बैठक में मंजूरी के बाद भी नहीं दिया मछली पालन हेतु पट्टा

शिवपुरी। जिले के पोहरी जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली कृषि स्थाई समिति द्वारा बकायदा समिति सदस्यों के साथ एक बैठक कर विभिन्न समूहों को जलाशय मछली पालन हेतु 10 वर्षीय पट्टे पर दिये जाने के संबंध में निर्णय लिया गया।

उक्त बैठक की संपूर्ण कार्यवाही की मूल प्रति तत्समय ही पट्टे की कार्यवाही करने के लिए मत्स्योद्योग जिला शिवपुरी को भेज दी गई थी, लेकिन समिति द्वारा चयनित पिपलौदा जलाशय को आज दिनांक तक मछली पालन हेतु पट्टा नहीं दिया गया। इस संबंध में समूह अध्यक्ष का कहना है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अकारण ही पट्टा देने में अड़ंगा डाले हुए हैं।

पिपलौदा जलाशय के समूह अध्यक्ष सूरज खटीक पुत्र धोज खटीक का कहना है कि जनपद पंचायत द्वारा जारी की गई निविदा विज्ञप्ति के अनुसार उसने भी मछली पालन हेतु जलाशय पट्टे पर लेने हेतु अपनी संस्था का आवेदन प्रस्तुत किया।

एसएडीओ द्वारा पिपलौदा तालाब के संबंध में प्रस्तुत आवेदनों का स्थाई समिति की बैठक में अवलोकन किया गया। मत्स्योद्योग सहकारी संस्था ऐचवाड़ा के आवेदन एवं प्राप्त शिकायतों के अवलोकन करने पर समिति ने पाया कि उक्त संस्था द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर पट्टा लिया गया। 

संचालक मत्स्योद्योग ने उपायुक्त सहकारिता को पत्र क्रमांक 2286 दिनांक 13 फरवरी 2012 के द्वारा पंजीयन निरस्त करने हुते पत्र लिखा, साथ ही उक्त जलाशय से समिति की दूरी अधिक होने से उक्त समिति को पिपलौदा जलाशय का पट्टा किया उचित नहीं माना, साथ ही अध्यक्ष आदिवासी मछुआ समूह पिपलौदा के आवेदन पर विचार उपरांत मप्र मत्स्योद्योग भोपाल के पत्र क्रमांक 1548 दिनांक 8.10.2008 में उल्लेखित बिंदु के आधार पर नियमानुसार पट्टा देने की बात कही और संपूर्ण कार्यवाही की मूलप्रति एवं अन्य दस्तावेज पट्टे की कार्यवाही हेतु 13 फरवरी 2013 को जिला मत्स्योद्योग विभाग जिला शिवपुरी को भेज दिये बावजूद इसके आज दिनांक तक पिपलौदा जलाशय को मछली पालन हेतु बैठक में निर्णय अनुसार समूह को नहीं दिया गया। आदिवासी मछुआ समूह पिपलौदा के अध्यक्ष इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय की शरण भी ले चुके हैं और कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला दिया है। बावजूद इसके संबंधित विभाग कार्यवाही को किस वजह से लटकाये हुए है यह समझ से परे है।

फर्जी संस्था के लिए खेला जा रहा है खेल

आदिवासी मछुआ समूह पिपलौदा के अध्यक्ष सूरज खटीक के अनुसार पट्टे की कार्यवाही को रोकने के पीछे विभागीय अधिकारियों की मंशा ठीक नहीं है। वह एक ऐसी संस्था को काम देना चाहते हैं जो पूरी तरह फर्जी प्रमाणित हो चुकी है और इस संबंध में कार्यालय उपायुक्त सहकारिता जिला शिवपुरी उसका पंजीयन तक निरस्त कर चुकी है, इतना ही नहीं उस संस्था के संबंध में बताया तो यह भी जा रहा है कि उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समिति खड़ी की है। संस्था में कई सदस्य कुशवाह जाति के होते हुए भी बाथम दर्शाकर समिति में शामिल किया गया है।