सेन्ट्रल बैंक का ऋण ना चुकाने पर मिली छ: माह सश्रम कारावास की सजा

शिवपुरी- शहर के मध्य स्थित सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया से रोजगार के नाम पर लिया गया 15 हजार का लोन ना चुकाने वाले व्यक्ति को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कौशलेन्द्र सिंह भदौरिया ने छ: माह के सश्रम कारावास एवं 25 हजार रूपए के प्रतिकार से दंडित किया है।

इस मामले में बैंक ने पहले ऋण लेने वाले हितग्राही को बैंक का कर्जा चुकाने के लिए लिखित रूप से नोटिस भी दिए लेकिन युवक ने कोई जबाब नहीं दिया और सुरक्षा तौर पर रखा उसका 15 हजार रूपये का चैक भी बाउंस हो गया। जिस पर जब बैंक की रिकवरी नहीं हुई तो सेन्ट्रल बैंक के प्रबंधक ने इस मामले में न्यायालय की शरण ली जिस पर ऋण लेने वाले युवक को न्यायालय द्वारा ना केवल सजा से दण्डित किया गया बल्कि उस पर 25 हजार रूपए की राशि का प्रतिकार दंड भी लगाया। 

परिवाद पत्र के अनुसार शहर के घोसीपुरा निवासी लालजी खटीक पुत्र रतीराम खटीक ने रोजगार के लिए दुकान खोलने हेतु सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कोर्ट रोड से एसजे आरएसवाय ऋण योजना के तहत जनरल स्टोर की दुकान व्यवसाय करने हेतु वर्ष 2008 में ऋण लिया था इस ऋण की अदायगी हेतु 15 हजार रूपए की राशि का एक चैक 16 अक्टूबर 2010 को सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा शिवपुरी के खाता क्रमांक 3030371886 में बकाया ऋण की किश्तों के समायोजन हेतु जमा किया लेकिन उक्त चैक आरोपी लालजी खटीक के बचत खाता में पर्याप्त राशि न होने के कारण बाउन्स हो गया। 

इसके बाद सेन्ट्रल बैंक द्वारा आरोपी को अपने अभिभाषक के माध्यम से 25 अक्टूबर 2010 को एक सूचना पत्र रजिस्टर्ड डाक एवं यूपीसी से भिजवाया जो 26 अक्टूबर को आरोपी को प्राप्त हो गया। बाबजूद इसके आरोपी ने चैक में वर्णित राशि का भुगतान बैंक को नहीं किया, जिस पर बैंक द्वारा एक परिवाद न्यायालय में पेश किया। परिवाद पत्र की सुनवाई के दौरान मामले में आए समस्त तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचारण उपरांत माननीय न्यायाधीश ने आरोपी लालजी खटीक को धारा 138 के तहत छ: माह के सश्रम कारावास एवं धारा 357(3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान के अंतर्गत 25 हजार के प्रतिकार से दंडित किया है।