महापंजीयक ने किया जमीन रजिस्ट्रियों की गाईड लाईन में संशोधन

शिवपुरी-31 मार्च 2012 से बगैर डायवर्सन एवं कॉलोनाईजर एक्ट में ना आने वाली रजिस्ट्रिीयों पर यकायक लगे बैन में अब जनता को कुछ राहत की सांस मिल सकती है उक्त बात एक नवीन नियम आदेश की जानकारी अभिभाषक पीयूष शर्मा ने प्रेसवार्ता के माध्यम से दी।
उन्होने कहा कि इस नए नियम के तहत अब डायवर्सन और नॉन डायवर्सन की जमीनों की रजिस्ट्रीयों के मूल्यांकन में महानिरीक्षक पंजीयक एवं अधीक्षक मुद्रांक द्वारा नए आदेश जारी किए गए है जो प्रदेश के समस्त कलेक्टर को भेज दिए गए है। उनके अनुसार शीघ्र ही उक्त आदेश रजिस्ट्र्रार कार्यालयों में भेज दिए जाऐंगे और फलस्वरूप गैर डायवर्टेड भूमियों के पंजीयन भी संभव हो जावेंगें.

प्रेसवार्ता के माध्यम से जानकारी देते हुए अभिभाषक पीयूष शर्मा ने बताया कि 31 मार्च 2012 से जमीनों की रजिस्ट्रीयों को लेकर उच्च न्यायालय मप्र ग्वालियर खण्डपीठ द्वारा रजिस्ट्रीयों पर रोक लगाई गई थी। जिसमें कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था कि जमीनों की रजिस्ट्रीयां राज्य शासन के नियमानुसार की जाए। चूंकि मप्र शासन के नियम इतने कठोर थे कि उनका पालन करना काफी मुश्किल था इस पर दिनांक 01 व 02 मई 2013 को पीयूष शर्मा द्वारा दो पत्र कार्यालय महापंजीयक भोपाल को भेजे गए थे। जिसमें उन्होंने रजिस्ट्री संबंधी कुछ आवश्यक संशोधन चाहे एवं कई बातों का उल्लेख किया था। 

जैसे उन्होंने कहा था कि मप्र राज्य सरकार स्टाम्प ड्यूटी से अर्जित होने वाली आय का घाटा उठा रही है जो कि लगभग 50 प्रतिशत है, प्रदेश में लाखों की संख्या में लोग छोटे भू खण्डों के स्वामी है जिन्हें आज वे बेचने में असमर्थ है। उपरोक्त विधाई परिवर्तनों के अलावा कुछ उचित व उपयुक्त कार्यपालक निर्देश भी आधारभूत रूप से जारी किए जाने का निवेदन किया था। अभिभाषक पीयूष शर्मा ने बताया कि विगत 11 जून 2013 को  कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयक एवं अधीक्षक मुद्रांक मप्र शासन ने समस्त कलेक्टरों को एक पत्र जारी करते हुए मप्र बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांतों का नवीनीकरण किया जिसके अनुसार कृषि/नजूल भूमि के भूखण्डों का मूल्यांकन कुछ इस प्रकार किया गया। नगर निगम क्षेत्र इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर तथा उक्त जिलों की गाईड लाईन में इस प्रावधान हेतु विशिष्ट रूप से उल्लेखित ग्रामों में भूमि का मूल्यांकन क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर अथवा इससे कम हो तो डायवर्सन सहित निर्धारित भूखण्ड की दर एवं निर्धारित आवासीय भूखण्ड की बगैर डायवर्सन की दर जो कि प्रारूप 1 में निर्धारित की गई है अनुसार लगेगा। जब भूमि का क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर से अधिक हो और भूमि डायवर्टेड हो तो प्रथम 1000 वर्ग मीटर में पूर्वानुसार एवं शेष भूमि के लिए निर्धारित कृषि भूमि की अधिकतम दर का डेढ़़ गुना लगेगा। इसी प्रकार बगैर डायर्वेटेड निर्धारित आवासीय भूखण्ड की दर में प्रथम 1000 वर्ग मीटर तक पूर्वानुसार एवं शेष भूमि के लिए निर्धारित कृषि भूमि की दर अनुसार शुल्क लगेगा। इन्दौर, भोपाल एवं जबलपुर के निवेश क्षेत्र के ग्राम तथा प्रदेश के शेष नगर निगमों की सीमा में स्थित एवं गाईड लाईन में इस प्रावधान हेतु विशिष्ट रूप से उल्लेखित ग्रामों में भूमि का मूल्यांकन के अनुसार 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल अथवा इससे कम भूमि में निर्धारित भूखण्ड की दर डायवर्सन सहित एवं निर्धारित आवासीय भूखण्ड की दर बगैर डायवर्सन के रजिस्ट्रीयां हो सकेंगी। इसके अलावा जब भूमि का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से अधिक होगा तब प्रथम 500 वर्ग मीटर पूर्वानुसार एवं शेष भूमि के लिए निर्धारित कृषि भूमि की अधिकतम दर का डेढ़ गुना शुल्क देना होगा जबकि बगैर डायवर्सन में निर्धारित आवासीय भूखण्ड की दर अनुसार रजिस्ट्रीयां हो सकेंगी। नगर पालिका क्षेत्र एवं गाईड लाईन में विशिष्ट रूप से प्रावधान हेतु उल्लेखित ग्रामों में भूमि मूल्यांकन   500 वर्ग मीटर अथवा इससे कम होने पर डायवर्सन सहित विकसित भूखण्ड की दर एवं निर्धारित आवासीय भूखण्ड में बगैर डायवर्सन रजिस्ट्रीयां हो सकेंगी। इसके अलावा जब भूमि का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से अधिक होगा तब प्रथम 500 वर्ग मीटर तक पूर्व नियमानुसार एवं शेष भूमि के लिए निर्धारित कृषि भूमि की दर से शुल्क जमा करना होगा। हालांकि मप्र महानिरीक्षक पंजीयक द्वारा उक्त आदेश जारी तो कर दिए गए है परन्तु शिवपुरी कलेक्टर अभी इसे मानने को तैयार नहीं है उनका कहना है कि जब तक उन्हें लिखित रूप से कोई आदेश नहीं आ जाता वे कोई भी निर्णय नहीं लेंगें।

नगर पंचायतो में 300 वर्ग मीटर को मिली स्वीकृति

महानिरीक्षक पंजीयक मप्र द्वारा जारी किए गए नियम आदेशों, ग्रामों पंचायतों में स्थित जमीनों में 300 वर्ग मीटर अथवा उससे कम क्षेत्रफल की जमीनों में निर्धारित डायवर्टेड भूमि पर निर्धारित विकसित भूमि के भूखण्ड की दर एवं नानडायवर्टेड में निर्धारित आवासीय भूखण्ड की दर अनुसार शुल्क जमा करना होगा। जब भूमि का क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर से अधिक होगा तब प्रथम 300 वर्गमीटर पर पूर्वानुसार तथा शेष भूमि डायवर्टेड होने पर अधिकतम दर का डेढ़ गुना और डायवर्टेड ना होने पर निर्धारित कृषि भूमि की दर के अनुसार शुल्क जमा कर रजिस्ट्रीयां कराई जा सकेंगी।