नागपंचमी के दिन वन विभाग ने पकड़े दो दर्जन सेपेरे

शिवपुरी। नागों को दिखाकर पैसा वसूलने वाले लगभग दो दर्जन सपेरों को आज वन विभाग की टीम ने पकड़ा। इन सपेरों के बारे में वन विभाग को जानकारी मिली थी कि यह सपेरे वन अधिनियम का उल्लंघन कर रहे है और नागपंचमी के दिन नागों को दूध पिलाने के बहाने पैसा वसूल रहे है।

जिस पर वन विभाग की टीम ने विभिन्न स्थानों से 22 सपेरों को पकड़ा और इनसे 22 काले नाग और 2 दुमुंहे सांप जप्त किये हैं और पकड़े गए विभिन्न प्रजातियों के इन सांपों को वन सीमा में छोड़ा गया। वन विभाग ने इन सेपेरों के विरूद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में ले लिया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह वन विभाग की टीम को सूचना मिली कि शहर में कुछ सपेरे सांपों को लेकर घूम रहे हैं और इस तरह से वन प्राणी अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं। इस सूचना पर वन विभाग के डॉक्टर जीतेन्द्र जाटव और वनपाल पीएस गौड सहित अनूप कुमार, नारायण प्रजापति सहित टीम के अन्य लोगों ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी खिन्नी नाका, गांधी कॉलोनी और पटेल नगर में दबिश दी तो वहां से किशनलाल पुत्र पूरन सपेरा उम्र 45 वर्ष निवासी विजयपुर, रमेश पुत्र मुगनाथ सपेरा उम्र 44 वर्ष, बहादुर पुत्र भोली सपेरा निवासी नई सराय, यशपाल पुत्र तोरणनाथ उम्र 35 निवासी नई सराय, मिथुन पुत्र गट्टू सपेरा उम्र 25 वर्ष निवासी नई सराय, चंदू पुत्र गट्टू उम्र 35 वर्ष निवासी नई सराय, भाचन पुत्र बैजनाथ उम्र 50 वर्ष निवासी मगरौनी, जटाऊ पुत्र स्व. सरमननाथ, चेतराम पुत्र बारेलाल उम्र 26 वर्ष निवासी मगरौनी, सुरेश पुत्र किशनलाल उम्र 26 वर्ष निवासी विजयपुर, चंदू पुत्र शंकर सपेरा उम्र 27 वर्ष निवासी विजयपुर को गिर तार किया। उनके कब्जे से 13 सांप बरामद किये गए। बाद में सांपों को मुक्त करा दिया गया।

सांपों के दिखाकर पैसा वसूलते हैं सपेरे

बताया जाता है कि जनता के कुछ लोगों ने वन विभाग की टीम को सूचित किया था कि कुछ सपेरो सांपों को कैद कर उन्हें दिखाकर पैसा बसूल कर रहे हैं तथा सांपों के प्रति उनका व्यवहार काफी क्रूरतापूर्ण है। विदित हो कि नगपंचमी पर सांपों को दूध पिलाने का और उनका पूजन करने की परंपरा हमारे देश में वर्षों से चली आ रही है। लेकिन कुछ कथित लोगों ने इस परंपरा को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है और रूपये कमाने के फेर में यह कथित लोग सांपों को बड़ी बेरहमी से पकड़कर उन्हें विष रहित कर लोगों के सामने पेश करते हैं और लोगों की आस्था से खिलवाड़ करते है।