बच रहे शासकीय भूमि को राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी कर बेचने वाले

करैरा (शिवपुरी) करैरा तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत सक्रिय भू-माफियाओं द्वारा शासकीय अमले की सांठगांठ से वेष कीमती शासकीय भूमि को किस तरह से खुर्द-वुर्द किया जा रहा है इसका उदाहरण ग्राम जरगंवा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर शासकीय अभिलेखों में हैराफेरी कर शासकीय भूमि को निजि स्वामित्व की भूमि दर्षाकर विक्रय किये जाने के मामले मे देखने को मिलता है

हाल ही में सामने आये इस मामले के अनुसार करैरा तहसील क्षेत्र के ग्राम जरगंवा में (जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.25 पर स्थित है) सर्वे क्र. 253 जो कि जिल्द बन्दोवस्त 1982-83 के अनुसार शासकीय अभिलेखों में शासकीय भूमि के तौर पर दर्ज है। को तत्कालीन हल्का पटवारी द्वारा शासकीय अभिलेखों में हैराफेरी कर फर्जी तरीके से बंटाकन कर सर्वे क्र. 253/1/1/2253/1/312,253/113/3,223/2/1 आदि कर शासकीय रिकार्ड में निजि स्वामित्व की भूमि के तौर पर दर्ज कर तथा कथित भू-स्वामिओं को किसान-ऋण पुस्तिकायें तक प्रदान कर दी गई थी। इतना ही नही उक्त तथा कथित भू-स्वामिओं द्वारा उक्त शासकीय भूमि का सौदा कर भूमि का विक्रय तय कर दिया गया और लाखों रूपये भूमि विक्रय प्रतिफल के तौर पर प्राप्त कर लिये गये। 

जव उक्त भूमि विक्रय की भनक ग्राम के अन्य लोगो को लगी तो ग्राम के ही निवासी रमेष यादव पुत्र आषाराम यादव एंव अजय यादव काली पहाडी ने उक्त मामले की षिकायत करैरा तहसील सहित जिला कलैक्टर से करते हुये मामला संज्ञान में लाया गया और मामला संज्ञान में आने के पश्चात प्रषानिक स्तर पर जांच स्थापित कराई गई जिसमें उक्त खुलासा हो सका । और न्यायालय नायव तहसीलदार तहसील करैरा द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के पत्रों का हवाला देते हुये उक्त सर्वे क्र. को शासकीय घोेषित कर संबधित पटवारी को आदेषानुसार रिकार्ड दुरूस्त करने के निर्देष दिये गये। 

उक्त मामले मंे खास बात यह रही कि प्रषासनिक स्तर पर शासकीय भूमि को राजस्व रिकार्ड में हैराफेरी कर फर्जी बंटाकन करना सिद्ध पाये जाने के उपरांत उक्त भूमि को तो पुनः शासकीय भूमि के तौर पर दर्जकर राजस्व रिकार्ड दुरूस्त करने  के निर्देष दे दिये गये किंतु उक्त समूचे घटना क्रम को अंजाम देने वाले दोषी राजस्व अमले एंव भू माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही न करते हुष्े उनके द्वारा अंजाम दिये गये संगीन कृत्य को नजर अंदाज कर दिया गया है। जिससे दोषी दण्ड मिलने से बच गये है। 

उक्त समूचे घटना क्रम का खुलासा होने के पश्चात भी दोषी लोगो के विरूद्ध कार्यवाही न किये जाने से स्थानीय प्रशासन की कार्यषैली पर भी जहां सवालिया निषान लग रहा है वहीं उक्त मामले में स्थानीय प्रषासन के कर्ताधर्ताओं की भूमिका को लेकर भी जन सामान्य में सवाल खडे किये जा रहे है। आखिर क्या कारण है कि समूचा मामला उजागर होने के बाद भी प्रषासन दोषी लोगो के विरूद्ध कार्यवाही करने से बच रहा है?