आईपीएल काण्ड में घिरा पत्रकार अब कर रहा अपना बचाव

शिवपुरी/करैरा। बीते तीन दिनों से करैरा का आईपीएल काण्ड इस कदर चर्चा में है कि एक ओर जहां इस मामले में जांच कर रहे अति.पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह पुलिसकर्मियों की संलिप्तता से इंकार नहीं कर रहे तो अब वहीं इस मामले में नया मोड़ उस समय आ गया जब पूरे मामले में अपनी सोची समझी रणनीति का पासा एक कथित पत्रकार ने पुलिस को अपने जाल में फंसाकर लिया।

जिससे अच्छी खासी आमदनी तो दो पुलिसकर्मियों की हो गई लेकिन अब वही कथित पत्रकार अपने आप को बचाने करने के लिए ना केवल पुलिसकर्मियों पर मिलीभगत का आरोप लगा रहा है बल्कि अब तो सबदूर उसने यह चर्चा भी फैला दी कि इस मामले में उसे नगर पंचायत अध्यक्ष कोमल साहू ने जान से मारने की धमकी है जिससे वह भयभीत है। इतना होने के बाद अब यह पत्रकार स्थानीय मप्र श्रमजीवी पत्रकार संघ की नवगठित टीम पर भी आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहा। हालांकि जांच अभी जारी है लेकिन इस तरह मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगाकर स्वयं को बचाना ऐसा प्रतीत होता है कि इस कथित पत्रकार के बुने जाल में अब वह स्वयं फंसा जा रहा है।

स्वयं को बचाने दिया पुलिस को आवेदन, लगाए नपं अध्यक्ष पर आरोप

इस मामले में जो पत्रकार सामने आया है वह है सौरभ भार्गव जिसने पुलिस को दिए आवेदन में नगर पंचायत अध्यक्ष पति कोमल साहू व श्रमजीवी पत्रकार संघ पर स्वयं को जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया है और इसके बदले उन्होंने 5 लाख रूपये तक की सुपारी दी है जबकि इन सभी आरोपों को नपं अध्यक्ष पति व श्रमजीवी पत्रकार संघ पहले से ही नकार रहे है और आरोपों को झूठा व बेबुनियाद बताया है। अब यह मामला पुलिस के लिए भी बड़ी पशोपेश में डाले है कि आखिर सच्चाई क्या है? खैर पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है। करैरा पुलिस को दिए गए आवेदन में सौरभ भार्गव ने बताया कि उसने ही आईपीएल सटोरियों का पुलिस को नाम देते हुए उन्हें पकड़वाया था। बाद में इन्हें पुलिस ने छोड़ दिया। जब यह जानकारी कोमल साहू को लगी कि उसके भतीजे गोलू को मैंने पकड़वाया है तो वह मुझसे दुश्मीन पालने लगा और मेरी जान का दुश्मन बन गया। उसने मुझसे कहा कि अगर पुलिस ने तुझे झूठा नहीं फंसाया तो मैं तुझे जान से मरवा दूंगा। चाहे इसके लिए 5 लाख रूपये भी खर्च क्यों न हो जाएं। सौरभ भार्गव ने यह भी बताया कि उसे जानकारी मिली है कि करैरा का श्रमजीवी पत्रकार संघ भी इसमें संलिप्त है और मुझे मारने के लिए पांच लाख रूपये की सुपारी दी गई है।

नपं अध्यक्ष पति ने लगाए सौरभ पर आरोप

नपं करैरा के पूर्व अध्यक्ष कोमल साहू ने सौरभ के आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि सौरभ ने मुझ पर दबाव डाला था कि मैं दोषी पुलिसकर्मियों के पक्ष में एडीशनल एसपी के समक्ष बयान दूं। जब मैंने ऐसा नहीं किया तो वह मुझ पर झूठा आरोप लगाने लगा। श्री साहू कहते हैं कि सौरभ ने ही करैरा के कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर 140 लोगों की फर्जी सूची बनाई थी। इस सूची में से 14 लोगों से 27 मई को बसूली की गई और धीरे-धीरे सभी लोगों से बसूली की जाती, लेकिन पहले ही झटके में आरोपी बेनकाब हो गए।

आईपीएल काण्ड की गाज गिर सकती है पुलिसकर्मियों पर, जांच पूरी अब एसपी के पाले में

शिवपुरी। जिले के करैरा थाने के एएसआई रविन्द्र सिंह कुशवाह और आरक्षक महेन्द्र सिंह चौहान के खिलाफ जांच रिपोर्ट अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक सिंह ने पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार को सौंप दी। दोनों पुलिसकर्मियों पर आरोप था कि आईपीएल सट्टा खेलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कुछ लोगों की धरापकड़ी की और उनसे लगभग 3 लाख रूपये की अवैध बसूली की। एडीशनल एसपी आलोक सिंह ने बताया कि दोनों पुलिसकर्मियों के विरूद्ध अंशत: आरोप प्रमाणित पाए गए। पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने बताया कि जांच रिपोर्ट देखने के बाद वह आज कार्रवाई करेंगे, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दोनों पुलिसकर्मियों पर गाज गिरना तय है और उनका निलंबन संभावित है।

ऐसे हुई आईपीएल के नाम पर वसूली, क्या टीआई भी आऐंगें लपेटे में?

27 मई की रात को स्थानीय युवक और पत्रकार सौरभ भार्गव ने एएसआई रविन्द्र सिंह कुशवाह और आरक्षक महेन्द्र सिंह चौहान को बताया कि करैरा में कुछ लोग आईपीएल सट्टा खेलते हैं। इनमें नपं के पूर्व अध्यक्ष कोमल साहू के भतीजे गोलू साहू, फारूख खान आदि शामिल हैं। इसके बाद थाने बुलाकर सभी लोगों को प्रताडि़त किया गया और आरोप है कि 3 लाख से अधिक की बसूली की गई। यह मामला जब एसपी के स्ंाज्ञान में आया तो उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए। वहीं दूसरी ओर इस मामले में आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस मामले में करैरा थाने के टीआई इन्द्रजीत सिंह के विरूद्ध भी कार्रवाई होगी? उनके विरूद्ध कार्रवाई के दो आधार हैं। एक तो बिना टीआई की जानकारी के यदि थाने में कोई अवैधानिक कार्रवाई हुई है तो  यह उनकी अक्षमता का प्रमाण है और दूसरे यदि ऐसा नहीं हैं तो इसमें उनकी संलिप्तता स्पष्ट है। नैतिक आधार पर भी टीआई जिम्मेदार हैं।