ओशोन के नो माईंड थेरेपी शिविर में कवियों ने किया काव्यपाठ

शिवपुरी-बीते 22 सितम्बर से संचालित ओशोन संस्था के नो माईंड थेरेपी शिविर में गत दिवस कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें  पधारे कवियों ने ओशो(रजनीश आचार्य) के जीवन से ओतप्रोत काव्यपाठ किया।
आयोजक ओशोन संस्था के स्वामी आनन्द नीरज(पुष्पेन्द्र अग्रवाल) व स्वामी निर्दोष(रविन्द्र गोयल) ने संयुक्त रूप से बताया कि ओशो के नो माईंड थेरेपी शिविर में प्रतिदिन ओशो के विभिन्न अनुयायी आकर प्रात: ध्यान क्रियाऐं व संध्या सत्संग में भाग ले रहे इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गत दिवस ओशोन संस्था द्वारा शिविर में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें कविगण डॉ.महेन्द्र अग्रवाल, विनय प्रकाश नीरव, दिनेश वशिष्ठ, अरूण अपेक्षित, मुकेश अनुरागी, आदित्य शिवपुरी व शायर रफीक इशरत, याकूब साबिर, सुकून शिवपुरी, प्रदीप अवस्थी, राकेश सिंह, आशीष पटैरिया ने अपना काव्य पाठ किया। 

इसके साथ ही ओशोन की इस कवि गोष्ठी में अध्यक्षता ओशो द्वारा जबकि विशिष्ट अतिथि में अद्भुत महाराज व मॉं मीरा (ममता नीर) रही, कवि गोष्ठी में स्वागत संचालन स्वामी कृष्णानंद (भूपेन्द्र विकल) ने किया जबकि संचालन दिनेश वशिष्ठ द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कविवर डॉ.महेन्द्र अग्रवाल द्वारा ओशोन संस्था के संरक्षक स्वामी आनन्द नीरज पुष्पेन्द्र अग्रवाल का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया व शिविर संचालक मॉं मीरा को अपनी रचित पुस्तकों की सामग्री भेंट की। 

काव्य पाठ में मॉं मीरा ने इन लाईनों से शुरूआत की-बांध दरवाजे पर खड़ा कर दे, पहरा और कड़ा कर दे।, मैं रिहाई की तलबगार नहीं, पिंजरा और बड़ा कर दे।। यहां मॉं का तात्पर्य ओशोप्रेमियों से था जो बड़ी आजादी के साथ ओशोमय जीवन बिताना चाहते है। मॉं मीरा ने बताया कि ओशो ने कीर्तन व ध्यान पर सर्वाधिक जोर दिया और यही कीर्तन व कला ईश्वर के पास पहुंचने का सबसे सरल मार्ग है इस मार्ग से ही ओशो को पाया जा सकता है ओशोन संस्थान द्वारा आगामी समय में कलावान प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए भी कार्य किए जाऐंगें। 

ओशोन के संरक्षक आनंद नीरज पुष्पेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि आज 26 सितम्बर के दिन ही ओशो ने पहला सन्यास लिया था इसलिए ओशो प्रेमी सन्यास दिवस मनाते है। कार्यक्रम का समापन आज 27 सितम्बर को नवीन ओशो आश्रम की परिकल्पना व प्रकृति भ्रमण के साथ होगा।