पोहरी से सशक्त दावेदार के रूप में उभरेंगी निर्मला हिंमाशु शर्मा

राजू (ग्वाल) यादव/ शिवपुरी-जनता की सेवा और जन-जन के बीच अपनी पैठ बनाने वाले स्व.गौतम शर्मा ने अपने जीवन में पोहरीवासियों की हृदय से जिस प्रकार सेवा और जनहितैषी कार्य किए नि:संदेह वह प्रमाण आज भी क्षेत्र में देखने को मिलते है। वर्तमान परिवेश में स्व.गौतम के अधूरे सपनों को पूर्ण करने की जो राजनैतिक विरासत उनकी पुत्रवधु श्रीमती निर्मला शर्मा को मिली है वह आज के दौर में सटीक  और सशक्त दावेदार के रूप में जनता के सामने है।

यूं तो स्व.गौतम शर्मा की राजनैतिक विरासत को उनके पुत्र स्व.हिमांशु शर्मा ने संभाला था लेकिन वह क्षेत्र में कुछ अधिक करने के प्रयास में सदैव लगे रहते कि इसी बीच उनका निधन हो गया। आज पोहरी में इन दो महान विकास पुरूषों के बाद यदि विकास और जनहित के मुद्दों की बात करें तो गौतम परिवार की इस बहू निर्मला शर्मा को आने वाले विधानसभा चुनावों में उ मीदवार के रूप में उताने जाने की आवश्यकता महसूस होती है। हालंाकि अन्य दावेदार भी यहां से टिकिट के प्रयास में है लेकिन कांग्रेस पार्टी को अपनी साख और क्षेत्र में प्रतिनिधित्व को यदि जगह देनी है तो यहां से राजनैतिक फायदा दिलाने के लिए निर्मला शर्मा एक सशक्त दावेदार के रूप में नजर आती है।

यहां बताना होगा कि पोहरी क्षेत्र में स्व.गौतम शर्मा ने तत्समय मप्र के राजनैतिक और पूर्व खाद्यमंत्री रहकर अंचल का नेतृत्व किया है। उसके बाद उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में उनके पुत्र हिमांशु शर्मा आए और उन्होंने भी पोहरी क्षेत्र की जनता पर गहरी छाप छोड़ते हुए राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाया। चूंकि इस परिवार के प्रति सहानुभूति रखने वालों में पूर्व मु यमंत्री दिग्विजय सिंह और देश के पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज,शंकर दयाल शर्मा के नाम प्रमुखता से गिने जाते हैं और इन्हीं के संपर्कों का फायदा गौतम शर्मा परिवार को मिलता रहा है। आज एक बार फिर से यहां पोहरी क्षेत्र में नेतृत्व की स त आवश्यकता है ऐसे में क्षेत्रीय लोगों की निकटता और स्थानीय निवासी होने के चलते श्रीमती निर्मला शर्मा की मांग भी पुरजोर से उठने लगी है। अभी-अभी क्षेत्र में पोहरी विकास समिति के पदाधिकारी व सदस्यों ने भी प्रेसवार्ता कर स्थानीय प्रत्याशी की मांग की थी ऐसे में स्थानीय उ मीदवार के लिए निर्मला शर्मा पर ना केवल पोहरी विकास समिति बल्कि अन्य नागरिक भी अपनी रजामंदी दे सकते है।

यह है गौतम परिवार का राजनैतिक परिवेश

प्रदेश की राजनीति में स्व. गौतम शर्मा का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। पूर्व मु यमंत्री स्व. द्वारका प्रसाद मिश्र के शासनकाल में गौतम शर्मा खाद्य मंत्री रहे हैं और उन्हें कट्टर कांग्रेसी बताया जाता है। गौतम शर्मा इलाके के सा ांतवादी राजनीति से हमेशा लोहा लेते रहे। करैरा से वह स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया के विरूद्ध भी चुनाव लड़कर पराजित हुए। स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर नरसिं हा राव और हंसराज भारद्वाज से उनकी काफी निकटता रही। पूर्व मु यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र के शासनकाल में उन्हें कैबिनेट में नंबर दो का दर्जा था। शिवपुरी जिले में स्व. गौतम शर्मा को काफी स मान की दृष्टि से देखा जाता था। इसी कारण सन् 85 के विधानसभा चुनाव में उस समय के विधायक हरिवल्लभ शुक्ला का टिकट काटकर उनके सुपुत्र हिमांशु शर्मा को कांग्रेस का टिकट दिया गया था और वह विजयी भी हुए थे। हिमांशु शर्मा का कार्यकाल इस मायने में उल्लेखनीय रहा कि उन्होंने यदि किसी का अच्छा नहीं किया तो बुरा भी नहीं किया।

पोहरी में देवव्रत को मिल चुकी है करारी हार

अंचल में खबर आ रही है कि यहां से गौतम परिवार के एक अन्य सदस्य देवव्रत शर्मा भी ताल ठोकने की तैयारी में है जबकि यदि सन् 1993 के चुनावों की बात करें तो यहां उनके एक और पुत्र देवव्रत शर्मा को टिकिट दिया गया लेकिन क्षेत्र में छाप ना छोड़ सके और महज दो हजार वोट ही हासिल कर जमानत भी नहीं बचा पाए। ऐसे में यहां उत्तराधिकारी के तौर पर यदि देवव्रत को देखा जाए तो यह कांग्रेस के मुंह पर एक और तमाचा ही होगा। ऐसे में गौतम परिवार के निकटस्थ सहयोगी व क्षेत्रीय जनता भी गौतम परिवार की बहू निर्मला शर्मा को क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के रूप में देख रही है। हालांकि तत्समय सन् 1990 के चुनावों में हिमांशु के पराजित होने के बाद 1992 में उनका निधन हो गया और सन् 1993 के चुनावों के समय श्रीमती निर्मला शर्मा चुनाव लडऩे में सक्षम नहीं थी इसलिए वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चली गई थी लेकिन आज हालात बदल चुके है और जनता के अपनत्व व स्थानीय निवासी होने के कारण यहां से कांग्रेस उ मीदवार के रूप में निर्मला शर्मा को मौका देकर सद्भावना मतों को अपनी ओर खींचा जा सकता है।