पुलिस कस्टडी से भागी हत्यारोपी महिला गिरफ्तार, पुलिस ने कहा शर्म नहीं गर्व की बात

शिवपुरी। पुलिस विभाग ने कस्टडी से फरार हुई हत्यारोपी महिला को एक रिश्तेदार के यहां से गिरफ्तार कर लिया और इस शर्मनाक घटनाक्रम को प्रेसवार्ता बुलाकर कुछ ऐसे पेश किया मानो वीरता भरा काम कर आए हों।

जिले के मायापुर थाना क्षेत्र में बीती 22 जून को ग्राम टपरियन के हरवान पुत्र रायसिंह लोधी की हत्या के मामले में छ: लोगों के विरूद्ध धारा 302, 307, 147, 148, 149, 506बी, 323, 294 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया था जिसमें से तीन आरोपी पकड़े गए जबकि तीन की तलाश पुलिस कर रही थी।

इसी बीच एक आरोपी महिला लीलाबाती को 22 जून को न्यायालय में पेश करना था लेकिन लीलाबती पिछोर से उस समय पुलिस हिरासत से भाग खड़ी हुई जब रात होने के कारण इसकी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने इसे एक रात रोकने का प्रयास किया और जिस लॉकर में इसे बंद किया उसकी कुंदी खुली होने का लाभ आरोपी महिला ने उठाया और भाग खड़ी हुई। जिस पर कार्य में लापरवाही पर तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया।

हत्यारोपी महिला की तलाश के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओलाक सिंह ने पुलिस लाईन से एक विशेष बल तैयार किया और महिला को पकडऩे भेजा। जिस पर इस विशेष बल के टीआई संजीव कुमार तिवारी,  आरक्षक विजय, राघवेन्द्र रघुवंशी, प्रदीप शर्मा, महिला आर.ऊषा तिवारी, रत्ना जैन, पिछोर थाने के एस.आई. राधेपुरी गोस्वामी, एएसआई एस.एन.श्रीवास्तव,आर. महेश कुमार, बालकिशन, बच्ची लाल, ड्रायवर पाराशर, सैनिक अवधेश पाण्डे व प्रतिपाल चौहान की इस टीम ने हत्यारोपी महिला लीलाबती को उसके रिश्तेदार के यहां से सुबह 4 दबिश देकर गिरफ्तार किया।

हत्यारोपी इस महिला लीलाबती को पुलिस ने भौंती थाना के खोड़ चौकी अंतर्गत आने वाले ग्राम हिम्मतपुर के उसके रिश्तेदार के यहां से पकड़ा है। इस मामले का खुलासा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह ने कंट्रोल रूम में आयोजित प्रेसवार्ता के माध्यम से किया और इस आरोपी महिला को पकडऩे वाली पुलिस टीम के प्रत्येक सदस्य को 500-500 रूपये की नगद राशि की घोषणा की। श्री सिंह ने बताया कि पकड़ी गई महिला के विरूद्ध हिरासत से भागने के मामले में धारा 224 के तहत भी प्रकरण पंजीबद्ध किया है और महिला को जेएमएफसी न्यायालय के समक्ष पेश कर रिमाण्ड पर सेन्ट्रल भेजा जाएगा।

यहां बता दें कि कस्टडी से किसी मुल्जिम का फरार हो जाना पुलिस विभाग के लिए डूब मरने की बात होती है, शहर में यदि एक चोरी भी हो जाए तो पुलिस के लिए शर्मनाक होता है तो कस्टडी से आरोपी का फरार हो जाना एक गंभीरतम चूक है और इसके लिए केवल वो पुलिसकर्मी जो मौके पर मौजूद थे जिम्मेदार नहीं माने जाते बल्कि सिस्टम में मौजूद पुलिस कप्तान तक को दोषी माना जाता है। ऐसे हालात में यदि उसे उसके रिश्तेदार के यहां से पकड़ भी लिया गया तो सवाल यह खड़ा होता है कि यह कौन सा वीरता भरा काम था जिसके लिए तमाम टीम के नाम और इनाम जैसी प्रक्रिया की गई। बेहतर होता यदि पुलिस विभाग अपनी गंभीर चूक की रिकवरी पर चुपचाप एक प्रेसरिलीज जारी कर अपनी शर्मसार स्थिति को थोड़ा संभालने की कोशिश करती।