ITBP में फर्जी नियुक्ति कांड, अभ्यर्थियों के खिलाफ मामला दर्ज

शिवपुरी। सेना में देश सेवा करने के लिए नियुक्ति पत्र लेकर आए आधा दर्जन से अधिक लोग सेना में भर्ती तो नहीं हुए पर उन्हें फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियुक्ति पत्र मिलने पर जेल की हवा जरूर खानी पड़ी। इस मामले में पुलिस थाना देहात क्षेत्र के अंतर्गत आईटीबीपी में फर्जी ज्वाईनिंग लेटर लेकर आरक्षक बनने आए सात युवकों के खिलाफ भादवि की धारा 420, 467, 468 के तहत धोखाधड़ी और दस्तावेजों के कूटकरण का मामला दर्ज कर लिया गया है।

यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उक्त आरोपी युवकों को किसने फर्जी नियुक्ति पत्र बनाकर दिए। आईटीबीपी के उपनिरीक्षक की शिकायत पर पुलिस ने यह कायमी की है। पुलिस मामले की जांच कर आरोपियो को भी शीघ्र पकड़ेगी।

जानकारी के अनुसार रामप्रीत सिंह पुत्र नरेन्द्र सिंह, प्रताप सिंह पुत्र सतनाम सिंह, विक्रमजीत सिंह पुत्र सुखविंदर सिंह, हरभजन पुत्र सौदागर सिंह, प्रेमसिंह पुत्र गुरूदेव सिंह, गगनदीप पुत्र अमरजीत सिंह, कुलदीप पुत्र मोहिन्द्र सिंह 21 जुलाई को आईटीबीपी में पहुंचे और उन्होंने आरक्षक के पद पर नियुक्ति के पत्र उपनिरीक्षक देवेन्द्र शर्मा पुत्र गंगाधर शर्मा को सौंपे। उपनिरीक्षक ने जब नियुक्ति पत्र का परीक्षण किया तो यह प्रथम दृष्टि में ही फर्जी पाया गया।

मुख्यत: सबसे बड़ी बात यह रही कि जिस महानिरीक्षक के नाम भर्ती पत्र बनाया गया वह महानिरीक्षक वर्ष 2008 से ही यहां पर पदस्थ नहीं हैं तथा दूसरी बात जिस भर्ती पत्र पर आवक-जावक क्रमांक नंबर ही पूर्णत: गलत पाया गया। इन्हीं सभी बातों को जांचकर उक्त बात की जानकारी आईटीबीपी के कमाण्डेंट को दी। जिस पर से उन्होंने तुरंत उपनिरीक्षक देवेन्द्र शर्मा पुत्र गंगाधर शर्मा को सातों फर्जी आरक्षकों के नामों की सूची बनाकर देहात थाने में दी। जिस पर से सातों सिख युवकों के खिलाफ कूटरचित फर्जी दस्तावेज लगाने के आरोप का मामला दर्ज किया गया है।

किसने जारी किए नियुक्त पत्र?

सातों आरक्षकों को आईटीबीपी में भर्ती होने का ज्वाईनिंग लेटर किस व्यक्ति ने जारी किया है और किन अधिकारियों ने इन सातों आरक्षकों की लिखित व मौखिक परीक्षा के साथ-साथ शारीरिक मापदण्ड लेकर फिट साबित किया। इन सभी तथ्यों पर यदि बारीकी से गौर किया जाए तो एक बहुत बड़े फर्जी गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है।