व्यवस्थित यातायात को ठेले वाले कर रहे अव्यवस्थित

शिवपुरी। शहर में व्यवस्थित यातायात के लिए पुलिस अधीक्षक के प्रयास रंग ला रहे है लेकिन इस व्यवस्था को अव्यवस्था में बदलने वाले कोई और नहीं वे ठेले वाले है जो शहर के बीचों बीच माधवचौक पर अपनी दुकान चलाने बैठ जाते है। ऐसे में जहां अतिक्रमण मुहिम को ग्रहण लग जाता है तो वहीं दूसरी ओर इन ठेले वालों के कारण यातयात भी अव्यवस्थित हो जाता है। भारी ट्रेफिक के कारण यहां भी जाम जैसी स्थिति आए दिन बनती रहती है।

जिसके कारण यातायात पूरी तरह ढर्रे पर आ जाता है जबकि इन ठेले वालों के लिए पुराना बस स्टैण्ड क्षेत्र जो आज खाली पड़ा है यहां खड़े होने के निर्देश दिए गए और माधवचौक चौराहे पर ऑटो खड़े होने के लिए जगह बनाई गई है लेकिन देर शाम होते ही यहां कुल्फी ठेले वाले अपनी दुकान चलाने बैठ जाते है जिससे यातायात बाधित होता है।

पुलिस द्वारा शुरू किए गए यातायात सुधार अभियान को खासी सफलता मिलने के बाद पुलिस महकमे की निष्क्रियता एक बार फिर उजागर हो गई और इसकी परिणिति यह हुई कि सड़कों से हटाए गए कब्जे फिर से यथास्थान जम गए। जबकि एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार ने दावा किया था कि वह पुलिस की सक्रियता जनता के सामने लाने के लिए पुलिसकर्मियों को प्रतिदिन सड़कों पर दो घंटे के लिए उतारेंगे और सक्रियता से साथ-साथ दुकानदारों ने जो सड़कों पर  अस्थाई कब्जे कर लिए हैं उन्हें साफ कराएंगे। 

लेकिन उनका यह दावा अभियान  में संलग्न पुलिसकर्मियों ने झुठला दिया है। क्योंकि अब न तो सड़कों पर पुलिस की सक्रियता दिख रही है और जो कब्जे हटाए गए थे वह भी यथास्थान आ गए हैं। शहर के माधव चौक से हटाए गए कुल्फी के ठेले पुराने बस स्टेण्ड क्षेत्र में शिफ्ट किए गए थे वह फिर से माधव चौक पर लगना शुरू हो गए हैं। जबकि पुलिस सहायता केन्द्र भी वहां स्थित है और पुलिस भी वहां मौजूद रहती है। फिर भी वह ठेले वहां लगने लगे हैं, इससे पुलिस की सक्रियता सवालों के घेरे में आ गई है।

एसपी महेन्द्र सिंह सिकरवार ने शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने का जिम्मा बड़े जोर-शोर से अपने कंधों पर लिया और मुहिम को शुरू कर सड़कों से कब्जे हटवाए। यह मुहिम शुरू में सफल रही। लेकिन बीच में मुहिम का असर खत्म हो गया और पुलिस की आंखो के सामने ही दुकानदार कब्जे करते देखे गए। जिसकी मीडिया ने आलोचना भी की और समाचार भी प्रकाशित हुए और इसके बाद पुलिस महकमा एक बार फिर सक्रिय हुआ और सख्ती से सड़कों पर हुए अतिक्रमण हटाए गए और इस मुहिम में जनता का भरपूर सहयोग भी मिला। 

इस मुहिम से शहर की जनता को पुलिस अधीक्षक से आश बंधना शुरू हो गई। लेकिन अब फिर से सड़कों पर अराजकता फैलने के बाद पुलिस की निष्क्रियता जनता के सामने आ गई और आस जनता ने पुलिस महकमे से लगाई थी वह ध्वस्त होती नजर आने लगी है। जिस कारण पुलिस की एक बार फिर जनता की नजरों में किरकिरी हो गई। सवाल यह है कि क्या शहर में यातायात सुधार अभियान न केवल फिर से शुरू होगा, बल्कि निरंतर जारी भी रहेगा या नहीं?

जल्द सुधरेगी यातायात व्यवस्था

शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने जो मुहिम शुरू की थी उसे जनता का भी सहयोग मिला और मुहिम ने सफलता भी हासिल की। लेकिन इस मुहिम के असफल होने का कारण एसडीओपी संजय अग्रवाल बताते हैं कि पुलिस के पास पहले से बहुत काम हैं और वह उन कामों से निपट नहीं पाती। जबकि यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने का जिम्मा यातायात विभाग का होता है। लेकिन इस समय यातायात थाने में कोई  भी टीआई पदस्थ नहीं है। जिस कारण यह मुहिम अपना वास्तविक रूप नहीं ले पा रही है। फिर भी पुलिस विभाग प्रतिदिन सड़कों पर उतरकर अतिक्रमण हटाने का काम कर रही है।