...और अंतत: 12 दिन बाद फिरौती देकर ही छूट पाए अपहृत

शिवपुरी. जंगलों की खाक छान रही पुलिस को उस समय राहत की सांस मिली जब बीते 12 दिनों पूर्व महादेव घाटी से अपहृत हुए तीन में से अपहृत दो लोग आज सकुशल वापिस आ गए जबकि एक को तो पूर्व में ही अपहृत कर फिरौती की राशि लेने की बात कहकर छोड़ दिया गया था। हालांकि इन पकड़ों के छूटने में पुलिस का अपना दावा अलग है तो वहीं दूसरी ओर अपहृतों का स्वयं डकैतों के चंगुल से निकलने की कहानी अलग है।

बताया गया है कि अपहृतों के छूटने के पीछे फिरौती की रकम भी है क्योंकि बिना फिरौती के ना तो डकैत इन्हें छोडऩे वाले और ना ही यह आसानी से छूटने इसीलिए इतने दिन बीतने के बाद अपहृतों की सकुशल वापिसी ऐसा प्रतीत होती है कि एक बड़ी डील के बाद इन्हें छोड़ा गया तो वहीं दूसरी ओर पुलिस भी अपना दबाब बताकर श्रेय लेेने की होड़ में है।डकैतों के चंगुल से छूटे ये अपहृत सहसराम के जंगलों में पहुंचे और यहां किसी तरह पुलिस को सूचना दी तब पुलिस ने इन्हें अपनी निगरानी में लिया।

सूचना पाते ही एसडीओपी एसएन मुखर्जी और बैराड पुलिस मौके पर पहुंचकर सहसराम से दोनों अपहृतों को थाने ले आई। जहां उनसे पूछताछ की जा रही है, लेकिन घबराये दोनों अपहृत डकैतों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता पा रहे। वहीं एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार दावा कर रहे हैं कि पकड़ बगैर फिरौती के पुलिस दबाव के चलते छोड़ी गई है, वहीं डकैतों को रसद मुहैया कराने के संदेह पर तीन ग्रामीणों को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए उठाया है। यह पकड़ छूटने के बाद से ही पुलिस ने चैन की सांस ली है।

विदित हो कि 16 सितम्बर को दोपहर 3 बजे कल्याण धाकड़ और उसका भाई चंपा धाकड़ दामाद पुरूषोत्तम धाकड़ के साथ अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर मगरदा अपने समधी कल्याण धाकड़ से मिलने के लिए जा रहे थे तभी रास्ते में पांच सशस्त्र डकैतों ने तीनों को महादेवा घाटी उतार वाले क्षेत्र में रोक लिया और उनकी मोटरसाइकिल सड़क के किनारे लगाकर उनका अपहरण कर ले गये और दूसरे दिन सुबह कल्याण धाकड़ को फिरौती के संदेश के साथ रिहा कर दिया गया और चंपा व पुरूषोत्तम धाकड़ को अपने साथ ले गये। लेकिन इस बीच न तो डकैतों ने फिरौती के लिए कोई संदेश दिया।

जिस कारण पुलिस इन डकैतों की सर्चिंग में भटक रही थी। इसी बीच अपहृतों के परिजनों ने भी पुलिस से संपर्क तोड़ दिया और अपने स्तर से ही मामले को सुलझाने में जुट गये। घटना के 11 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस न तो अपहृतों का सुराग लगा  सकी ओर न ही डकैतों का कोई पता चल सका। लेकिन 12 वे दिन कल शाम 6:30 बजे ये दोनों अपहृत डकैतों के चंगुल से छूटकर वापस आये और पुलिस को सूचना दी, तब जाकर पुलिस को राहत मिली और दोनों को लेकर बैराड थाने ले आई।

जहां दोनों अपहृतों से पूछताछ की गई, लेकिन डरे सहमे दोनों अपहृत उन डकैतों के बारे में जानकारी नहीं दे सके, बस उन्होंने इतना ही बताया कि अपहरण की घटना कारित करने के बाद वह उन्हें श्योपुर के जंगलों में ले गये, जहां कल्याण को तो सुबह दो डकैत धौरिया रोड पर छोड़ गये और उसके बाद से ही व दोनों डकैत लौट कर नहीं आये। इसके बाद शेष बचे तीन डकैत उन्हें प्रतिदिन 15-20 किमी पैदल चलाते थे और वह उन्हें श्योपुर और मुरैना के जंगलों में ले गये, जहां उन्हें रसद बहुत आसानी से मिल जाता था। वह कभी उन्हें पूड़ी-सब्जी खिलाते थे तो कभी गुड़-रोटी दिया करते थे।

 डकैतों के पास माउजर, कट्टा, लाठी, कुल्हाड़ी जैसे हथियार भी थे। चंपा और पुरूषोत्तम ने बताया कि अगर तीनों डकैतों को कोई बात करनी होती थी तो वह उनसे दूर होकर बात करते थे और आपस में किसी का नाम भी नहीं लेते थे। उनकी भाषा से ऐसा लगता था कि वह श्योपुर, मुरैना और राजस्थान क्षेत्र के निवासी हों और उनका पहनावा सादा पेंट-शर्ट था। उनकी उम्र लगभग 30-40 वर्ष के बीच थी, लेकिन वह उन डकैतों के डर से उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सके। एसडीओपी एसएन मुखर्जी ने बताया कि दोनों अपहृत डरे सहमे हैं इस कारण वह ज्यादा जानकारी नहीं दे पा रहे हैं।  

मेले में आए डकैत पर पुलिस को नहीं मिली जानकारी

एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार का कहना है कि डकैत यहां राजस्थान के बारां जिले में गुर्जर समाज द्वारा लगाये जाने वाले मेले में भी आते जाते हैं पर इसकी भनक पुलिस को नहीं लगी और यह डकैत वहां से अपनी जरूरत का सामान खरीदते हैं। यह मेला प्रतिवर्ष इसी सितम्बर माह में लगाया जाता है पुलिस उनकी खोजबीन के लिए राजस्थान में भी पूछताछ करने में जुटी हुई है, जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वह भी राजस्थान के रहने वाले हैं, लेकिन वह श्योपुर, शिवपुरी और राजस्थान की सीमा में रहकर गैंग को संरक्षण  देते हैं और रसद मुहैया कराते हैं।

एसडीओपी ने कहा शातिर गैंग है

अपहृतों के मुक्त होते ही पुलिस ने चैन की सांस ली और आज सुबह एसडीओपी एसएन मुजर्खी इस पूरे मामले में 12 दिनों के बाद कुछ बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह गैंग इतना शातिर है कि पुलिस की हर हरकत पर उनकी नजर टिकी हुई थी और पुलिस का जो भी मूवमेंट होता वह उन्हें पता लग जाता। श्री मुखर्जी कहते हैं पुलिस बदमाशों के मूवमेंट पर नजर रखती है, लेकिन यह पहला गिरोह ऐसा है जो पुलिस पर नजर रखता है। तीन बदमाश तो अपहृतों को लेकर जंगल में घुमाते रहे, लेकिन दो बदमाश जो कल्याण को छोडऩे के बाद इधर-उधर रहकर हमारी हर हरकत पर नजर रखे हुए थे और अपने साथियों को इससे अवगत करा रहे थे।