बिगड़ते पर्यावरण से गर्मी में अब शिवपुरी नहीं रही मिनी शिमला

शिवपुरी। पिछले 20 सालों में शिवपुरी के मौसम में काफी बदलाव आया है। सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिवपुरी को उस समय मिनी शिमला की संज्ञा दी जाती थी और भीषण से भीषण गर्मी के मौसम में तब शिवपुरी का तापमान 35 डिग्री से ऊपर नहीं जाता था।
चारों तरफ हरियाली रहती थी और दोनों समय  नल आते थे। सैकड़ों कुएं लवालव भरे रहते थे। लेकिन अब तो रातें भी गर्म रहने लगी हैं। गर्मी इतनी भीषण पडऩे लगी है कि कूलर फेल हो रहे हैं। जल संकट तेजी से गहरा रहा है और जंगलों का विनाश हो गया है, लेकिन इसके बाद भी हम नहीं चेते हैं।

निश्चित तौर पर निरंतर बढ़ती जा रही आबादी से पर्यावरण प्रदूषित हुआ है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि हमने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन भी किया है। दो दशक पूर्व अच्छे पर्यावरण के कारण शिवपुरी की आवोहवा काफी बेहतर थी। मई और जून के मौसम में यहां गर्मी का एहसास भी नहीं होता था। गर्मी न पडऩे के कारण उस समय शिवपुरी में शाम होते ही छतों पर पतंगें उड़ाने वालों का जमावड़ा लग जाता था जो दोपहरी में पतंगों के लिए पक्के धागों का निर्माण करते थे। रात को कंडीलें उड़ा करती थीं।

अधिकांश लोग रात में छतों पर सोते थे। रात 10 बजे के बाद मौसम सुहाना हो जाता था और ठण्डी-ठण्डी हवा से लोग नींद के आगोश में सो जाते थे। लगभग हर दूसरे-तीसरे घर में कुआ रहता था जिसमें 10-5 हाथ पर ही पानी होता था। उस जमाने में जल संकट बिल्कुल नहीं था। नहाने के लिए कुएं और हैण्डपंप के ठण्डे पानी का इस्तेमाल किया जाता था। लगभग शत् प्रतिशत् घरों में गर्मियों में सिर्फ पंखे चला करते थे।

यह  सुहाना मौसम इसलिए रहता था, क्योंकि शिवपुरी में घने जंगल थे। सिद्धेश्वर मंदिर से निकलते ही पेड़ों की श्रंखलाएं शुरू हो जाती थीं। नबाव साहब रोड पर अनेक आम के पेड़ थे। दुर्गा टॉकीज के पीछे भी घना जंगल बसा हुआ था। जंगल में अनेक प्रकार के जंगली जानवर थे। जो पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। लेकिन पिछले 10 सालों से स्थिति काफी खराब हुई है। जंगलों और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण एकदम से बिगड़ा है। जगह-जगह बोर खुद जाने से भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे चला गया है और अब तो हालात यह हंै कि एक-एक हजार फुट खुदाई पर भी जल नहीं मिल रहा। कुएं सारे सूख गए हैं।

इसके परिणामस्वरूप तापमान में भी एकदम से तेजी आई है और पिछले 10 सालों में दिन के तापमान में तीन से चार डिग्री की बृद्धि दर्ज हुई है। मई और जून माह में शिवपुरी में महानगरों की तरह 45 से 48 डिग्री तापमान रहने लगा और रातें भी काफी गर्म हुई हैं। पंखों से गर्मी निकालना मुश्किल हो गया है। पर्यावरण सुधारने के लिए पेड़ लगाने के स्वांग अवश्य किए जा रहे हैं, लेकिन जितनी संख्या में पेड़ लग रहे हैं उससे अधिक काटे जा रहे हैं। बढ़ती आबादी अब चांदपाठा से पेयजल सप्लाई पर केन्द्रित हो गई है। इससे जल संकट अचानक बढ़ गया है।