शिवपुरी में फूलछाप कांग्रेसियों से है भाजपा का वर्चस्व

शिवपुरी। भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रभारी विवेक जोशी के इस कथन से जिले की राजनीति में खलबली मच गई है कि शिवपुरी जिले की विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए कांग्रेस की कोई चुनौती नहीं है क्योंकि फूलछाप कांग्रेसी भाजपा की सबसे बड़ी ताकत हैं।
कतिपय कांग्रेसियों का भितरघात भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण फेक्टर है। उनके इस कथन में मजाक कम और गंभीरता अधिक नजर आ रही है, क्योंकि पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मजबूत नेतृत्व के बाद भी पिछोर के अलावा अन्य चार विधानसभा क्षेत्रों में पराजित हुई। 2003 के विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस उम्मीदवार की करैरा में जमानत जप्त हुई वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस प्रत्याशियों को दो विधानसभा क्षेत्रों करैरा और पोहरी में जमानत से हाथ धोना पड़ा। 

पिछले पांच साल में कांग्रेस के पदाधिकारियों की भाजपा विधायकों से सांठगांठ के मामले सामने आए हैं। इसी कारण पार्टी संगठन  को भाजपा के खिलाफ जिस आक्रामक अंदाज से आंदोलन करना था नहीं कर पाए। विधानसभा चुनाव की बात तो छोड़ें जिपं और नगरपालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में भी फूलछाप कांग्रेसियों के कारण कांग्रेस को मात खानी पड़ी। कांग्रेस संगठन के ये विभीषण ही कांग्रेस की समस्या की जड़ हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी ने काफी दमदारी से तानाबाना बुनकर चुनाव लड़ा और उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी माखनलाल राठौर से मजबूत बढ़त हासिल भी की, लेकिन शिवपुरी में उनके कार्यालय में बैठे फूलछाप कांग्रेसियों ने उनकी लगभग तयशुदा जीत को हार में बदल दिया। मजे की बात तो यह है कि ये फूलछाप कांग्रेसी इतने बाकपटू हैं कि अपने अपराध को भी वे वफादारी का जामा पहना देते हैं। 

फूलछाप कांग्रेसियों का तर्क रहता है कि हम तो महल के वफादार हैं। पार्टी-वार्टी से हमें कुछ लेना-देना नहीं है और महल का इरादा क्या है हम जानते हैं और उसी लक्ष्य को पाने में जुट जाते हैं। यही कहानी पोहरी विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में दोहराई गई। कांग्रेस प्रत्याशी भले ही एनपी शर्मा थे, लेकिन प्रचारित यह किया गया कि वह डमी केंडीडेट हैं और महल की इच्छा उन्हें चुनाव जिताने की अपेक्षा हरिवल्लभ को हराने में अधिक है तथा हरिवल्लभ को एनपी शर्मा नहीं, बल्कि प्रहलाद भारती हरा पाएंगे।

इसका परिणाम यह हुआ कि एनपी शर्मा जमानत से हाथ धो बैठे और प्रहलाद भारती चुनाव जीत गए। श्री शर्मा अब कह रहे हैं कि उन्हें लूटने वाले उनके अपने थे। कोलारस विधानसभा क्षेत्र की पिछले चुनाव की कहानी कौन नहीं जानता? कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव चुनाव जीत जाते यदि उनके अपने भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन को जिताने में नहीं जुटते। कांग्रेस की एक सशक्त लॉबी के भितरघात के कारण उनकी तयशुदा जीत पराजय में बदल गई। कोलारस में मिलीभगत का खेल आज भी जारी है। फूलछाप कांग्रेसियों के कारण देवेन्द्र जैन कोलारस में अपनी स्थिति बनाए रखे हुए हैं। करैरा में तो कांग्रेसियों के भितरघात ने इस पार्टी को रेस से बाहर कर दिया है। जिपं अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती विभा रघुवंशी को फूलछाप कांग्रेसियों ने धूल चाटने को मजबूर किया था और नगरपालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती आशा गुप्ता फूलछाप कांग्रेसियों के कारण जीत से वंचित रह गईं।

पुराना इतिहास रहा है फूलछाप कांग्रेसियों का

शिवपुरी जिले में फूलछाप कांग्रेसियों का इतिहास काफी पुराना है। महल के दोनों ध्रुव अलग-अलग दलों में होने का ये विभीषण फायदा उठाते हैं और महल की इच्छा को प्रचारित कर भाजपा की जीत में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं। आपको याद होगा नपाध्यक्ष पद के चुनाव में जब पूर्व विधायक गणेश गौतम की पत्नि श्रीमती तृप्ति गौतम कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में थीं और उनके साथ नगरपालिका के 39 पार्षदों में से 25 पार्षद नगरपालिका में मतदान के लिए गए थे, लेकिन परिणाम आया तो इनमें से 12 पार्षदों ने भितरघात कर भाजपा प्रत्याशी राधा गर्ग को चुनाव जिता दिया।

कांग्रेस में आज भी मजबूती से सक्रिय हैं फूलछाप कांग्रेसी

शिवपुरी जिले की कांग्रेस में फूलछाप कांग्रेसी आज भी उतनी ही मजबूती से सक्रिय हैं। महल की इच्छा को प्रचारित कर वह अपनी मनमानी को वफादारी के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। कौन कांग्रेस में महल समर्थक है? कौन विरोधी है? यह उन्हें पता है। फूलछाप कांग्रेसियों ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि  यदि शिवपुरी से फलाने पोहरी और कोलारस से ढिकाने को टिकट मिला तो वे उसकी कब्र खोद देंगे।