पटरी के नीचे उसका सिर आने से उसके परखच्चे उड़ गए, इस घटना ने वहां मौजूद भर्ती देने आए युवको को अंदर से झकझोर दिया कि क्या वाकई ऐसे होगी देशभक्ति जनसेवा...। शायद नहीं क्योंकि यह मासूम किसी की गुलामी नहीं बल्कि देश की सेवा के लिए आया था लेकिन यहां ना तो पुलिस प्रशासन व भर्ती करने वाले विभाग ने इन युवाओं की सुरक्षा व अन्य संसाधन उपलब्ध कराए।
जिससे इन युवको को ना केवल होटल, लॉज बल्कि शमशान की भूमि व शमशान स्थल पर अपनी रात काटनी पड़ रही है। महंगाई के इस युग में पुलिस की भर्ती में शामिल होने आए इन युवाओ की जेब इतना खर्च सहन नहीं कर पाती कि ये किसी होटल,लॉज में ठहर सके ऐसे में शासन व पुलिस प्रशासन को चाहिए था कि वह इन भर्ती वाले युवाओ के लिए शहर के अनेकों क्षेत्रों में विशाल खुले पाण्डाल लगाए ताकि यह कम से कम खुले आसमान में आसरा तो पा सके लेकिन किसी ने इस ओर गौर नहीं किया और आज इसी हीलाहवाली में शिवपुरी रेलवे स्टेशन पर सुबह 8:15 बजे कोटा से भिण्ड को जाने वाली पैसेंजर आने के साथ ही सेना में भर्ती देकर अपने गंतव्य को वापिस लौटने वाले युवकों का रैला चलती ट्रेन में जगह पाने के फेर में असावधानीपूर्वक चढऩे लगा।
जिससे एक युवक सरनाम पुत्र किशन कुशवाह निवासी मुरैना का ट्रेन के पायदान से पैर फिसल गया और वह असंतुलित होकर नीचे गिर गया। इसके बाद उसका सिर ट्रेन के पहिए के नीचे आ गया। जिससे उसके सिर के चिथड़े उड़ गए और उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस घटना ने समूचे शहर को हिला कर रख दिया और इन मासूम युवाओ को भी झकझोर दिया जो अपने मॉं-बाप व परिवार का भरण पोषण करने के लिए इस भर्ती में शामिल होने आए थे। बढ़ती महंगाई में सैकड़ों की भर्तियो में हजारों अभ्यार्थियों का आना यह इंगित करता है कि कहीं ना कहीं हमारी कार्यप्रणाली में कमी है और यही वजह है कि आज यह अभ्यार्थी अन्य क्षेत्रों में जाने के बजाए पुलिस में जाना चाहते है।
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